
Sasta Home Loan Mahilao ke liye: घर हो अपना का सपना पूरा करेगी मोदी सरकार, महिलाओं को मिलेगा सस्ता कर्ज; नवरात्रि में हो सकती है यह घोषणा!

महिला आरक्षण कानून लाने के बाद केंद्र सरकार 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के लिए बड़ी घोषणा करने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, महिलाओं के नाम पर लिए जाने वाले हर तरह के कर्ज की ब्याज दरें पुरुषों के मुकाबले कम की जाएंगी। इससे संबंधित योजना की घोषणा नवरात्र के दौरान हो सकती है।
केंद्र सरकार ने महिलाओं को सस्ता कर्ज दिलाने के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर ली है। कर्ज पर छूट कितनी मिलेगी? इस सवाल पर वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि अभी इसका खुलासा नहीं किया जा सकता।
लेकिन, यह संभव है कि 30-40 लाख रुपए तक का होम लोन लेने वाली महिलाओं को ब्याज में छूट मिलेगी। अगर महिला होम लोन के को-एप्लिकेंट हों तो भी यह छूट मिल सकती है। माना जा रहा है कि बैंकों के अलावा NBFC संस्थाएं भी सस्ते कर्ज की योजनाएं लाएंगी।
महिलाओं को प्रॉपर्टी बनाने के लिए मोटिवेट करने का लक्ष्य
महिलाओं को कर्ज के ब्याज में छूट देने के लिए कुछ गाइडलाइन बनाई जाएंगी। सामान्य महिलाओं को तो ये छूट मिलेगी ही, लेकिन सिंगल चाइल्ड मदर, ओनली गर्ल चाइल्ड मदर या विधवा को अधिक छूट मिल सकती है।
वहीं, वर्किंग वूमेन्स को भी सस्ती दरों पर कर्ज देने पर विचार किया जा रहा है। इसके पीछे मकसद यह है कि 1 से 5 साल के दौरान रोजगार से जुड़ी युवतियों को छूट का लाभ दिया जाए, जिससे वे प्रॉपर्टी बनाने के लिए मोटिवेट हो सकें।
भाजपा के रणनीतिकारों को लगता है कि जैसे राज्यों में जमीन या मकान की रजिस्ट्री पर कम शुल्क की वजह से महिलाओं के नाम पर ज्यादा संपत्ति दर्ज हो रही हैं, ठीक वैसे ही महिलाओं के नाम पर लोन बढ़ने से उनकी अचल संपत्ति भी बढ़ने लगेगी।
होम लोन में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा
महिलाएं होम लोन लेने के मामले में पुरुषों से अधिक हैं। 46% पुरुषों के मुकाबले 48% महिलाओं ने होम लोन लिया है। बाकी के 6% लोन संयुक्त रूप से लिए गए हैं। व्यवसाय, खेती और बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए भी महिलाओं में लोन का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है।
सरकार को लगता है कि जो दल 33% महिला आरक्षण विधेयक को तत्काल प्रभाव से लागू नहीं करने को लेकर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें उत्तर देने के लिए यह योजना काफी है।
मोदी सरकार का महिलाओं को सशक्त बनाने पर जोर
संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल के पास होने और काननू बनने के बाद देश में हर सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी पर खूब चर्चा होने लगी है। यह कानून बनने के बाद भी देश की महिलाओं को पुरुषों के बराबर आने में अभी 149 साल लगेंगे। जबकि, दुनिया में लैंगिक समानता में 131 साल लगेंगे।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2023 में ये अनुमान लगाया गया है। आधार यह है कि 2006 से 2023 के बीच लैंगिक समानता सिर्फ 4% सुधरकर 68% पर पहुंची है। इसी रफ्तार से बढ़े तो साल 2154 से पहले 100% तक पहुंचना मुश्किल है। चूंकि भारत में यह 64% पर है, ऐसे में यहां 18 साल ज्यादा लगेंगे।