मुगल रसोई से आज की थाली तक: कैसे आई रुमाली रोटी भारतीय ज़ायके में
मुगल रसोई से आज की थाली तक: कैसे आई रुमाली रोटी भारतीय ज़ायके में

15 may 2025: Rumali Roti- मुगल रसोई से आज की थाली तक: कैसे आई रुमाली रोटी भारतीय ज़ायके में, रुमाली रोटी… नाम सुनते ही जुबान पर नर्म, पतली और बड़ी सी रोटी का स्वाद तैर जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस हल्की और रेशमी रोटी की जड़ें सीधे मुगलकालीन रसोई से जुड़ी हैं? चलिए जानते हैं कि कैसे यह “रुमाल जैसी रोटी” भारत के खाने का अभिन्न हिस्सा बन गई।
मुगल रसोई से आज की थाली तक: कैसे आई रुमाली रोटी भारतीय ज़ायके में
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रुमाली रोटी की कहानी
1. नाम क्यों पड़ा “रुमाली”?
इस रोटी को “रुमाली” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिखने में किसी रुमाल (हैंडकी) जैसी होती है – बहुत पतली, मुलायम और बड़ी। इसे हाथ में ऐसे लपेटा जा सकता है जैसे कोई कपड़ा।
2. मुगल रसोई से शुरुआत
रुमाली रोटी की शुरुआत मुगल काल में हुई। इसे खासतौर पर शाही दावतों में कबाब और ग्रेवी वाले व्यंजनों के साथ परोसा जाता था, क्योंकि इसकी बनावट ग्रेवी को अच्छे से पकड़ लेती थी और खाने का मज़ा दोगुना हो जाता था।
3. बनाने का खास तरीका
रुमाली रोटी को तंदूर या उलटे तवे (डोम शेप्ड तवे) पर पकाया जाता है। इसे बनाने के लिए आटे में मैदा और दूध मिलाया जाता है ताकि वो नर्म और लचीली रहे। फिर इसे बहुत पतला बेलकर एक ही पल में सेक लिया जाता है।
4. भारत में कैसे लोकप्रिय हुई?
समय के साथ जब मुगल खानपान आम जनता तक पहुंचा, तो रुमाली रोटी भी रेस्टोरेंट्स, ढाबों और शादी-ब्याह की दावतों का हिस्सा बन गई। खासकर उत्तर भारत, दिल्ली, लखनऊ, और हैदराबाद जैसे शहरों में यह बेहद लोकप्रिय है।
5. किसके साथ खाएं रुमाली रोटी?
रुमाली रोटी को आमतौर पर खाए जाते हैं:
- चिकन या मटन कबाब
- बटर चिकन
- कोरमा
- दाल मखनी
सार:
रुमाली रोटी सिर्फ एक रोटी नहीं, यह भारत की रसोई में मुगल विरासत की नर्म याद है