मध्यप्रदेश

क्या योगी की तरह सीएम शिवराज दिखा पाएंगे इन स्थानों पर जाने की हिम्मत

वेब डेस्क।  क्या योगी आदित्यनाथ की तरह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान हिम्मत दिखा पाएंगे उस जगह जाने की जहां के बारे में प्रचलित है कि जो भी यहां आता है उसकी कुर्सी चली जाती है।

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गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि नोएडा मनहूस नहीं है. वह इस ‘अंध विश्वास’ पर बरसे कि उत्तर प्रदेश का जो भी मुख्यमंत्री नोएडा का दौरा करेगा, उसकी कुर्सी चली जाएगी. मोदी ने इस अंधविश्वास से ऊपर उठने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की.

हालांकि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भले मिथक तोड़ दिया हो, लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब तक ऐसी ‘हिम्मत’ नहीं दिखा पाए है. 12 साल से सूबे की कमान संभालने वाले शिवराज अब तक राज्य में दो ऐसी जगहों का दौरा करने नहीं गए, जिसके बारे में मिथक है कि यहां का दौरा करने पर मुख्यमंत्री को अपनी सत्ता गंवानी पड़ती है.

मध्य प्रदेश के इन दो कस्बों में एक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर का इछावर है. माना जाता है कि इस वजह से ही मुख्यमंत्री ने एक बार भी इछावर का दौरा नहीं किया.

विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मुख्यंत्री के इछावर नहीं आने का मुद्दा उठा. कांग्रेस विधायक शैलेंद्र पटेल ने सवाल पूछा था कि मुख्यमंत्री चौहान कितनी बात इछावर मुख्यालय आए, जिसके जवाब में सरकार की तरफ से बताया गया कि एक बार भी नहीं.

सरकार के जवाब के बाद कांग्रेस विधायक ने शिवराज सिंह चौहान पर अंधविश्वास का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इछावर इसलिए नहीं आते, क्योंकि यहां आने पर मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाती है.

 इछावर के इस मिथक को तोड़ने का प्रयास 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किया था. मुख्यमंत्री रहते हुए दिग्विजय सिंह 15 नवंबर, 2003 को इछावर में आयोजित सहकारी सम्मेलन में शामिल हुए थे.
उन्होंने अपने भाषण में कहा था- मैं मुख्यमंत्री के रूप में इछावर के इस मिथक को तोड़ने आया हूं. इसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई और मिथक बरकरार रहा.

पिछले 12 वर्षों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इछावर आने का कार्यक्रम तो कई बार बना, लेकिन वे नहीं आए.
इछावर की तरह अशोक नगर के बारे में मिथक है कि जब भी किसी मुख्यमंत्री ने यहां का दौरा किया, उन्हें अपना पद गंवाना पड़ा है. इस सूची में लालू प्रसाद यादव से लेकर दिग्गज कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह का भी नाम शामिल हैं. ये ही वजह है कि पिछले 12 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज शिवराज सिंह चौहान एक बार भी अशोक नगर नहीं पहुंचे हैं.

जिला मुख्यालय अशोक नगर में अभी तक जिन मुख्यमंत्रियों ने दौरा किया उन्हें छह माह के भीतर अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी और अभी तक कई मुख्यमंत्री अशोक नगर का दौरा करने के बाद अपनी कुर्सी गवां चुके हैं.

-सुंदरलाल पटवा कॉलेज का उद्धाटन करने आए और 15 दिन बाद कुर्सी गंवानी पड़ी.
-उमा भारती जिला मुख्यालय के बायपास से गुजरी और तीन बाद उनकी कुर्सी पर संकट आ गया.
-दिग्विजय सिंह अशोक नगर को जिला मुख्यालय घोषित करने पहुंचे, जिसके बाद कांग्रेस आज तक सत्ता में नहीं लौटी.
-लालू प्रसाद यादव भी बतौर बिहार के मुख्यमंत्री यहां कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे, जिसके कुछ ही दिनों बाद राबड़ी देवी को गद्दी सौंपनी पड़ी.

माना जा रहा है कि अशोकनगर से जुड़े इस मिथक को देखते हुए पिछले 12 साल से शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर यहां नहीं आए. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का कई बार अशोकनगर का दौरा बना लेकिन अंतिम समय में उनका दौरा या तो स्थगित कर दिया गया अथवा स्थान बदल दिया गया.

मुख्यमंत्री के लिए हैलीपेड भी तैयार रहा, लेकिन ऐनवक्त पर मुख्यमंत्री का दौरा निरस्त होने से सारी तैयारियां धरी रह गई. मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 50 में से 49 जिला मुख्यालयों पर अटल ज्योति अभियान की शुरुआत की लेकिन वे अशोकनगर नहीं गए और जिले के मुंगावली में इस अभियान की शुरुआत की.

पिछले दिनों जिला मुख्यालय से दूर एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शामिल होने के लिए पहुंचे थे, तो उनसे अशोक नगर नहीं आने को लेकर सवाल भी पूछा गया था. तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि वो जल्द ही यहां का दौरा करेंगे, लेकिन अब तक ऐसा हुआ नहीं.

मुख्यमंत्री के अशोक नगर नहीं आने को लेकर कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया कई बार चुटकी ले चुके हैं. उन्होंने एक बार कहा था कि हमारे मुख्यमंत्री अशोक नगर कभी नहीं आते, मैं उन को न्योता देता हूं कि वह अशोकनगर आएं, आपकी कुर्सी नहीं हिलेगी.

हालांकि, भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि मुख्यमंत्री के लिए जनता का हित सर्वोपरि है. जनता के लिए जहां जाने की जरुरत होगी, वहां मुख्यमंत्री जरूर जाते हैं और आगे भी जाते रहेंगे.

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