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GST Big Update: डिजिटल बिलिंग प्रणाली: हर बिल की ऑनलाइन एंट्री,1 नवंबर से नए दिशानिर्देश

GST Big Update: डिजिटल बिलिंग प्रणाली: जीएसटी में 1 नवंबर से नए दिशानिर्देश।गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) में अब हर बिल, इनवायस, चालान की ऑनलाइन एंट्री होगी और उसे स्वीकार या अस्वीकार करने का विकल्प भी दर्ज करना होगा।

1 नवंबर से यह नई व्यवस्था लागू हो रही है। जीएसटी कॉमन पोर्टल पर इस नए सिस्टम को इनवाइस मैनेजमेंट सिस्टम (आईएमएस) के नाम से लागू किया गया है।

मप्र टैक्स ला बार एसोसिएशन ने परिचर्चा इनवाइस मैनेजमेंट सिस्टम(आईएमएस) की कार्यप्रणाली और आईटीसी पर पड़ने वाले प्रभावों का व्यावहारिक एवं प्रायोगिक विश्लेषण आयोजित की। सेवानिवृत्त सहायक आयुक्त संजय सूद और एडवोकेट अमित दवे चर्चा के सूत्रधार थे।

 

करदाताओं को मिलेगा यह फायदा

एडवोकेट गौरव नीमा ने कहा कि करदाताओं को उपलब्ध आईटीसी निर्धारित करने में आईएमएस महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

यह सुनिश्चित करेगा कि केवल वैध और सत्यापित आईटीसी ही ले पाएगा, इससे त्रुटियों और धोखाधड़ी के मामले कम होंगे।

मप्र टैक्स लॉ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट अश्विन लखोटिया द्वारा कहा गया कि अब भी इसमें कई कमियां है। आईएमएस में सप्लायर एवं रिसीवर दोनों को संशोधन का विकल्प मिलना चाहिए।

इसका उपयोग करने पर ही इससे संबंधित कमियां सामने आयेगी। वरिष्ठ कर सलाहकार संतोष मोलासरिया, सुभाष बाफना, केदार हेडा, एके गौर, अमर माहेश्वरी ने चर्चा में हिस्सा लिया।

 

नई व्‍यवस्‍था में यह होगा

 

आपूर्ति कर्ता अपने जीएसटीआर-वन में मूल चालान या रिकार्ड फाइल करेंगे।
प्राप्तकर्ता को आइएमएस में ये उपलब्ध होंगे। इसके बाद प्राप्तकर्ता इन बिलों-चालानों पर कार्रवाई करेंगे।
इसमें तीन तरीके से प्राप्तकर्ता को कार्रवाई करना होगी। या तो वे उसे स्वीकार करेंगे।
आइएमएस में स्वीकार करने पर ऐसे बिल आइटीसी उपलब्ध वाले अनुभाग का हिस्सा बन जाएंगे और इनका आइटीसी हासिल करने के लिए रिटर्न फार्म थ्री-बी स्वत: भर जाएगा।

दूसरी स्थिति में जिन बिलों को अस्वीकार किया जाएगा वे अस्वीकृत अनुभाग में आ जाएंगे।
ये आइटीसी का हिस्सा नहीं बन सकेंगे। इसके साथ रिकार्ड को लंबित श्रेणी में रखा जा सकेगा।
ऐसे रिकार्ड आइएमएस डेशबोर्ड पर दिखेंगे लेकिन रिटर्न फार्म 2-बी या 3-बी का हिस्सा नहीं बनेंगे। जब तक कि इन्हें स्वीकार या अस्वीकार नहीं किया जाता।

सभी विभागों में एक जनवरी से ई-आफिस व्यवस्था लागू करने के दिए निर्देश

भोपाल। मध्य प्रदेश को विकसित बनाना है। इसके लिए आय भी बढ़ानी होगी। सभी विभाग आय के नए स्रोत तलाशें। निवेश बढ़ाने के लिए निवेशकों से संपर्क करें और उनके प्रस्तावों के क्रियान्वयन पर ध्यान दें। एक जनवरी 2025 तक सभी विभागों में ई-आफिस प्रणाली लागू की जाए।

इसके लिए सभी व्यवस्था समय रहते पूरी कर ली जाए। इससे कार्यप्रणाली में पारदर्शिता और गतिशीलता आएगी। समय-सीमा में काम हो सकेंगे। यह बात मुख्य सचिव अनुराग जैन ने शुक्रवार को मंत्रालय में वरिष्ठ अधिकारियों के बाद विभागाध्यक्षों और निगम-मंडलों के प्रबंध संचालकों के साथ पहली बैठक में कही।

उन्होंने कहा कि आप सभी सरकार के महत्वपूर्ण अंग हैं। योजनाओं का क्रियान्वयन एवं नियमों का पालन कराना और उसके अच्छे परिणाम आए, उसकी जिम्मेदारी आपकी है। प्रदेश के वित्तीय वित्तीय संसाधन कैसे बढ़ाए जाएं, इस पर सभी को समान रूप से काम करना चाहिए।

 

ऐसे स्रोत तलाशे जाएं, जिससे आमजन पर कोई बोझ न पड़े। न्यायालय में चल रहे प्रकरणों का प्राथमिकता के आधार पर निराकरण किया जाए।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, प्रसूति सहायता योजना, संबल, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना सहित प्रदेश में संचालित हो रही अन्य योजनाओं पर अमल में आ रही समस्याओं के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली।

समाधान के लिए आपस में समन्वय एवं संवाद पर बल दिया। सीएम हेल्पलाइन की शिकायतों का प्राथमिकता से हो निराकरण जैन ने अधिकारियों से कहा कि सीएम हेल्पलाइन में जो शिकायतें आती हैं, उनका निराकरण प्राथमिकता से किया जाए।

यह योजनाओं के संबंध में फीडबैक प्राप्त करने का भी महत्वपूर्ण साधन है। इसमें लापरवाही नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अतंर्गत अभियान चलाकर किसानों की ई-केवाईसी कराया जाए।

बैठक में लोक सेवा गारंटी, समय-सीमा में कार्यों का निष्पादन, कार्यों में पारदर्शिता, मानव संसाधन प्रबंधन सहित अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की।
इस दौरान आलोक सिंह, अविनाश लवानिया, कुमार पुरुषोत्तम, अभिजीत अग्रवाल, चंद्रमौली शुक्ला, हर्षिका सिंह, प्रियंका दास ने अपने-अपने विभागों से जुड़ी योजनाओं के साथ नवाचारों और समस्याओं के बारे में भी जानकारी दी।

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