जबलपुर की आयुध निर्माणियों से छिनेंगे 4 हजार रोजगार, जानें क्या है माजरा

जबलपुर, विशेष प्रतिनिधि। भारत सरकार का रक्षा मंत्रालय कितने ही दावे और वादे करे कि आयुध निर्माणियों से काम नहीं छिनेगा, उन्हें और मजबूत किया जाएगा।
आयुध निर्माणियों से 45 हजार पद समाप्त
स्वीकृत संख्या हुई 1 लाख 10 हजार, इसके बाद भी 35 हजार पद रिक्त
लेकिन वास्तविकता ठीक इससे उलट है। आयुध निर्माणियों के काम छिनने से लगातार कर्मचारियों की संख्या घटती जा रही है। विगत दिनों क्लेटिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों से कोलकाता में चर्चा के दौरान अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि सुरक्षा निर्माणी क कर्मचारियों की संख्या जो एकलाख 55 हजार थी, उसे घटाकर रक्षा मंत्रालय ने एक लाा दस हजार निर्धारित कर दी है बोर्ड ने फिलहाल करीब डेढ़ हजार चतुर्थ्थ और तृतीय श्रेणी के औद्योगिक कर्मचारियों की भर्ती को स्वीकृति प्रदान कर इसे भरने के लिए आयुध निर्माणी भर्ती बोर्ड अंबाझिरी को सूचना दे दी है।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने देशी विदेशी पंूजी निवेश के शत प्रतिशत को स्वीकृति प्रदान कर निजी कंपनियों को रक्षा उत्पादन की अनुमति प्रदान कर दी है। सरकार का कहना है कि बढ़ते तकनीकी कौशल के चलते आयुध निर्माणियों में परंपरागत बनने वाले सेना की जरूरत के सामान जो गुणवत्ता पर बेहतर और सस्ते हैं। उन्हें सीधे निजी संस्थानों से खरीदा जाएगा। बाजार में उपलब्ध ऐसे सामानों को नानकोर आइटम में डालकर इसका निर्माण आयुध निर्माणियों में बंद कर दिया गया है।
उदाहरण के तौर पर व्हीकल में बनने वाले स्टेलियम, एलपीटीए और वाटर वाऊजर वाहन हैं जिसके लिए सेना अगले सत्र में खुले बाजार से खरीदी करेगी। प्रधानमंत्री के मेकइन इंडिया के तहत अब आयुध निर्माणियों के कोर आइटम भी निजी क्षेत्रों को दिये जा रहे हैं। लिहाजा इन निर्माणियों में भी कर्मचारियों से काम छिन रहा है। लिहाजा इन निर्माणियों में भी कर्मचारियों की संख्या कम होगी। जिसके चलते नगर की खमरिया आयुध निर्माणी, जीसीएफ और जीआईएफ में भी लगभग 4 हजार युवाओं के लिए रोजगार के अवसर कम हो जाएंगे। बहरहाल लगातार आयुध निर्माणियों के लगातार हो रहे अवमूल्यन से आम नागरिकों विशेषकर युवाओं में निराशा के भाव जागृत हो रहे हैं। जो पूर्व से स्थापित इन सरकारी प्रतिष्ठानों में नौकरी की आस लगाये थे। जबकि वर्तमान केन्द्र सरकार के मुखिया ने प्रतिवर्ष लाखों युवाओं को रोजगार देने का वादा चुनाव के समय दिया था।