चंद्र मिशन चंद्रयान-4 को मंजूरी: 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने की तैयारीहै।केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने और प्रदर्शित करने के लिए नए चंद्र मिशन चंद्रयान-4 को मंजूरी दी है।
चंद्रयान-4 का मिशन चंद्रमा पर मानव को भेजना
वहीं केंद्रीय कैबिनेट के फैसलों पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, चंद्रयान-4 मिशन का विस्तार किया गया है और इसका अगला कदम चंद्रमा पर मानव मिशन भेजना है। इस दिशा में सभी प्रारंभिक चरणों को मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही वीनस ऑर्बिटर मिशन, गगनयान फॉलो-ऑन और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और अगली पीढ़ी के लॉन्च व्हीकल विकास को भी मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-4 मिशन के तहत चंद्रमा की चट्टानों और मिट्टी को पृथ्वी पर लाया जाएगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए कहा गया है कि चंद्रयान-4 मिशन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर उतारने (वर्ष 2040 तक नियोजित) और सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने के लिए मूलभूत प्रौद्योगिकियों को प्राप्त करेगा। इसमें डॉकिंग/अनडॉकिंग, लैंडिंग, पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी और चंद्र नमूना संग्रह और विश्लेषण को पूरा करने के लिए आवश्यक प्रमुख प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया जाएगा।
चंद्रयान-4 के लिए 2,104 करोड़ रुपये की जरूरत
जानकारी के मुताबिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन चंद्रयान-4 के लिए कुल निधि की आवश्यकता 2,104.06 करोड़ रुपये है। वहीं इसरो अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण के लिए जिम्मेदार होगा। उद्योग और शिक्षाविदों की भागीदारी के साथ इस मिशन के अनुमोदन के 36 महीने के भीतर पूरा होने की उम्मीद है। सभी महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों को स्वदेशी स्तर पर विकसित किए जाने की परिकल्पना की गई है।
शुक्र ग्रह परिक्रमा मिशन को दी गई मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्र ग्रह पर वैज्ञानिक अन्वेषण और शुक्र ग्रह के वायुमंडल, भूविज्ञान को बेहतर ढंग से समझने और इसके घने वायुमंडल की जांच कर बड़ी मात्रा में वैज्ञानिक आंकड़े जुटाने के लिए शुक्र ग्रह परिक्रमा मिशन (वीओएम) को भी मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि कैबिनेट ने भारी-भरकम अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान को पृथ्वी की निचली कक्षा में 30 टन का पेलोड स्थापित करने की मंजूरी दी है।