निजी कालेजों में चुनाव के लिए अलग से प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

जबलपुर। प्रदेश के शासकीय और अनुदानित कॉलेजों में छात्र संघ गठन के दौरान प्रथम वर्ष में पढ़ने वाला कोई भी छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ पाएगा। शेष कक्षाओं के छात्रों के लिए कोई रोक नहीं है। बाकी के तीनों पद उपाध्यक्ष, सचिव व सहसचिव के लिए कोई बंधन नहीं होगा। उच्च शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को संशोधित आदेश जारी कर स्पष्ट किया है कि छात्रसंघ चुनाव की इस प्रक्रिया में गैर अनुदान प्राप्त प्राइवेट कॉलेज शामिल नहीं होंगे। इनके लिए अलग से प्रक्रिया अपनाई जाएगी। विभाग ने अपने आईटी सेल में कंट्रोल रूम बना दिया है। यहां आठ अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है। अपर सचिव डॉ.जयश्री मिश्रा ने सभी विश्वविद्यालय एवं कॉलेज प्रबंधन को हिदायत दी है कि छात्र संघ गठन की प्रक्रिया के दौरान यह ध्यान रखा जाए कि प्रथम वर्ष में पढ़ने वाला कोई भी छात्र, अध्यक्ष के लिए दावेदार नहीं हो सकता। हालांकि वह उपाध्यक्ष, सचिव एवं सह सचिव के लिए जरूर वह चुनाव लड़ सकेगा। इसके लिए पहले उसे अपनी कक्षा का सीआर बनना पड़ेगा।
निजी कॉलेज की गाइड लाइन बाद में
छात्र संघ गठन के लिए निजी कॉलेजों की गाइड लाइन पृथक से जारी की जाएगी। इसलिए फिलहाल वहां चुनाव लंबित समझे जा रहे हैं। शासकीय एवं अनुदानित कॉलेजों में चुनाव के बाद वहां के लिए नई गाइड लाइन जारी की जाएगी। जिले में शासकीय कॉलेज दो एवं निजी कॉलेजों की सं या तीन है। इस संबंध में प्राचार्य डॉ. एसडी राठौर का कहना है कि उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने सभी चीजों के लिए विभाग की साइट पर परिपत्र जारी कर दिए हैं।
छात्र संगठनों ने नियमों पर उठाए सवाल
छात्र संगठनों ने शासन द्वारा छात्रसंघ गठन को लेकर जारी गाइडलाइन के कुछ बिंदूओं पर सवाल खड़े किए हैं। छात्र संगठनों को उन नियम पर ज्यादा आपत्ति है जिसमें स्नातकोत्तर कॉलेजों में केवल पीजी छात्र को ही अध्यक्ष पद के लिए पात्र माना गया है। संगठनों का कहना है कि सबसे ज्यादा छात्र स्नातक स्तर पर अध्ययनरत हैं। ऐसे में पीजी कॉलेज में स्नातक के छात्रों को अध्यक्ष पद के लिए अपात्र मानना गलत होगा। एनएसयूआई ने सरकार पर आरोप लगाया है कि निजी कॉलेजों में चुनाव न कराकर वह छात्रों के साथ भेदभाव कर रही है। इतना ही नहीं जो चुनाव की अधिसूचना जारी की गई है उसमें भी कई खामियां है। इसमें मु य है जिस कॉलेज में सीआर का प्रत्याशी नहीं होगा उसमें कॉलेज प्रशासन अपनी पसंद से सीआर बना सकते है। जो एबीवीपी के पक्ष में वोट कर सकते है। नामांकन, सीआर चुनाव और अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के बीच चुनाव संपन्न होने के लिए 2-2 घंटे का समय दिया गया है जो पर्याप्त नहीं है। चुनाव पूरा होते ही प्रत्याशी को शपथ ग्रहण करा दिया जाएगा जो कि गलत है। इसकी अवधि कम से कम सात दिन होना चाहिए।