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योग व प्राकृतिक चिकित्सा में उपचार के साथ मिलेगा रोजगार, अगले सत्र से कॉलेजों में शुरू होगी पढ़ाई

सरकार आयुष चिकित्सा: योग व प्राकृतिक चिकित्सा में उपचार के साथ मिलेगा रोजगार, अगले सत्र से कॉलेजों में शुरू पढ़ाई होगी ।यूपी में अगले सत्र से कॉलेजों में योग व प्राकृतिक चिकित्सा की पढ़ाई होगी। कई अस्पतालों में इस विधा से उपचार व शोध भी शुरू होंगे।

 

इसके लिए आयुर्वेद, होम्योपैथी की तर्ज पर अलग से निदेशालय बनेगा। विभिन्न कॉलेजों से इस विधा की पढ़ाई पूरी करने वाले छात्रों की डिग्री को मान्यता देने के लिए बोर्ड का भी गठन किया जाएगा। इससे सैकड़ो लोगों को इस विधा में रोजगार मिलेगा। देश-विदेश में चल रही इन विधाओं के अध्ययन व अत्याधुनिक सुविधायुक्त मॉडल बनाने के लिए एक कमेटी का गठन भी किया गया है।

दरअसल, सरकार आयुष चिकित्सा पर विशेष फोकस कर रही है। इसमें शामिल आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी के अस्पताल और डिग्री को मान्यता देने के लिए बोर्ड बने हैं, लेकिन प्राकृतिक चिकित्सा, योग और सिद्धा की डिग्री का पंजीयन नहीं हो पाता है जबकि पश्चिम बंगाल, राजस्थान और गुजरात में इन विधाओं की डिग्री के लिए बकायदा बोर्ड गठित है।

 

ऐसे में सरकार की कोशिश है कि यूपी में भी योग व प्राकृतिक चिकित्सा निदेशालय स्थापित कर डिग्री के लिए बोर्ड का गठन किया जाए। इससे यहां के छात्रों को अपनी डिग्री के आधार पर दूसरे प्रदेशों में आसानी से नौकरी मिलेगी।

अभी की स्थिति:

लखनऊ सहित अन्य विश्वविद्यालयों के जरिए योग और प्राकृतिक चिकित्सा के डिग्री व डिप्लोमा कोर्स चल रहे हैं, लेकिन इनका पंजीयन नहीं हो पाता है। ऐसे में डिग्री लेने वाले छात्र-छात्राएं दूसरे राज्यों में नौकरी हासिल नहीं कर पाते हैं। चिकित्सा पद्धति के रूप में व्यापकता नहीं होने की वजह से रोजगार के साधन सीमित हैं। बोर्ड का गठन होने से इनकी डिग्री का पंजीयन हो सकेगा।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

एफएसडीए एवं आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा. दयाशंकर मिश्र दयालु का कहना है कि भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति का लाभ पूरा विश्व उठा रहा है। हमारे प्रदेश में इन चिकित्सा पद्धतियों का व्यापक प्रचार- प्रसार और संचालन नहीं हो पाया है। ऐसे में आयुष विभाग की कोशिश है कि अपनी प्राचीन पद्धति को संवारा जाए। लोगों को सस्ती दर पर उपचार उपलब्ध कराया जाए। इसलिए अलग से निदेशालय और बोर्ड गठन की कवायद शुरू की जा रही है।

इलाज की पद्धतियां

योग: यह व्यायाम, शारीरिक मुद्रा, ध्यान व सांस लेने की तकनीक को जोड़कर शरीर में स्फूर्ति और चेतना पैदा करता है। यह आध्यात्मिक प्रक्रिया है।

सिद्धा: यह आयुर्वेद के नजदीक मानी जाती है। इसमें भी जड़ी-बूटी, खनिज, धातु का प्रयोग किया जाता है। इसमें जिह्वा, रंग, ध्वनि, मूत्र, मल, नाड़ी आधारित परीक्षण किए जाते हैं। इससे यौन, मूत्र, आंत, गठिया, एलर्जी से जुड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है।

प्राकृतिक: इसमें जल, मिट्टी, सूर्य, एक्यूप्रेशर आधारित इलाज किया जाता है।

परंपरागत: यह भी आयुर्वेद आधारित है। विभिन्न समुदाय व लोकपरंपरा के बीच प्रचलित पद्धति है। सोवा रिग्पा- यह नाड़ी व मूत्र परीक्षण पर आधारित है।

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