फडणवीस-शिंदे में से कौन बनेगा सीएम?; लेटलतीफी पर राज्यपाल क्या फैसला ले सकते है। महाराष्ट्र में सीएम कौन बनेगा, यह अब तक तय नहीं हो पाया है. चर्चा है कि आज और कल में नाम सामने आ जाएगा. ऐसे में सवाल है कि चुनाव के परिणाम आने के बाद कितने दिनों में मुख्यमंत्री को शपथ लेनी अनिवार्य है? अगर ऐसा नहीं होता है तो क्या होगा? ऐसे मामले में राज्यपाल के पास किस तरह का निर्णय लेने का अधिकार है? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब.।
महाराष्ट्र में नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण दिसम्बर के पहले हफ्ते में होगा, यह लगभग तय है, लेकिन राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा? उसका नाम अब तक सामने नहीं आ पाया है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन की जीत के बाद से बयान लगातार आ रहे हैं जो बता रहे हैं कि सीएम के नाम पर मुहर संगठन लगाएगा. जो शीर्ष नेतृत्व का निर्णय होगा वो मंजूर होगा. दावा किया जा रहा है कि बीती रात दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर 3 घंटे चली बैठक में भी इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया है कि महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री होगा?
सीएम के नाम पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है,ऐसे में सवाल है कि चुनाव के परिणाम आने के बाद कितने दिनों में मुख्यमंत्री को शपथ लेनी अनिवार्य है? अगर ऐसा नहीं होता है तो क्या होगा? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब.
कितने दिनों में नए CM की शपथ अनिवार्य?
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट आशीष पांडे कहते हैं, चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद कितने दिनों में सीएम पद की शपथ अनिवार्य है, भारत के संविधान में इसको लेकर कोई स्पष्ट नियम नहीं है, लेकिन विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का जरूर होता है. महाराष्ट्र में विधानसभा का कार्यकाल इसी नवंबर के अंतिम सप्ताह में पूर हो गया है.
आमतौर पर किसी भी राज्य में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद 1 से 7 दिन के अंदर मुख्यमंत्री के नाम की घोषणा हो जाती है या फिर शपथ ग्रहण की प्रक्रिया भी सम्पन्न हो जाती है. एडवोकेट पांडे कहते हैं, अगर कोई पार्टी सरकार बनाने का दावा नहीं करती है तो ऐसे स्थिति में राज्यपाल सबसे ज्यादा मत जीतने वाली पार्टी को सरकार बनाने के लिए कहते हैं. अगर सबसे ज्यादा मत जीतने वाला राजनीति दल राज्य में सरकार में बनाने में असमर्थ होता है तो राज्यपाल दूसरी सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का न्योता दे सकते हैं.
सरकार न बनने पर राज्यपाल के पास क्या हैं अधिकार?
अगर राज्य में सरकार बनने में ज्यादा देरी होती है तो राज्यपाल के पास यह अधिकार जरूर होता है कि वो राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए सिफारिश कर सकते हैं. ऐसी स्थिति को ‘राज्य आपातकाल’ या ‘संवैधानिक आपातकाल’ भी कहा जाता है.
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356 कहता है, राष्ट्रपति शासन तब लगाया जाता है, जब राष्ट्रपति, राज्यपाल से रिपोर्ट प्राप्त होने पर या आश्वस्त हो जाते हैं कि राज्य में सरकार संविधान के प्रावधानों के तहत संचालित नहीं की जा सकती है. शुरुआती दौर में राष्ट्रपति शासन 6 माह के लिए वैध होता है, लेकिन जरूरत पड़ने पर इसे 6 माह से अधिकतम 3 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है.
महाराष्ट्र के मामले में ऐसी स्थिति नहीं दिखाई दे रही, लेकिन दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री का नाम अगले दो दिन में सामने आ आएगा. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र में सबसे चर्चित एकनाथ शिंदे या देवेंद्र फडणवीस में से कोई एक मुख्यमंत्री बनता है या फिर कोई नया चेहरा सामने आता है.
हालांकि, चर्चा है कि महाराष्ट्र के अगला मुख्यमंत्री भाजपा के दिग्गज नेता देवेंद्र फडणवीस हो सकते हैं. वहीं शिवसेना मुखिया एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. फिलहाल सभी को गठबंधन की तरफ से आधिकारिक घोषणा का इंतजार है
महाराष्ट्र में सीएम के नाम का एलान जल्द, फडणवीस-शिंदे में से कौन बनेगा सीएम?; लेटलतीफी पर राज्यपाल क्या फैसला ले सकते है