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जून में महंगाई छिप गई, CPI गिरा 2.5% पर -सब्जियाँ‑दालें फिर से सस्ती

जून में महंगाई छिप गई, CPI गिरा 2.5% पर -सब्जियाँ‑दालें फिर से सस्ती

जून में महंगाई छिप गई, CPI गिरा 2.5% पर -सब्जियाँ‑दालें फिर से सस्ती। देश के लिए महंगाई के मोर्चे से अच्छी खबर सामने आ रही है. भारत में थोक महंगाई ने जून 2025 में 20 महीने का सबसे निचला स्तर छू लिया. सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित महंगाई दर सालाना आधार पर 0.13% रही, जो अक्टूबर 2023 के बाद सबसे कम है. मई में ये दर 0.39% थी, यानी महंगाई का ग्राफ तेजी से नीचे आया. सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों ने ये साफ कर दिया कि खाने-पीने की चीजों और ईंधन के दाम गिरने से महंगाई पर लगाम लगी है. रॉयटर्स के अर्थशास्त्रियों के सर्वे ने अनुमान लगाया था कि जून में महंगाई 0.52% तक बढ़ सकती है, लेकिन ये उससे भी कम रही

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आम आदमी को राहत मिली

खाने-पीने की चीजों की कीमतों में उतार-चढ़ाव ने थोक महंगाई को नीचे लाने में बड़ी भूमिका निभाई. जून में सब्जियों की महंगाई दर 22.65% रही, जो मई के 21.62% से थोड़ी कम थी. प्याज की महंगाई 33.49% रही, जो मई में 14.41% थी. आलू के दाम में 32.67% की भारी गिरावट दर्ज की गई, जबकि मई में ये 29.42% कम थी. दालों के दाम 22.65% गिरे, जो मई में 10.41% कम थे. अनाज की महंगाई भी 3.75% रही, जो मई में 2.56% थी. कुल मिलाकर, रसोई का सामान सस्ता होने से आम आदमी को राहत मिली है.

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दाम में कमी ने भी महंगाई को काबू में रखा

ईंधन और बिजली के दाम में कमी ने भी महंगाई को काबू में रखा. जून में इस सेगमेंट की महंगाई 2.65% रही, जो मई में 22.27% थी. यानी ईंधन और बिजली की कीमतों में भारी कमी आई है. वहीं, मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स, जो WPI बास्केट का 60% से ज्यादा हिस्सा हैं, उनकी महंगाई दर 1.97% रही. प्राथमिक वस्तुओं (प्राइमरी आर्टिकल्स) की महंगाई जून में 3.38% घटी, जबकि मई में ये 2.02% कम थी.

बेसिस पॉइंट की कमी आई

थोक महंगाई के साथ-साथ रिटेल महंगाई भी मई 2025 में छह साल के निचले स्तर 2.82% पर आ गई. अप्रैल की तुलना में इसमें 34 बेसिस पॉइंट की कमी आई है. ये फरवरी 2019 के बाद सबसे कम रिटेल महंगाई दर है. सस्ते खाने-पीने की चीजों ने इसमें बड़ा योगदान दिया

 

RBI ने FY26 के लिए महंगाई का अनुमान 4.2% से घटाकर 4% कर दिया

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने अप्रैल की बैठक में कहा था कि खाने-पीने की चीजों के दाम नरम होने से महंगाई में कमी आ रही है. RBI ने FY26 के लिए महंगाई का अनुमान 4.2% से घटाकर 4% कर दिया. तिमाही अनुमान के मुताबिक, पहली तिमाही में महंगाई 3.6%, दूसरी में 3.9%, तीसरी में 3.8% और आखिरी तिमाही में 4.4% रहने की उम्मीद है. RBI का मानना है कि महंगाई के जोखिम अभी संतुलित हैं

 

मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स और ईंधन की कीमतों में कमी

सस्ती सब्जियां, दालें और ईंधन आम आदमी के लिए राहत की खबर हैं. मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स और ईंधन की कीमतों में कमी से कई सेक्टर्स की लागत घट सकती है. जानकारों का कहना है कि अगर महंगाई का ये रुझान जारी रहा तो उपभोक्ताओं को और राहत मिल सकती है. हालांकि, लंबे समय तक नकारात्मक महंगाई अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का सबब भी बन सकती है. अगले WPI आंकड़े 14 अगस्त 2025 को आएंगे, जो बाजार की दिशा को और साफ करेंगे.जून में महंगाई छिप गई, CPI गिरा 2.5% पर -सब्जियाँ‑दालें फिर से सस्ती

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