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Adrak Ki Kheti: मोतिहारी में अदरक की खेती का बूम, किसानों की आय में वृद्धि; यूट्यूब से खेती सीख लाखों की कर रहा कमाई

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Adrak Ki Kheti: मोतिहारी में अदरक की खेती का बूम, किसानों की आय में वृद्धि; यूट्यूब से खेती सीख लाखों की कर रहा कमाई। चंपारण के मोतिहारी प्रखंड में एक ऐसा किसान है, जिसके पास भले ही खेत नहीं है, लेकिन उसे खेती से हर साल लाखों की कमाई हो रही है. यह कमाई अदरक की खेती से हो रही है।

अब सोच रहे होंगे कि खेत नहीं तो वह खेती कहां करता है? इसी सवाल का जवाब ही यह पूरी खबर है. दरअसल इस किसान ने सीमेंट की बोरियों में खेती करता है. इस समय उसने 225 बोरियों में अदरक लगा रखी है और प्रत्येक बोरी से उसे दो किलो से अधिक की पैदावार मिल रही है. वह अपनी खेती जैविक तरीके से करता है और बाजार में महंगा रेट होने के बावजूद उसके अदरक की काफी डिमांड भी रहती है।

किसान बसंत कुमार के मुताबिक कुछ करने के लिए केवल संसाधनों का होना ही जरूरी नहीं है, उसके लिए जज्बा भी चाहिए. कहा कि कुछ समय पहले वह यूट्यूब पर कोई वीडियो देख रहा था. इसी दौरान उसने देखा कि कोई किसान कैसे बोरियों में अदरक की खेती कर मोटी कमाई कर रहा है. यह आइडिया उसे जंच गया और उसने भी फैसला किया कि वह भी बोरियों में ही अदरक उगाएगा. बसंत कुमार के मुताबिक वह जहां रहता है, वहां बाढ़ का खतरा बना रहता है।

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बाढ़ के समय छत पर रखते हैं बोरियां

ऐसे में वह कुछ समय तो इन बोरियों को घर के बाहर रखता है, लेकिन बाढ़ का सीजन शुरू होने से पहले इन बोरियों को छत पर पहुंचा देता है. इससे उसकी फसल बिलकुल भी बर्बाद नहीं होती. उसने बताया कि घर के पास मौजूद थोड़ी सी जमीन पर वह केले के पौधे और गोबर से वर्मी कंपोस्ट तैयार करता है और अपनी खेती में इसी खाद का इस्तेमाल करता है. बसंत ने बताया कि एक बोरी में दो किलो के आसपास अदरक तैयार हो जाता है. ऐसे में एक सीजन में उसके यहां करीब पांच कुंटल अदरक की फसल तैयार होती है.

हर साल चार से पांच लाख की आमदनी

बाजार में यह फसल बड़े आराम से 40 से 50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक जाती है. ऐसे में दोनों सीजन मिलाकर उसे आराम से हर साल चार से पांच लाख रुपये की कमाई हो जाती है. बसंत के मुताबिक उसकी फसल का इस्तेमाल लोकल मार्केट में लोग चाय बनाने के लिए करते हैं. वहीं औषधियां बनाने के लिए भी उनकी फसल की डिमांड आने लगी है. ऐसे में अब वह बोरियों की संख्या धीरे धीरे बढ़ाने लगा है. कहा कि चूंकि उसके पास खेती की जमीन नहीं है, लेकिन घर के कैंपस में ही जितनी जगह है, उसी में वह बोरियां रखकर अपनी फसल उगाता है.

 

Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक पत्रकारिता, संपादक यशभारत डॉट काम

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