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Nitasha Kaul: यूके में रहने वाली प्रोफेसर निताशा कौल का OCI कार्ड रद्द क्यों किया गया?

Nitasha Kaul: यूके में रहने वाली प्रोफेसर निताशा कौल का OCI कार्ड रद्द क्यों किया गया?

Nitasha Kaul: यूके में रहने वाली प्रोफेसर निताशा कौल का OCI कार्ड रद्द क्यों किया गया?।  यूके में रहने वाली भारतीय मूल की प्रोफेसर निताशा कौल इस समय सुर्खियों में बनी हुई हैं. निताशा कौल का ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड कैंसिल कर दिया गया है. इसी बीच चलिए जानते हैं कि OCI कार्ड क्या होता है और इसको कैसे हासिल किया जाता है मदरसों में गूंजेगा सेना का पराक्रम, मौलाना की जुबानी सुनिए ऑपरेशन सिंदूर की गाथा

Nitasha Kaul: यूके में रहने वाली प्रोफेसर निताशा कौल का OCI कार्ड रद्द क्यों किया गया?

भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सीजफायर के बाद भारत अलर्ट मोड में आ गया है. इसी बीच कई जासूसों पर शिकंजा कसा गया है. ब्रिटेन में भारतीय मूल की प्रोफेसर निताशा कौल का भी देश ने भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का कारण देते हुए ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) का दर्जा रद्द कर दिया है. इससे पहले भी कौल को पिछले साल बेंगलुरु एयरपोर्ट पर उतरने के कुछ घंटों के अंदर ही डिपोर्ट कर दिया गया था

निताशा कौल ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर OCI कार्ड रद्द होने की जानकारी दी. उन्होंने भारत सरकार की तरफ से जारी नोटिस का एक अंश शेयर किया, जिस पर लिखा था, यह भारत सरकार के ध्यान में लाया गया है कि आप दुर्भावना से प्रेरित होकर और तथ्यों या इतिहास से पूरी तरह से हट कर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रही हैं.

OCI क्या होता है?

भारत में कई तरह के लोग रहते हैं, कुछ मूल नागरिक होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो एनआरआई होते हैं या फिर भारतीय मूल के होते हैं. इसी तरह एक ओवरसीज सिटिजन भी होते हैं. यह कार्ड उन लोगों को दिया जाता है जो भारतीय मूल के होते हैं, लेकिन विदेश में रहते हैं. इनके दादा-दादी या परिवार का कोई सदस्य माता-पिता भारत के नागरिक होते हैं. इस कार्ड के तहत इन विदेशी नागरिकों को अनिश्चित काल (indefinite period) के लिए बिना किसी समय सीमा के भारत में रहने और काम करने का अधिकार दिया जाता है.

यह बिना वीजा के जब चाहे भारत में आ सकते हैं. हालांकि, इसको ऐसे भी समझा जा सकता है कि यह एक तरह का वीजा है जो इन लोगों को दिया जाता है और यह इन्हें कभी भी देश में आने-जाने की इजाजत देता है. प्रोफेसर निताशा कौल भी ऐसी ही एक ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया थी और उनके पास यह कार्ड था.

किस-किस को मिलता है कार्ड

इस कार्ड को अप्लाई करने के लिए भारत सरकार की आधिकारिक OCI वेबसाइट

 

(https://ociservices.gov.in/) पर जाना होगा. इस वेबसाइट पर जाने के बाद आप देखेंगे की सबसे पहले आपको वो सारी चीजें देखनी होंगी कि इसको अप्लाई करने के लिए योग्य है या नहीं. चलिए समझ लेते हैं कि कौन-कौन OCI कार्ड अप्लाई करने के लिए एलिजिबल है.

वेबसाइट के मुताबिक, एक विदेशी नागरिक, – (i) जो 26 जनवरी 1950 के समय या उसके बाद किसी भी समय भारत का नागरिक था; या (ii) जो 26 जनवरी 1950 को भारत का नागरिक बनने के योग्य था; या (iii) जो उस क्षेत्र से संबंधित था जो 15 अगस्त, 1947 के बाद भारत का हिस्सा बन गया; या (iv) जो ऐसे नागरिक का बच्चा या पोता या परपोता है जो उस समय भारत का नागरिक था; या (v) जो ऊपर बताए गए व्यक्तियों का नाबालिग बच्चा है; या (vi) जो नाबालिग बच्चा है और जिसके माता-पिता दोनों भारत के नागरिक हैं या माता-पिता में से एक भारत का नागरिक है – ओसीआई कार्डधारक के रूप में पंजीकरण कर सकता है.

इसके अलावा, भारत के नागरिक के विदेशी मूल के पति या विदेशी मूल के oci कार्डहोल्डर के पति-पत्नी जिनकी शादी को 2 साल से ज्यादा समय हो गया है वो भी इस के लिए अप्लाई कर सकते हैं.

कौन नहीं कर सकता अप्लाई

जहां हम ने यह जान लिया है कि कौन-कौन इस में अप्लाई कर सकता है. वहीं, अब यह जानना भी जरूरी है कि कौन इसका पात्र नहीं है. कोई भी व्यक्ति, जो या जिनके माता-पिता या दादा-दादी या परदादा में से कोई भी पाकिस्तान, बांग्लादेश या ऐसे अन्य देश का नागरिक है या वहां पर रहा है वो oci कार्ड के लिए अप्लाई नहीं कर सकता है.

हालांकि, इसी के साथ टूरिस्ट वीजा, मिशनरी वीजा और पर्वतारोहण वीजा (Mountaineering Visa) पर रहते हुए विदेशी नागरिक भारत में ओसीआई के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा, भारत में ओसीआई पंजीकरण के लिए आवेदन करने के लिए पात्र होने के लिए विदेशी नागरिक को सामान्य रूप से भारत का निवासी होना चाहिए. या तो उन्हें भारत में या किसी देश में 6 महीने से ज्यादा तक का समय बिताना होगा Nitasha Kaul: यूके में रहने वाली प्रोफेसर निताशा कौल का OCI कार्ड रद्द क्यों किया गया? मदरसों में गूंजेगा सेना का पराक्रम, मौलाना की जुबानी सुनिए ऑपरेशन सिंदूर की गाथा

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