शिवराज की गेम चेंजर “भावांतर योजना” से किसानों को नुकसान

भोपाल। सीएम शिवराज की गेम चेंजर स्कीम मानी जा रही और किसानों को कृषि उपज का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा लागू की गई भावांतर भुगतान योजना से किसानों को लाभ की बजाय नुकसान हो रहा है.
दरअसल, भावांतर योजना के लागू होने के तुरंत बाद व्यापारियों ने उपज के रेट कम कर दिए, नतीजा ये हुआ कि किसानों को योजना से पहले जितना पैसा मिल रहा था अब उतना भी नहीं मिल रहा है. किसानों को 16 अक्टूबर यानि योजना लागू होने से पहले जो भाव मिल रहा था अब वो भी नहीं मिल पा रहा है.
किसानों के मुताबिक 16 अक्टूबर यानि भावांतर योजना लागू होने से पहले उन्हें सोयाबीन का प्रति क्विंटल भाव 2800 रुपए मिल रहा था, लेकिन योजना लागू होने के बाद व्यापारी 2200 से 2300 रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा देने के लिए तैयार नहीं हैं. जिसके कारण प्रति क्विंटल 500 रुपए तक नुकसान हो रहा है. इसी तरह व्यापारियों ने दाल और अन्य फसलों के भाव भी गिरा दिए हैं.
किसानों का कहना है कि भावांतर का पैसा कब मिलेगा और कितना मिलेगा पता नहीं, लेकिन फौरी तौर पर किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. किसानों को जानकारी नहीं है कि पैसा खातों में कब आएगा. सरकार के ऐलान के उलट किसान को कैश मिलने में भी भारी परेशानी हो रही है. ऐसे में किसान बेहद गुस्से में हैं.
व्यापारी ये बात मान रहे हैं कि रेट कम हुए हैं. व्यापारियों का कहना है कि इसमें उनका कोई कसूर नहीं है. वो जिन प्लांट्स को फसल बेचते हैं उन्होंने रेट गिरा दिए जिससे मजबूरी में व्यापारियों को भी रेट गिराने पड़े.
वहीं मंडी सचिव ने रेट कम होने से इंकार किया है. मंडी सचिव का कहना है कि रेट में कमी नहीं आई है. थोड़ा बहुत भाव ऊपर नीचे होता रहता है कि लेकिन योजना किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई है.
क्या है भावांतर योजना..!
किसानों को कृषि उपज का उचित मूल्य प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा भावांतर भुगतान योजना लागू की गई है. योजना का शुभारंभ 16 अक्टूबर को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सागर जिले से की थी. इसके तहत अब अंतर के भुगतान की राशि सीधे किसानों के खाते में पहुंचेगी. यह योजना किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए लागू की गई है.