
झारखंड सरकार शुरू करेगी देश की पहली ‘माइनिंग टूरिज़्म’ परियोजना: खाने-पीने से लेकर गाइडेड दौरे तक, रोजगार-राजस्व में बढ़ोतरी की उम्मीद।झारखंड अपनी खनिज संपदा और खनन क्षेत्र के लिए देश भर में जाना जाता है। यहीं वजह है कि अब यहां की ऐतिहासिक विरासत को पर्यटन के रूप में विकसित करने की दिशा में हेमंत सोरेन सरकार कदम बढ़ा रही है।
जानकारी के अनुसार झारखंड पर्यटन विकास निगम (JTDC) और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के सहयोग से देश में पहली बार माइनिंग टूरिज्म की शुरुआत की जा रही है।
हेमंत सोरेन सरकार के इस कदम की हर तरफ सराहना हो रही है. सरकार के इस कदम से पिछड़े राज्य की अपनी छवि से निकलने में झारखंड को न केवल मदद मिलेगी बल्कि राज्य में राजस्व और रोजगार भी बढ़ेगा।
इस माइनिंग टूरिज्म परियोजना के तहत पर्यटकों को कोयला खदानों, खनन से जुड़ी प्रक्रियाओं, उपकरणों और खनन से जुड़ी ऐतिहासिक विशेषताओं का प्रत्यक्ष अनुभव करने का मौका मिलेगा।
इस परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए 21 जुलाई को रांची स्थित प्रोजेक्ट भवन में MOU पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. कार्यक्रम में झारखंड सरकार के मंत्री सुदिव्य कुमार और दोनों संस्थाओं के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहेंगे।
इन जगहों पर कराया जाएगा भ्रमण
इस दौरान पर्यटक खनन क्षेत्रों में जाकर वहां के भूगोल, खनन की तकनीकों और उसके ऐतिहासिक पहलुओं को भी देख और समझ सकेंगे. परियोजना के तहत तीन सर्किट बनाए जा रहे हैं, जिनमें पर्यटकों को रांची से ले जाकर खनन क्षेत्रों और आस-पास के दर्शनीय स्थलों का भ्रमण कराकर वापस रांची लाया जाएगा।
इन सर्किट में पिपरवार का कायाकल्प वाटिका, रे अंडरग्राउंड माइंस, तिरू फॉल, नॉर्थ उरीमारी माइंस, पलानी फॉल्स, पतरातू वाटर पार्क, सिकिदिरी घाटी, रजरप्पा मंदिर, भुरकुंडा माइंस, पतरातू डैम और पतरातू घाटी जैसे स्थल शामिल होंगे।