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Bank Loan लेने वाली की हो गई मौत तो कौन भरेगा ब्याज, यहां समझ लीजिए

यदि लोन Bank Loan लेने वाले व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो बैंक सबसे पहले को-एप्लिकेंट (सह-आवेदक) से संपर्क करता है. को-एप्लिकेंट का नाम होम लोन, एजुकेशन लोन या जॉइंट लोन में आमतौर पर दर्ज होता है. अगर को-एप्लिकेंट कर्ज चुकाने में असमर्थ होता है, तो बैंक गारंटर (Guarantor) से संपर्क करता है.

बैंक कब संपत्ति सीज कर सकता है?

  • अगर को-एप्लिकेंट, गारंटर और कानूनी उत्तराधिकारी में से कोई भी लोन चुकाने में असमर्थ होता है, तो बैंक के पास मृतक की संपत्ति को जब्त करने (Seizure) और उसे बेचने का अधिकार होता है.
  • होम लोन के मामले में बैंक सीधे मृतक के मकान को सीज कर सकता है और नीलामी के जरिए उसे बेचकर कर्ज की वसूली करता है.
  • ऑटो लोन के मामले में बैंक वाहन को जब्त कर उसे बेच सकता है.
  • पर्सनल लोन के मामले में बैंक मृतक की अन्य संपत्तियों को नीलाम करके कर्ज की वसूली करता है.

अगर लोन इंश्योरेंस है तो क्या होगा?

अगर मृतक व्यक्ति ने लोन प्रोटेक्शन इंश्योरेंस लिया है, तो उसकी मृत्यु के बाद पूरा कर्ज बीमा कंपनी चुकाती है और परिजनों पर कोई बोझ नहीं पड़ता. क्या बैंक कानूनी उत्तराधिकारी को जबरदस्ती लोन चुकाने के लिए बाध्य कर सकता है? अगर कानूनी उत्तराधिकारी ने मृतक की संपत्ति को उत्तराधिकार में स्वीकार नहीं किया है, तो वह लोन चुकाने के लिए बाध्य नहीं है. लेकिन अगर उसने संपत्ति स्वीकार कर ली है, तो उसे कर्ज चुकाना होगा.

अगर गारंटर भी कर्ज चुकाने से इनकार कर देता है या उसके पास पर्याप्त पैसे नहीं होते, तो बैंक मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी (Legal Heir) से संपर्क करता है. इसमें मृतक के परिवार के सदस्य, जैसे पत्नी, बच्चे या माता-पिता शामिल हो सकते हैं. बैंक उन्हें लोन चुकाने की जिम्मेदारी निभाने के लिए कहता है.

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