मध्यप्रदेश

मोबाइल ऐप से खोजेंगे टीबी मरीज, पहली बार इंदौर से होगी शुरुआत

इंदौर। अब घर-घर जाकर टीबी मरीजों की जांच करने, संभावित मरीजों की जानकारी नोट करने व फालोअप लेकर उनका इलाज करना आसान होगा। यह सब होगा मोबाइल ऐप के जरिये। इसकी शुरुआत इंदौर से होगी। जांच के दौरान ही संभावित मरीज का डेटा एप्लीकेशन में लोड किया जा सकेगा।

यह काम संस्था कोलॉबेरेशन टू एलिमिनेट टीबी फ्रॉम इंडिया (सीईटीआई) के माध्यम से पूरा होगा। देश में यह पहली ऐप है जिसे टीबी मरीजों की जानकारी जुटाने में उपयोग किया जाएगा। मरीजों का डेटा शासन व टीबी विभाग को भी उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि मुफ्त इलाज किया जा सके।

सीईटीआई ने रविवार को ‘टीबी मुक्त इंदौर’ कैंपेन शुरू किया। प्रोग्राम मैनेजर संगीता पाठक ने बताया संस्था नगर निगम व अन्य संस्थानों के सहयोग से 2021 तक इंदौर को टीबी मुक्त करने के लिए कार्य करेगी। ‘स्वच्छ इंदौर स्वस्थ इंदौर’ की थीम पर यह कैंपेन चलाया जा रहा है। टीबी एंड चेस्ट विशेषज्ञ डॉ. सलिल भार्गव ने बताया सरकारी स्तर पर टीबी पर बेहतर काम हो रहा है।

शुरुआती जांच से लेकर उपचार तक की पूरी दवाइंया निशुल्क दी जाती है। हम भी इस काम में मदद करेंगे। शासन का लक्ष्य है 2025 तक भारत को टीबी मुक्त देश बनाया जाएगा। अभी भी प्राइवेट अस्पतालों से समय पर जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती। हम इस गेप को दूर करने का प्रयास करेंगे। इसमें सभी समाजों, एनजीओ, सरकारी व निजी डॉक्टर, जनप्रतिनिधि अपने स्तर पर कार्य करेंगे। जिला टीबी अधिकारी डॉ. विजय छजलानी ने बताया टीबी बीमारी को बीच में छोड़ना घातक होता है।

इसके लिए नियमित फॉलोअप जरूरी है। स्टेट टीबी अधिकारी अतुल खराटे ने बताया इस तरह के काम से शासन को भी मदद मिलेगी व अधिक से अधिक मरीजों का पता लगाकर उपचार किया जा सकेगा। कार्यक्रम में नगर निगम सभापति अजय नरूका, विधायक महेंद्र हार्डिया, डॉ. आशा पंडित, प्रेस्टीज इंस्टीट्यूट डायरेक्टर डॉ. देवेश जैन, डॉ. मनीष जैन, एडविन रोड्रिग्ज व अन्य लोग उपस्थित रहे।

ऐसे काम करेगी ऐप

12 से अधिक एनजीओ सदस्यों के मोबाइल में यह ऐप इंस्टॉल की जाएगी। फील्ड में जाने के बाद ये लोगों की जांच करेंगे। उनसे मिलने वाली जानकारी को ऐप में अपलोड किया जाएगा। ऐप में हां व ना के ऑप्शन पर ये निशान लगाएंगे। टीबी के लक्षण दिखने पर एप्लीकेशन इन्हें डिटेक्ट कर अपने आप ही नाम के साथ लोकेशन भी सेव कर लेगी। जब वह ऐप खोलेंगे तो उस एरिया के संभावित मरीज कहां-कहां है, यह पता चल जाएगा। इसे शासन स्तर पर भी उपलब्ध करवाया जाएगा।

शहर में ये हैं हाई रिस्क एरिया

जिला टीबी विभाग की रिपोर्ट के अनुसार कुछ सालों में जहां से अधिक संख्या में टीबी मरीज चि-ति किए गए हैं, उन एरिया को हाई रिस्क माना गया है। इनमें खजराना, मालवा मिल, चंदन नगर, मूसाखेड़ी, आजाद नगर, मल्हारगंज, जूना रिसाला, वृंदावन कॉलोनी, परदेशीपुरा, गौरीनगर, निरंजनपुर, चितावद कांकड़, गाड़ी अड्डा, मोती तबेला, राजेंद्र नगर, संगम नगर, कालानी नगर शामिल हैं।

एक मरीज बना सकता है 15 नए मरीज

डॉ. उपेंद्र सोनी ने बताया कि विदेश में टीबी मरीजों की संख्या बहुत कम हो चुकी है। वहां मोबाइल ऐप से जानकारी मिलने के बाद लगातार फालोअप लिया जाता है। इसी तर्ज पर यह प्रोग्राम शुरू किया गया है। किसी एक मरीज को टीबी है तो वह एक साल में 15 नए मरीज बना सकता है।

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