उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ पर्व का समापन, लोगों ने की अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना
कटनी। शहर में सूर्योपासना के महापर्व छठ के चौथे और अंतिम दिन आज छठव्रतियों ने उदीयमान भगवान भास्कर को अघ्र्य देकर इस महापर्व का समापन किया। बड़ी संख्या में छठव्रती उदीयमान भगवान भास्कर को अघ्र्य देने के लिए आज पुन: छठ घाटों पर पहुंचे और पानी में डुबकी लगाने के बाद भगवान भास्कर को अघ्र्य दिया। सभी ने अपने और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। गौरतलब है कि बिहार, झारखंड सहित उत्तर भारत में छठ पर्व का विशेष महत्व है। बिहार, झारखंड सहित उत्तर भारत के लगभग हर घर में छठ पर्व पूरी आस्था और भक्ति के साथ मनाया जाता है। साथ ही छठ में शुद्धता का भी पूरा ख्याल रखा जाता है। उल्लेखनीय है कि चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। नहाय-खाय के दूसरे दिन चावल और गुड़ से बने प्रसाद को भगवान को अर्पित करने के बाद छठ व्रती उस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। जिसके बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। पर्व के तीसरे दिन नदियों में खड़े होकर छठ व्रती अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अघ्र्य देने के बाद अपने घर लौटती हैं। पर्व के अंतिम दिन छठव्रती सुबह-सुबह पुन: छठ घाट पर पहुंचती हैं और उगते हुए भगवान भास्कर को दूसरा अघ्र्य देने के बाद अपना 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त करती हैं।