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ज्ञानवापी पर सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान से सियासी बवाल, विपक्ष ने की निंदा

ज्ञानवापी पर सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान से सियासी बवाल, विपक्ष ने की निंदा

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वाराणसी में ज्ञानवापी का मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इस बार सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ के एक बयान ने इसे हवा दी है. इस पर सियासत भी तेज हो गई है. रविवार को गोरखपुर में नाथपंथ की एक संगोष्ठी थी. इसमें सीएम योगी ने कहा कि कुछ लोग हैं, जो ज्ञानवापी को मस्जिद कहते हैं, जबकि ज्ञानवापी भगवान विश्वनाथ का स्वरूप है. ज्ञानवापी पर सीएम के इस बयान ने सबको चौंका दिया है.

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सीएम योगी के बयान को हिंदू धर्म गुरु सही बता रहे हैं. वहीं, मुस्लिम धर्म गुरुओं का कहना है कि सीएम को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए. उनको ऐसा नहीं बोलना चाहिए. हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहा कि योगी जी ने सही बयान दिया है. लोग कह रहे हैं कि उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए. ऐसा कहने वाले लोग बताएं कि आखिर कैसे बयान देने चाहिए.

सीएम को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए

एआईएमजे के अध्यक्ष शहाबुद्दीन बरेलवी का कहना है कि सीएम को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए. मामला कोर्ट में चल रहा है. उनको ऐसी बात शोभा नहीं देती है. उनको याद रखना चाहिए कि वो किस पद पर बैठे है और सबके सीएम हैं. ज्ञानवापी ऐतिहासिक मस्जिद है और कई सौ साल पुरानी है. मुख्यमंत्री का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है.

बीजेपी के पास जनता को बताने के लिए कुछ नहीं

कांग्रेस नेता दानिश अली ने कहा कि बीजेपी के पास जनता को बताने के लिए कुछ नहीं रहा है. लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं. मगर, जनता ने उन्हें बता दिया है कि लोगों को धर्म के नाम पर आप बांट नहीं सकते हैं. बीजेपी नेता रत्नाकर सिंह ने कहा कि मामला अदालत में जरूर है लेकिन क्या हम अपनी आस्था छोड़ दें. काशी, अयोध्या और मथुरा हमारी पहचान है.

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उन्होंने कहा, अगर हम अपनी पहचान को फिर से स्थापित करने की बात कहते हैं तो लोग कहते हैं कि इस पर नहीं बोलना चाहिए क्योंकि मामला कोर्ट में है. उलेमा काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना नदीमुद्दीन ने कहा कि मामला कोर्ट में है. सीएम को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए. वो संवैधानिक पद पर बैठे हैं. वो सबके सीएम हैं.

 

Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक पत्रकारिता, संपादक यशभारत डॉट काम

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