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यूएस-इंडिया ट्रेड वॉर गहराया: निर्यातकों को राहत देने की तैयारी में सरकार

यूएस-इंडिया ट्रेड वॉर गहराया: निर्यातकों को राहत देने की तैयारी में सरकार

यूएस-इंडिया ट्रेड वॉर गहराया: निर्यातकों को राहत देने की तैयारी में सरकार। वोंटोबेल में ईएम इक्विटीज के सह-प्रमुख राफेल लुएशर का कहना है कि उच्च टैरिफ भारत की विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। इससे अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव में आने वाली भारतीय कंपनियां भी निवेश संबंधी फैसले टाल सकती हैं, जिसका नकारात्मक असर नौकरियों पर पड़ सकता है।

यूएस-इंडिया ट्रेड वॉर गहराया: निर्यातकों को राहत देने की तैयारी में सरकार

भारतीय उत्पादों पर बुधवार से 50 फीसदी उच्च अमेरिकी टैरिफ लागू गया है। इससे 48.2 अरब डॉलर के भारतीय निर्यात पर असर पड़ेगा। ट्रंप टैरिफ की वजह से भारतीय उत्पाद अमेरिकी बाजारों में काफी महंगे हो जाएंगे, जिससे घरेलू निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के प्रतिस्पर्धियों की स्थिति कम टैरिफ के कारण अमेरिकी बाजार में बेहतर होगी। इस चुनौती से निपटने के लिए मोदी सरकार को बड़े स्तर पर प्रयास करने होंगे, अन्यथा न सिर्फ देश की जीडीपी पर असर पड़ेगा, बल्कि भारत को वैश्विक विनिर्माण हब बनाने का लक्ष्य भी प्रभावित होगा।

वोंटोबेल में ईएम इक्विटीज के सह-प्रमुख राफेल लुएशर का कहना है कि उच्च टैरिफ भारत की विनिर्माण महत्वाकांक्षाओं को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। इससे अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव में आने वाली भारतीय कंपनियां भी निवेश संबंधी फैसले टाल सकती हैं, जिसका नकारात्मक असर नौकरियों पर पड़ सकता है। कपड़ा, जूते, आभूषण और ऑटो पार्ट्स उद्योगों में अगले 12 महीनों में 10-15 लाख नौकरियां जा सकती हैं। अकेले कपड़ा क्षेत्र में एक लाख से ज्यादा रोजगार प्रभावित होने की आशंका है। सूरत और मुंबई के रत्न-आभूषण उद्योग में भी एक लाख से ज्यादा नौकरियां जाने का खतरा है।

टैरिफ से कई सेक्टर होंगे प्रभावित: बड़े प्रयास की दरकार

भारत अमेरिका को 10.3 अरब डॉलर का कपड़ा निर्यात करता है। उच्च टैरिफ की वजह से भारतीय परिधान अमेरिकी बाजार में बांग्लादेश और वियतनाम (इन पर 20 फीसद टैरिफ) के मुकाबले महंगे हो जाएंगे। इससे टेक्सटाइल/परिधान निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाजार में उत्पाद बेचना मुश्किल हो जाएगा।
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) ने कहा, तिरुपुर, नोएडा और सूरत के कपड़ा विनिर्माताओं ने उत्पादन रोक दिया है। यह क्षेत्र वियतनाम और बांग्लादेश के कम लागत वाले प्रतिद्वंद्वियों के सामने पिछड़ रहा है।

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