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खामोश हुआ गुंजन कला परिषद का ‘नाद’, मुकेश ने की आत्महत्या

कटनी। नाद गुंजन कला परिषद के माध्यम से शहर में गरबा सहित लोककला से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमोंं को गति देने वाले परिषद के युवा संस्थापक मुकेश शाक्या ने आज सुबह मुड़वारा स्टेशन के प्लेटफार्म क्रमांक 2 पर लग रही जम्मूतवी-जबलपुर एक्सप्रेस की गार्ड बोगी के नीचे कूदकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या किए जाने के असल कारणों का खुलासा तो नहीं हो सका है लेकिन परिजनों सहित उनसे जुड़े लोगों की माने तो उन्होने यह आत्मघाती कदम आर्थिक परेशानियों के चलते उठाया। मुकेश कुछ दिनों से डिप्रेशन में थे। रेल पुलिस ने लाश को अपने अधिकार में लेकर मर्ग कायम करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है।

इस दुःखद हादसे के संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक भट्ठा मोहल्ला निवासी 45 वर्षीय मुकेश शाक्या आज सुबह रोज की तरह बिस्तर से उठे और चाय पीने के बाद पत्नी से यह कहकर घर से निकले की वो कुछ जरूरी टाइपिंग कराकर आते हैं।

घर से निकलकर मुकेश मुड़वारा स्टेशन पहुंचे और अपनी डिस्कवर मोटर सायकल को मुड़वारा स्टेशन के पास बंद पड़े रेल फाटक के किनारे पार्क करके प्लेटफार्म क्रमांक 2 पर लग रही जम्मूतवी-जबलपुर एक्सप्रेस की ओर दौड़े। इसके पहले की प्लेटफार्म सहित मुड़वारा स्टेशन के आसपास खड़े लोग कुछ समझ पाते मुकेश शाक्या ने ट्रेन की सबसे आखिरी गार्डबोगी के नीचे छलांग लगा दी। परिणामस्वरूप गार्ड बोगी के पहिए मुकेश शाक्या के शरीर को दो भागों में विभक्त करते हुए निकल गए। इस हादसे के फौरन बाद बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ लग गई और जानकारी लगते ही स्टेशन में मौजूद जीआरपी व आरपीएफ के जवान भी मौके पर पहुंच गए।

शिनाख्तगी के बाद यह दुःखद खबर घर तक पहुंची तो परिजन व पत्नी भी घटनास्थल पहुंचे। बाद में रेल पुलिस ने श्री शाक्या के शव को परीक्षण के लिए जिला चिकित्सालय पहुंचाया। रेल पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू कर दी है। जिसमें आत्महत्या किए जाने के असल कारणों का खुलासा होगा।
मोबाइल सिम से हुई शिनाख्त
घटनास्थल पर उपस्थित लोगों की माने तो श्री शाक्या द्वारा जम्मूतवी-जबलपुर एक्सप्रेस के नीचे आकर जान देने के बाद उनकी शिनाख्त मोबाइल की सिम के द्धारा की गई। बताया जाता है कि उनकी जेब में रखा मोबाइल भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था लेकिन उसमें लगी सिम सही सलामत थी। जिसे जीआरपी व आरपीएफ के जवानों ने दूसरे मोबाइल पर लगाया और उसमें सेव मोबाइल नंबरों को लगाकर मुकेश शाक्या की शिनाख्त की और बाद में यह सूचना परिजनों तक पहुंचाई।

पत्नी के विलाप से नम हुईं लोगों की आंखें
ट्रेक पर दो भागों में विभक्त पड़े श्री शाक्या के शव को प्लेटफार्म पर रखवाया गया और सूचना परिजनों को दी गई। सूचना मिलते ही परिजनों सहित उनकी पत्नी प्लेटफार्म पर पहुंच गई। इस दौरान पत्नी के प्लेटफार्म पर विलाप से वहां उपस्थित लोगों की आंखे भी नम हो गईं। मुकेश अपनी सांस्कृतिक गतिविधियों में सदैव पत्नी को साथ रखते थे। एक तरह से वे उनकी रूचि की भागीदार थी।

कामधंधा न चलने से परेशान थे शाक्या
एक जानकारी में बताया जाता है कि मुकेश शाक्या ने लगभग एक वर्ष पूर्व उपनगरीय क्षेत्र मंगलनगर में एब्राइडरी व दोना-पत्तल निर्माण का कारखाना शुरू किया था। शुरूआत में तो उनका यह व्यवसाय ठीकठाक चला लेकिन जीएसटी की जटिलताओं के बाद उनका यह उघोग कठिनाई से चल रहा था। मुकेश इसको लेकर काफी परेशान थे और अपने परिचितों के बीच अक्सर कामधंधा न चलने के कारण आर्थिक परेशानी की बातें करते रहते थे, लेकिन किसी को यह आभाष नहीं था कि वे ऐसा कदम भी उठा सकते हैं। समझा जाता है कि श्री शाक्या ने अपनी इसी आर्थिक परेशानी के चलते आत्मघाती कदम उठाया।

उघोग का बिजली मीटर उखढ़ने से लगा था झटका
उनके करीबियों की माने तो कारखाना बंद होने के बावजूद यहां लगे मीटर का बिजली बिल तीन-चार हजार रूपए के लगभग आता रहता था। जिसके कारण उन्होने बिजली कनेक्शन काटने का आवेदन विद्युत मंडल को दिया था। बताया जाता है कि उनके इस आवेदन पर गतदिवस बिजली विभाग के कर्मचारी बिजली मीटर उखाड़ने पहुंचे थे। बताया जाता है कि बिजली मीटर उखड़ते समय एक तरह से मुकेश दुखी भी हुए क्योंकि उन्होंने अपना व्यवसाय बढ़ाने की योजना बनाई थी। वो चर्चाओं में ही यह कहते थे कि बिजली मीटर उखड़ने के साथ ही उनके सपने भी उजड़ गए क्योंकि उन्होने अपने इस छोटे से उघोग को लेकर बड़े-बड़े सपने सजोये थे।

सुसाइड नोट छिपाया जीआरपी ने
उधर यह भी बताया जाता है कि ट्रेन के नीचे आकर जान देने के पहले मुकेश शाक्या ने एक सुसाइड नोट भी लिखा था। जिसे जीआरपी के अधिकारियों ने पंचनामा कार्रवाई के दौरान उनके पास से बरामद किया था। मीडिया के द्धारा जीआरपी के अधिकारियों से सुसाइड नोट में लिखी बातों का खुलासा करने को भी कहा लेकिन जीआरपी के अधिकारियों ने तरह-तरह के बहाने बनाते हुए सुसाइड नोट को सार्वजनिक नहीं किया। जिसके कारण सुसाइड नोट में लिखी बातें पता नहीं चल सकी।

एसीसी कैमोर के सीएसआर विभाग से भी जुड़े थे मुकेश
आज सुबह ट्रेन से कटकर आत्महत्या कर लेने वाले मुकेश शाक्या ने सांस्कृतिक एवं खेल गतिविधियों के माध्यम से अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई थी। उनकी इसी प्रतिभा के कारण पिछले 2-3 सालों से उन्हें एसीसी कैमोर का सीएसआर विभाग भी उनकी सेवाऐं ले रहा था। ग्रीष्म कालीन खेल प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन हो या फिर छात्र छात्राओं के माध्यम से सांस्कृति प्रस्तुतियों की बात हो इनमें मुकेश शाक्या को महारत हासिल थी।

अपने अनेक आयोजनों के जरिए उन्होंने जिले के बाहर भी अपनी एक छवि बनाई थी। नाद गुंजन कला परिषद नामक सांस्कृतिक संगठन के वे कर्ताधर्ता थे और इसी संगठन के माध्यम से वे सामाजिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय रहते थे। एसीसी के सीएसआर विभाग के माध्यम से कैमोर क्षेत्र की आंगनबाड़ियों को उन्होंने एक नया स्वरूप प्रदान किया था। आज उनके अचानक निधन की खबर से कैमोर के छात्र-छात्राओं में भी उदासी का माहौल देखा गया।

राज्यमंत्री संजय सत्येन्द्र पाठक ने जताया शोक
बहुमुखी प्रतिभा के धनी और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से अपनी खास पहचान बनाने वाले कलाकार मुकेश शाक्या के आकस्मिक निधन पर म.प्र. शासन के उद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संजय सत्येन्द्र पाठक ने गहन दुख व्यक्त करते हुए इसे दुखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण हादसा करार दिया। श्री पाठक ने कहा कि उनके घर के पास ही शाक्या परिवार का निवास होने की वजह से बचपन से ही वे मुकेश से न केवल परिचित थे बल्कि स्नेह भी रखते थे। वह उनके लिए पारिवारिक सदस्य जैसा था। उन्हें अनेक बार मुकेश शाक्या द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में शामिल होने का अवसर मिला। उनकी खासियत यह थी कि वे ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को भी लोककला के क्षेत्र में भी प्रशिक्षित कर दक्ष कलाकार बना देते थे। चाहे गरबा का आयोजन हो अथवा सामाजिक चेतना से जुड़े अन्य कार्यक्रम हों सभी में वे एक विशिष्ट छाप छोड़ते थे। एनजीओ के माध्यम से उन्होंने समाजसेवा के कार्यक्रम भी चलाए। राज्यमंत्री श्री पाठक ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने एवं शोकाकुल परिवार को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।

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