
कटनी। आज 6 जुलाई विश्व जूनोटिक रोग दिवस के अवसर पर झिंझरी स्थित जिला पशु चिकित्सालय में प्रात: 10 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक नि:शुल्क रेबीज वैक्सीनेशन शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में मनुष्यों या अन्य पालतू पशुओं में होने वाले जूनोटिक रोग रेबीज का नि:शुल्क प्रतिबंधात्मक टीकाकरण/वैक्सीनेशन स्वान एवं बिल्लियों किया गया। यह शिविर ब्रिलियंट बायो फार्मा के सहयोग से आयोजित किया गया।
जिसमें सैकड़ों स्वान प्रेमी पशु पालकों ने लाभ लिया। जिला पशु चिकित्सालय पॉलीक्लीनिक के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डाक्टर आर.के.सोनी ने बताया कि रेबीज रोग संक्रमण एक जूनोटिक (पशुओं से मनुष्यों में एवं मनुष्यों से पशुओं में फैलने वाले रोग) रोग है। पशुओं में यह विशेष रूप से कुत्ते, बिल्लियों, बंदरों, जंगली जानवर लकड़बग्घों, सियार, लोमड़ी आदि मे मुख्य रूप से पाया जाता है।
यह रोग संक्रमित कुत्तों, बिल्लियों के काटने से फैलने वाला अत्यंत धातक, जानलेवा व लाइलाज रोग होता है। इस रोग से संक्रमित कुत्तों एवं बिल्लियों, बंदरों, लकड़बग्घों के द्वारा मनुष्यों या अन्य पालतू पशुओं गायों, भैंसों, भेड़ बकरियों, घोड़ों को काटे जाने पर ये भी संक्रमण का शिकार हो जाते हैं। जिससे इनकी मृत्यु हो जाती है।
विश्व में इस रोग के लक्षणों में बार-बार असामान्य आवाज से भौंकना, चिल्लाना, आस-पास की चीजों को काटना, चबाना, मुंह से लगातार लार आना, पानी से डरना, खाना पीना बंद होना, लडख़ड़ाते हुए गिरना, चक्कर आना, लकवा मारना शामिल है। इसके आने के बाद कोई भी संभव उपचार अभी तक नहीं खोजा जा सका है। सामान्यतया जिस पशु ध्मनुष्य में डॉग बाइट से रेबीज का संक्रमण हो जाता है। उसे तत्काल पोस्ट बाइट रेबीज टीके का पूरा 05 डोज(0, 3, 7, 14, 30वां दिवस) का कोर्स दिया जाना अत्यंत आवश्यक होता है, अन्यथा संक्रमण के लक्षण प्रगट होने के पूरे अवसर रहते हैं।
कई बार पोस्ट बाइट वैक्सीनेशन के दौरान या बाद में भी रोग के लक्षण आ जाते हैं। जिसके बाद पशु या मनुष्य को नहीं बचाया जा सकता है। रोग की तीव्रता शरीर में काटने के स्थान पर निर्भर करता है। यदि सिर, मुंह, गर्दन, मस्तिष्क के पास में काटा गया है तो संक्रमण के लक्षण 2-4 दिन में प्रकट होंगे।
शरीर के पिछले हिस्से में काटा गया है तो लक्षण प्रकट होने में एक सप्ताह से तीन चार महीने लग सकते हैं। इस रोग से बचाव के लिए कुत्तों, बिल्लियों के 02 से 03 माह के बच्चों में प्री बाइट रेबीज टीकाकरण का प्रथम एवं एक माह के बाद बूस्टर डोज कर दिया जाए तो इस रोग से एक वर्ष की सुरक्षा मिल जाती है, इसके पश्चात प्रति वर्ष बूस्टर डोज लगवाना आवश्यक होता है। यदि डेयरी शेड में कोई स्वान पला है तो उसका टीकाकरण अति आवश्यक है।
संक्रमित पशु की लार से बचना है इसी लार से बीमारी फैलती है, यदि लार के सम्पर्क में आ गये है जो कि अक्सर स्वान पालकों एवं डेयरी पालकों द्वारा अज्ञानता वश किसी अन्य बीमारी से पीडि़त होने के भ्रम में संक्रमित पशु को खाना खिलाने/औषधि खिलाने के प्रयास में हो जाता है।
इस अवस्था में हाथों को लाइफबॉय साबुन से कई बार धुलना है, साथ ही पोस्ट बाइट वैक्सीनेशन करवाना है। पशु को किसी तरह की पंहुच से दूर बांध कर एकांत (आइसोलेशन) में रखना है। खाने पीने के बर्तन अन्य पशु एवं पशुपालक के सम्पर्क में नहीं आयें। पशु की मृत्यु होने पर विधिवत गहरे गड्ढे में गाड़ दें एवं पशु शेड एवं बर्तन को अच्छी तरह से फिनाइल से दो तीन बार धो दें।