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लहसुन-प्याज का अनुदान बंद करने पर HC ने मांगा जवाब

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को लहसुन-प्याज का अनुदान बंद किए जाने के मामले की प्रारंभिक सुनवाई की। इसी के साथ शासकीय अधिवक्ता को इस संबंध में राज्य शासन से निर्देश लेकर अवगत कराने की जिम्मेदारी दी। इसके लिए चार सप्ताह का समय दिया गया है।

मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई के दौरान जनहित याचिकाकर्ता राजधानी भोपाल के समीप स्थित ग्राम खुरचनी के किसान चयन सिंह की ओर से अधिवक्ता रामजी शुक्ला ने पक्ष रखा।

उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार ने अकारण प्याज-लहसुन का अनुदान बंद क्यों कर दिया? चूंकि ऐसा करना किसान विरोधी है, अत: अनुचित निर्णय अविलंब वापस लेकर गलती सुधारी जानी चाहिए। मध्यप्रदेश शासन ने मनमाने तरीके से 3 जुलाई 2017 और 23 जून 2017 को दो आदेशों के जरिए प्याज-लहसुन की खेती करने वाले किसानों के साथ घोर अन्याय किया है।

मध्यप्रदेश शासन, उद्यानकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मंत्रालय भोपाल ने मसाला क्षेत्र विस्तार योजना के संशोधित मार्गदर्शी निर्देश वर्ष-2016-17 जारी किए। जिनमें यह उल्लेख है कि प्रति किसान को न्यूनतम 0.25 हेक्टेयर और अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए प्याज और लहसुन फसल के लिए रोपण सामग्री की लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर जो भी कम होगा अनुदान दिया जाएगा।

उक्त योजना के हिसाब से पूर्व के वर्षों में किसानों को अनुदान दिया जाता रहा और उसी तारतम्य में इस वर्ष भी किसानों का रजिस्ट्रेशन एमपीएफसएसटीएस (मप्र फारमर्स स्टेट ट्रेकिंग सिस्टम) पोर्टल में ऑनलाइन पंजीयन कराए गए।

उक्त पंजीयन के बाद किसानों ने बीज, खाद्य ओर रसायनिक उर्वरकों के लिए अग्रिम राशि की व्यवस्था की जाकर संबंधित विक्रेताओं को आदान सामग्री को समय पर उपलब्ध कराकर संबंधित विक्रेताओं को आदान सामग्री की समय पर व्यवस्था करने के लिए अग्रिम राशि का भुगतान बतौर एडवांस कर दिया गया।

इसके बाद 30 जून और 3 जुलाई 2017 को वीडियो कॉफ्रेंसिंग करके बिना किसी तरह का कोई कारण बताए शासन द्वारा प्याज-लहसुन का अनुदान बंद कर दिया गया। चूंकि इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है, अत: व्यापक जनहित में हाईकोर्ट की शरण ले ली गई।

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