भारत‑यूके ट्रेड डील से निवेश का बम: multinationals करेंगी विनिर्माण में भारी विस्तार- देश को निवेश, रोज़गार और निर्यात में जबरदस्त लाभ
भारत‑यूके ट्रेड डील से निवेश का बम: multinationals करेंगी विनिर्माण में भारी विस्तार- देश को निवेश, रोज़गार और निर्यात में जबरदस्त लाभ

भारत‑यूके ट्रेड डील से निवेश का बम: multinationals करेंगी विनिर्माण में भारी विस्तार- देश को निवेश, रोज़गार और निर्यात में जबरदस्त लाभ। भारत और यूके बीच फ्री ट्रे़ड डील होने से मल्टीनेशनल कंपनियां देश में निवेश को बढ़ा सकती हैं. चाइना के आलावा इंवेस्ट का दूसरा विकल्प भारत को चुन सकती हैं।
भारत‑यूके ट्रेड डील से निवेश का बम: multinationals करेंगी विनिर्माण में भारी विस्तार- देश को निवेश, रोज़गार और निर्यात में जबरदस्त लाभ
भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुआ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट भारत को वैश्विक निवेश का नया केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता उन मल्टीनेशनल कंपनियों को भारत की ओर आकर्षित करेगा, जो ‘चाइना+वन स्ट्रैटेजी’ के तहत अपनी सप्लाई चेन को विविधता देना चाहती हैं. यूके के बाजार में 99% भारतीय सामानों को ड्यूटी-फ्री पहुंच और यूरोप के प्रवेश द्वार के रूप में यूके की स्थिति भारत को लागत-प्रभावी और आकर्षक निवेश गंतव्य बनाती है. इससे न केवल विदेशी निवेश बढ़ेगा, बल्कि टेक्सटाइल्स, फार्मा और अन्य क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, यह समझौता भारत के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकता है. यूके, जो यूरोप का प्रवेश द्वार माना जाता है, भारत के 99% सामानों को ड्यूटी-फ्री (बिना टैक्स) पहुंच प्रदान करेगा. इससे भारत में उत्पादन करने वाली वैश्विक कंपनियों को लागत कम करने और यूके के साथ-साथ यूरोपीय बाजारों में आसानी से पहुंचने का मौका मिलेगा. विशेष रूप से टेक्सटाइल्स, रत्न और आभूषण, चमड़ा, कृषि और समुद्री उत्पादों जैसे वर्क फोर्स पर निर्भर रहने वाले सेक्टर में रोजगार के अवसर खुलेंगे साथ ही इंजीनियरिंग सामान, फार्मा जैसे सेक्टर्स को भी बूस्ट मिलेगा.
निवेश में होगी बढ़ोतरी
पूर्व वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने कहा कि यह एफटीए दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को और करीब लाएगा. उन्होंने बताया कि भारत और यूके के बीच पहले से ही आर्थिक एकीकरण है, लेकिन अभी और संभावनाएं हैं. यूके के साथ एक अलग निवेश समझौता भी हो रहा है, जिसके लागू होने पर निवेश के प्रवाह के बारे में और स्पष्टता मिलेगी.
इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के सीईओ नागेश कुमार ने कहा कि यूके के बाजार में विशेष पहुंच के कारण भारत में निवेश बढ़ेगा. खासकर वे कंपनियां जो ‘चाइना+वन स्ट्रैटेजी’ के तहत अपनी सप्लाई चेन को विविधता देना चाहती हैं, वे भारत की ओर आकर्षित होंगी. भारत एक लागत-प्रभावी बाजार है, और यह समझौता कंपनियों को यूके और यूरोप में अपने उत्पादों को आसानी से पहुंचाने में मदद करेगा. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि समझौते के अंतिम नियमों और शर्तों का इंतजार करना होगा ताकि यह साफ हो सके कि भारत को निवेश के मामले में कितना फायदा होगा. कुल मिलाकर, यह एफटीए भारत के लिए निवेश, रोजगार और आर्थिक विकास के नए रास्ते खोल सकता है। भारत‑यूके ट्रेड डील से निवेश का बम: multinationals करेंगी विनिर्माण में भारी विस्तार- देश को निवेश, रोज़गार और निर्यात में जबरदस्त लाभ