मध्यप्रदेश

… तो क्या मायावती की ‘नो एंट्री’ ने बंद किए शिव’राज’ के जीत के दरवाजे

शिवपुरी। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में कोलारस विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है. चुनावी मैदान में किसी उम्मीदवार के नहीं होने के बावजूद बसपा सुप्रीमो मायावती और उनकी पार्टी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दिक्कतें बढ़ा दी है।

yashbharat
दरअसल, मध्य प्रदेश में कोलारस और मुंगावली विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव राज्य में विधानसभा चुनाव के पहले सत्ता का सेमीफाइनल मुकाबला बन गया है. इन चुनावों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार ज्योतिरादित्य सिंधिया की साख दांव पर लगी है.

शिवराज सिंह चौहान हर हाल में सिंधिया के गढ़ को भेदने की कवायद में जुटे हैं. लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने कोलारस चुनाव से दूर रहकर उनका गणित गड़बड़ा दिया है. यूं तो मायावती की पार्टी के उम्मीदवार ने कभी कोलारस विधानसभा सीट पर जीत हासिल नहीं की, लेकिन उनके उम्मीदवार के हासिल किए वोट से ही भाजपा के जीत के दरवाजे खुले हैं.
बीजेपी का इस विधानसभा क्षेत्र में 2008 तक दबदबा था, जब तक एससी आरक्षित सीट थी. पार्टी के ओमप्रकाश खटीक ने 1990, 1993 और 2003 में जीत हासिल की थी. आरक्षित सीट होने की वजह से बसपा ने भी यहां काफी पैठ जमाई थी. लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अनारक्षित हो गई।

2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ‘बीड़ी’ फैक्ट्री के मालिक देवेन्द्र जैन पर दांव लगाया, जिन्होंने कांग्रेस के रामसिंह यादव को 238 वोटों के अंतर से शिकस्त देकर कोलारस पर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा. भाजपा उम्मीदवार को 31,199 वोट, जबकि कांग्रेस के रामसिंह यादव को 30,961 वोट मिले. भाजपा की जीत में बसपा के लखन सिंह बघेल को मिले 19, 912 मत निर्णायक साबित हुए.

पांच साल बाद 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में देवेंद्र जैन 24,553 मतों से रामसिंह यादव से हार गए. यह कांग्रेस के लिए एक बड़ी जीत थी, क्योंकि बसपा उम्मीदवार चंद्रभान सिंह यादव को 23,920 वोट (15% वोट शेयर) मिलने के बावजूद भाजपा को करीब 25 हजार वोटों से शिकस्त झेलनी पड़ी।

क्यों टेंशन में हैं शिवराज..!
पिछले साल रामसिंह यादव का बीमारी की वजह से निधन हो गया. इस वजह से हो रहे विधानसभा उपचुनाव में बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है. भाजपा ने एक बार फिर देवेंद्र जैन पर भरोसा जताया है, जबकि कांग्रेस ने रामसिंह यादव के बेटे महेंद्र यादव को टिकट दिया है. बसपा के मैदान में नहीं होने से कांग्रेस के वोटों का बंटवारा नहीं होगा, जिसने शिवराज की टेंशन बढ़ा दी है।

भाजपा के लिए यह चिंता का सबब इसलिए भी है, क्योंकि चित्रकूट विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी बसपा की गैरमौजूदगी कांग्रेस की जीत में निर्णायक साबित हुई थी।

शिवराज और मोदी लहर के बावजूद चित्रकूट में 2013 में कांग्रेस उम्मीदवार प्रेम सिंह 10,796 मतों के अंतर से जीते थे, तब बसपा उम्मीदवार ने कुल वोट का 19.5% हासिल किए थे. प्रेमसिंह के निधन की वजह से खाली हुई सीट पर पिछले साल नवंबर में हुए उपचुनाव में बसपा के नहीं लड़ने का फायदा कांग्रेस को मिला. कांग्रेस की नीलांशु चतुर्वेदी ने 14,833 मतों से भाजपा के शंकर दयाल त्रिपाठी को हराया।

चित्रकूट में मुरझाया था कमल
चित्रकूट के नतीजों और कोलारस का इतिहास बताता है कि हाथी की चाल से ही कमल खिला है. अब जब हाथ को हाथी का साथ मिला है तो कमल का खिलना मुश्किल होगा, लेकिन क्या इतिहास बदलेगा इसके लिए 28 फरवरी तक का इंतजार करना होगा, जिस दिन कोलारस विधानसभा सीट के लिए मतगणना होगी।

Leave a Reply

Back to top button

Togel Online

Rokokbet

For4d

Rokokbet

Rokokbet

Toto Slot

Rokokbet

Nana4d

Nono4d

Shiowla

Rokokbet

Rokokbet