
सीता जन्म कहानी: जनक नंदिनी की संतान धरती से कैसे आई? हिंदू धर्म में भगवान श्रीराम की अर्धांगिनी माता सीता मां लक्ष्मी का रूप मानी जाती हैं. बड़े सम्मान के साथ उनकी पूजा की जाती है. मां सीता रामायण की मुख्य नायिका मानी जाती है. माता सीता पवित्रता, त्याग, धैर्य और आदर्श स्त्रीत्व की प्रतीक हैं. माता सीता मिथिला के राजा जनक को मिली थीं. वो उनको पुत्री के रूप में घर ले आए थे. इसलिए वे मैथिली, जानकी और जनक नंदिनी कही जाती हैं. माता का नाम सीता क्यों रखा गया और उनका जन्म कैसे हुआ? इसकी कथा भी बड़ी रोचक है. आइए जानते हैं।
सीता जन्म कहानी: जनक नंदिनी की संतान धरती से कैसे आई?
कहानी उस समय की है, जब मीथिला प्रदेश लगातार कई सालों से भीषण सूखे की मार झेल रहा था. खेतों में अनाज पैदा नहीं हो रहा था. वर्षा हो नहीं रही थी, इसलिए जल के सभी स्रोत सूख चुके थे. प्रजा जीवन के लिए लड़ाई रही थी. राजा जनक को अपनी प्रजा के बारे में चिंता होने लगी थी. वो ये सोच रहे थे कि आखिर इस विनाशकारी संकट से मुक्ति कैसे मिले?
राजा जनक को दी सलाह
इसके बाद राजा जनक ने कई ऋषियों, मुनियों और विद्वानों से सलाह ली. सभी ने राजा जनक को सलाह दी कि प्रकृति को प्रसन्न करने के लिए राजा को विशेष यज्ञ करना चाहिए. राजा जनक से ये भी कहा गया कि यज्ञ के बाद इंद्र देव को प्रसन्न करने के लिए अपने हाथों से खेत में हल चलाना चाहिए और खेत को स्पर्श करना चाहिए. इसके बाद राजा जनक ने सलाह मानकर यज्ञ की तैयारी की।
यज्ञ बड़े भक्ति भाव से शुरू और संपन्न हुआ. फिर राजा जनक ने सोने का हल लिया और सूखी भूमि पर चलाने के लिए स्वंय उतरे. वे धीरे-धीरे खेत जोत रहे थे, तभी अचानक हल की नोक किसी कठोर वस्तु से टकराई और रुक गई. राजा जनक चौंक गए. उन्होंने आदेश किया कि जहां हल टकराया उस स्थान को खोदा जाए. जब मिट्टी हटाई गई, तो वहां से एक चमकता हुआ संदूक मिला।
जब संदूक को खोला गया तो उसमें एक नवजात कन्या थी, जो अलौकिक तेज से चमक रही थी और अत्यंत सुंदर थी. उस बच्ची को देखते ही राजा जनक को एहसास हो गया कि यह बच्ची परमशक्ति का अवतार है. जैसे ही राजा जनक ने कन्या को गोद में उठाया तो आकाश में बादल छा गए और अचानक तेज वर्षा होने लगी।ब
इसलिए नाम रखा गया सीता
इससे मिथिला की धरती का सूखा समाप्त हो गया और धरती हरी-भरी हो गई. राजा जनक और उनकी रानी सुनयना को कोई संतान नहीं थी. उन्होंने इस बालिका को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार कर लिया. चूंकि यह कन्या उन्हें हल की सीत यानी हल की नोक के स्पर्श से मिली थी, इसलिए राजा जनक ने इसका नाम रखा सीता। सीता जन्म कहानी: जनक नंदिनी की संतान धरती से कैसे आई?







