
राजनीति में भूचाल: धनखड़ का अचानक इस्तीफा और दुबे विवाद ने फिर खोली लोकतंत्र की बहस। भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 (सोमवार) को अचानक पद से इस्तीफा दे दिया। धनखड़ के अचानतक इस्तीफे से हलचल मच गई है। जगदीप धनखड़ के इस चौंकाने वाले कदम से विपक्ष भी हैरान है।
कपिल सिब्बल और जयराम रमेश समेत कई विपक्षी सांसदों ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठाया है। कांग्रेस नेताओं के बयान पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की प्रतिक्रिया आई है। दुबे ने कांग्रेस पर निशाना साधा है।
झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस द्वारा सवाल उठाने पर कहा कि फिल्म में कादर खान जी का रोल चरितार्थ कर रहा है विपक्ष। अभी उनको हटाने का प्रस्ताव लेकर आए थे। कम से कम व्यक्ति के स्वास्थ्य का तो ख्याल रखें।
निशिकांत दुबे ने एक मीडिया आर्टिकल का हवाला देते हुए लिखा, “भारत के विपक्षी दलों ने उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ महाभियोग चलाने का प्रस्ताव रखा था। विपक्षी दलों ने उन पर संसद के उच्च सदन के अध्यक्ष के रूप में अपनी भूमिका में पक्षपातपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाया था। देश के इतिहास में यह इस तरह का पहला कदम था।
जयराम रमेश ने क्या कहा था?
दरअसल जयराम रमेश ने लिखा था, “उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति का अचानक इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही अकल्पनीय भी है। शाम में मैं उनके साथ था, वहां कई अन्य सांसद भी साथ थे, शाम 7:30 बजे मेरी उनसे फोन पर बातचीत भी हुई थी। जयराम रमेश ने दावा किया है कि निःसंदेह जगदीप धनखड़ को अपने स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए लेकिन यह भी स्पष्ट है कि उनके इस बिल्कुल अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे जो दिखाई दे रहा है, उससे कहीं अधिक है।
वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि ये हमारे लिए शॉकिंग है, क्योंकि शाम 5.45 बजे मैं उनकी केबिन से बाहर निकला। हमारे साथ जयराम रमेश और प्रमोद तिवारी भी थे। हमारी जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग के मुद्दे पर चर्चा भी हुई। उस समय लगा ही नहीं की उनकी तबीयत खराब है। वो काफी निष्पक्षता से सदन चलाते थे। ये देश की राजनीति के लिए एक बड़ा झटका है।
कार्यकाल पूरा नहीं करने वाले धनखड़ तीसरे उपराष्ट्रपति
जगदीप धनखड़ से पहले दो और उपराष्ट्रपति हुए जो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। जगदीप धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। 6 अगस्त, 2022 को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्षी उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। जगदीप धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे। जबकि मार्गरेट अल्वा को 182 वोट मिले थे।
धनखड़ से पहले कृष्ण कांत ने 21 अगस्त, 1997 को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। लेकिन 27 जुलाई, 2002 को कार्यकाल के दौरान ही उनका निधन हो गया था। इस कारण वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके थे। इसके अलावा, वराहगिरि वेंकट गिरि (V.V. Giri) ने भी 1969 में उपराष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान इस्तीफा दे दिया था, ताकि राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकें।