श्योपुर, ग्वालियर, भोपाल के शिक्षकों को नहीं पता कौन से भोजन में आयरन

श्योपुर। श्योपुर, ग्वालियर, मुरैना और भोपाल सहित प्रदेश के 13 जिलों के सरकारी स्कूलों के शिक्षक व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का सामान्य ज्ञान पांचवी कक्षा के बच्चों के बराबर भी नहीं है।
प्राइमरी, मिडिल, हाइस्कूल व हायर सेकंडरी स्कूलों के शिक्षकों को यह भी नहीं पता कि, भोजन में कौन सी चीज खाने से शरीर को अधिक आयरन मिलता है। यह चौकाने वाली हकीकत भारत सरकार द्वारा कराए गए सर्वे में सामने आई है। इस सर्वे की रिपोर्ट महिला एवं बाल विकास विभाग की कमिश्नर पुष्पलता सिंह ने बुधवार को ही श्योपुर सहित प्रदेश के सभी 51 जिलों के कलेक्टरों को भेजी है।
दरअसल, एनीमिया और कुपोषण के खिलाफ सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की हकीकत जानने के लिए भारत सरकार ने फरवरी-मार्च महीने में ‘मॉनीटरिंग ऑफ डिस्ट्रीब्यूशन एण्ड कंजप्शन ऑफ आयरन फॉलिक एसिड सप्लीमेशन” नाम से एक सर्वे करवाया था।
यह सर्वे मप्र के साथ ही छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और गुजरात राज्य में भी हुआ। मप्र के चार संभाग ग्वालियर-चंबल, भोपाल, उज्जैन और जबलपुर के 26 जिलों की 149 ब्लॉक में एनआई इंडिया नाम की संस्था ने सर्वे किया। जिसमें, एनीमिया व कुपोषण को मिटाने वाली आयरन फॉलिक एसिड टेबलेट के वितरण, कुपोषित व एनीमिया पीड़ित बच्चों के भोजन में आयरन की सत्यता के साथ ही सरकारी स्कूलों के शिक्षकों, स्वास्थ्य विभाग की एएनएम और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं में कुपोषण, एनीमिया व पौष्टिक भोजन के प्रति जागरूकता का पता लगाया।
26 में से 13 जिलों के 09 फीसदी शिक्षक ही जागरूक
शिक्षकों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से अलग-अलग पूछा गया कि, भोजन में उपयोग होने वाली ऐसी कौन सी चीजें हैं जिनमें शरीर को आयरन मिलता है। राजगढ़ विदिशा, हरदा, छिंदवाड़ा उज्जैन, नीमच सहित 13 जिलों के 9 प्रतिशत शिक्षक इसका जवाब दे पाए।
आश्चर्य की बात यह है कि श्योपुर, मुरैना, ग्वालियर के अलावा भोपाल, अशोक नगर, बैतूल, हरदा, जबलपुर, कटनी, शाजापुर और बालाघाट जिले में एक भी शिक्षक यह नहीं बता पाया कि, पालक में सबसे ज्यादा आयरन होता है। इन जिलों में शिक्षकों की जागरूकता का प्रतिशत शून्य मिला।
किशोरी व महिलाओं से लिया फीडबैक
सर्वे करने वाली एनआई नाम की संस्था ने 26 जिलों के 149 विकासखंड में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली 15 हजार 50 किशोरी और 15 हजार 50 किशोरी ऐसी जो स्कूल नहीं जातीं उनसे आयरन फॉलिक एसिड टेबलेट का फीडबैक लिया। इसके अलावा 4580 गर्भवती महिलाओं से भी सरकारी सुविधाओं का फीडबैक लिया।
सर्वे में यह चौकाने वाले आंकड़े भी
-मुरैना जिले में स्वास्थ्य विभाग की एएनएम को भी नहीं पता कि क्या खाने से शरीर को आयरन मिलता है। इसका प्रतिशत शून्य है।
-श्योपुर जिले की मात्र 2 फीसदी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को ही आईएफए टेबलेट के तीन या इससे अधिक फायदों की जानकारी है। जबलपुर में 7 और बालाघाट जिले में 10 फीसदी कार्यकर्ता आयरन गोली के फायदे जानती हैं।
-स्कूल जाने वाली किशोरियों को नीली एएफए टेबलेट का वितरण प्रदेश में सबसे कम दतिया जिले में 12 प्रतिशत होता है। दूसरे नंबर पर मुरैना व नीमच हैं जहां 27 फीसदी किशोरियों को यह टेबलेट दी जाती है।
-स्कूल न जाने वाली किशोरियों में नीली एएफए टेबलेट वितरण में भी दतिया सबसे पीछे है जहां 2 प्रतिशत किशोरियों को यह टेबलेट मिल रही है। इसके बाद बैतूल में 10 और छिंदवाड़ा में 13 फीसदी किशोरियों को यह गोली दी जाती है।
-प्रदेश सरकार ने एनीमिया व कुपोषण के खात्मे के लिए लालिमा अभियान शुरू किया है। इसमें 15 से ज्यादा विभागों को शामिल किया गया है। सर्वे में बताया गया है हर जिले में यह अभियान कागजों में चल रहा है।
इनका कहना है
-कुपोषण व एनीमिया के लिए चलाई जा रही योजनाों की हकीकत जानने के लिए यह सर्वे किया गया। शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व एएनएम को पौष्टिक भोजन की जानकारी न होना चिंता की बात है। सभी जिलों को पत्र और सर्वे रिपोर्ट भेजी गई है जिससे कमियों को दूर कर सुधार हो सके।