FEATUREDLatestमध्यप्रदेशराष्ट्रीय

सूरज के रहस्यमयी कोरोना से वैज्ञानिकों को मिले अहम संकेत, खोज में नया मोड़

सूरज के रहस्यमयी कोरोना से वैज्ञानिकों को मिले अहम संकेत, खोज में नया मोड़

सूरज के रहस्यमयी कोरोना से वैज्ञानिकों को मिले अहम संकेत, खोज में नया मोड़।  इस समय गर्मी का पारा काफी हाई हो गया है. सूरज आग उगल रहा है. लेकिन सूरज की इस दुनिया की एक नई रहस्यमय चीज की खोज की गई है. सूरज की दुनिया काफी दिलचस्प है और इसी को लेकर कई तरह की रिसर्च की जा रही है। सूरज के रहस्यमयी कोरोना से वैज्ञानिकों को मिले अहम संकेत, खोज में नया मोड़

दरअसल, सामने आया है कि सौर कोरोना में छोटे लूप छिपे हुए हैं. पहले यह छोटे लूप क्या है, यह समझने से पहले यह समझना जरूरी है कि सौर कोरोना क्या होता है. सौर कोरोना (Solar Corona) सूरज की सबसे ऊपरी परत है, जो सूरज की सतह (Photosphere) से बाहर फैली होती है. यह परत बहुत ही पतली, लेकिन बेहद गर्म होती है. इसका पारा 10 लाख डिग्री सेल्सियस तक होता है.

छोटे लूपों की दुनिया

एक नई खोज में सामने आया है कि सूरज के वायुमंडल की निचली परतों में छोटे प्लाज्मा लूपों की एक चमकदार दुनिया है. वे इतने छोटे हैं कि अब तक छुपे हुए हैं. हालांकि, उनके पास सूरज के सबसे गहरे रहस्यों में से एक का सुराग है – जो बताता है कि सूरज कैसे चुंबकीय ऊर्जा (Magnetic Energy ) को स्टोर और रिलीज करता है.

हालांकि, सूरज हमारी आंखों को स्थिर दिखाई देता है, सूरज की चमकती सतह के पीछे कम घना, लेकिन काफी गतिशील वातावरण है, जो प्लाज्मा से बना है.

10 लाख डिग्री का तापमान

सूरज की बाहरी परत की सबसे दिलचस्प विशेषताओं में कोरोनल लूप, गर्म प्लाज्मा की चाप जैसी संरचनाएं हैं जो 10 लाख डिग्री से अधिक तापमान पर चमकती हैं. जबकि सोलर कोरोना ( solar corona ) या बाहरी वायुमंडल में इन बड़े लूपों पर रिसर्च लंबे समय से की जा रही है, वैज्ञानिक अब इन लूपों के छोटे हिस्सों पर भी ध्यान दे रहे हैं.

मिनी लूप कितने बड़े?

ये मिनी लूप लगभग 3,000-4,000 किमी लंबे हैं (लगभग कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी) के बराबर. हालांकि, इनकी चौड़ाई 100 किलोमीटर से भी कम है. इससे उन पर रिसर्च करना और भी ज्यादा चुनौती बन जाता है. दरअसल, यह सूर्य के वायुमंडल की निचली परतों में छिपे हुए हैं इसी के चलते इन पर रिसर्च करना मुश्किल हो जाता है.

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) (Indian Institute of Astrophysics (IIA), के एस्ट्रोनॉमर्स और उनके सहयोगियों ने इस दिलचस्प दुनिया पर रिसर्च करने के लिए हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी का इस्तेमाल किया. आईआईए में पीएचडी छात्र अन्नू बूरा ने कहा, ये छोटे लूप बहुत जल्दी मर जाते हैं, यह सिर्फ कुछ मिनटों तक ही जीवित रहते हैं. हालांकि, वे छोटे हैं, जब सूरज को समझने की बात आती है तो ये लूप अपने वजन से अधिक होते हैं.

टीम ने इन छोटे पैमाने के कोरोनल लूपों की जांच करने के लिए अत्याधुनिक दूरबीनों का इस्तेमाल किया. उन्होंने इन लूपों का पता लगाने के लिए बीबीएसओ में गुड सोलर टेलीस्कोप, नासा के इंटरफेस रीजन इमेजिंग स्पेक्ट्रोग्राफ (आईआरआईएस) और सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी (एसडीओ) से डेटा इकट्ठा किया.

हाइड्रोजन परमाणुओं (hydrogen atoms) से एच-अल्फा वर्णक्रमीय रेखा (spectral line ) सौर क्रोमोस्फीयर की जांच के लिए एक अहम लाइन है, जो सूरज की दृश्य सतह के ठीक ऊपर मौजूद है. टीम ने पाया कि लाल, या लॉन्ग वेवलेंथ, लाइन के हिस्से में, ये लूप कोरोनल लूप के जैसे ही चमकती, नाजुक चाप के रूप में दिखाई देती हैं।

 

लूपों के अंदर बढ़ रहा तापमान

इन लूपों के अंदर प्लाज्मा के तापमान को समझने की कोशिश की गई. परिणामों से पता चला कि प्लाज्मा का तापमान कई मिलियन डिग्री से ऊपर बढ़ रहा था. जिसे एसडीओ के वायुमंडलीय इमेजिंग असेंबली में देखा जा सकता था।

Back to top button