अक्षय तृतीया कल लेकिन बाजार से रौनक गायब, मिट्टी के गुड्डा-गुडिय़ों से गुलजार हुए बाजार
कटनी। अक्षय तृतीया कल 10 मई शुक्रवार को है, किंतु बाजार से रौनक गायब है। ज्योतिषियों की माने तो इस बार गुरु और शुक्र ग्रह अस्त होने कारण विवाह आदि शुभ कार्य नहीं हो सकेंगे। शायद यही कारण हो सकता है कि जो ग्राहकों को दुकानों पर जाने से रोक रहा है।
मेनरोड, सराफा बाजार, बर्तन बाजार, कपड़ा में दुकानों पर खरीदार नहीं पहुंच रहे हें जबकि अक्षय तृतीया आने से एक माह पहले ही खरीदारी शुरू हो जाती है।
जुलाई से पहले बाजारों में रौनक लौटने की उम्मीद कम
जुलाई में विवाह आदि के शुभ मुहूर्त शुरू होने के बाद ही अब दुकानदारी पटरी पर लौटने की उम्मीद नजर आ रही है। दुकानदारों का कहना है कि इस बार लगन कम है और लोकसभा के आम चुनाव के साथ गर्मी के चलते भी लोग बाजार में कम दिखाई दे रहे हैं। जुलाई से पहले तो फिलहाल बाजारों में रौनक की उम्मीद नजर आती नहीं दिख रही है। इक्का-दुक्का ही खरीदार पहुंच रहे हैं।
कल होगा गुड्डा-गुडिय़ों का ब्याह
बहरहाल हर साल की तरह इस बार भी अक्षय तृतीया धूमधाम से मनाई जाएगी। अक्षय तृतीया में गुड्डा-गुडिय़ों(पुतरा-पुतरियों) की शादी कराई जाती है। त्योहार में महज आज का दिन ही शेष है। कल 10 मई को गुड्डा-गुडिय़ों(पुतरा-पुतरियों) की शादी की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। गुड्डा-गुडिय़ों(पुतरा-पुतरियों) से बाजार गुलजार हो चुके हैं। बाजार में रंग बिरंगे गुड्डा-गुडिय़ों, पर्रा, टोकनी, दुल्हन की चुन्नी, मंडप सजाने के लिए बांस समेत शादी में इस्तेमाल होने वाले सभी समान उपलब्ध हैं। गुड्डा-गुडिय़ो का ब्याह एक मात्र ऐसा लोक खेल है, जिसमें केवल बच्चे शामिल होते हैं।
लड़कियां रस्म निभाती हैं और लड़के बाजा बजाते हैं। इस खेल में गुड्डा-गुडिय़ां प्रतीक होते हैं वर-वधू के, ये दोनों प्रतिमाएं मिट्टी की बनाई जाती हैं। इनकी शादी पूरी रस्मों के साथ की जाती है। बारात का प्रदर्शन करते हुए बच्चे सूपा, चन्नी, टीपा और थाली को लकड़ी से बजाकर जमकर बाजा बजाते हैं। इससे बैंड की कमी पूरी हो जाती है, पाणिग्रहण करने के साथ घर के अन्य सदस्य टिकावन के रूप में रुपये भी देते हैं।
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