katniमध्यप्रदेश

सड़कों पर क्यों आ रहा गौवंश?, पशु चारा संकंट व महंगे पशु आहार के कारण जिले में तेजी से कम हो रहा गौपालन, कलेक्टर के प्रतिबंधात्मक आदेश ने बढ़ाई पशु पालकों की चिंता

सड़कों पर क्यों आ रहा गौवंश?, पशु चारा संकंट व महंगे पशु आहार के कारण जिले में तेजी से कम हो रहा गौपालन, कलेक्टर के प्रतिबंधात्मक आदेश ने बढ़ाई पशु पालकों की चिंत

कटनी। कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी दिलीप कुमार यादव ने नेशनल हाइवे और जिले के अन्य व्यस्त सड़क मार्गों पर विचरण करते गौवंश और सड़कों में पशुओं के जमावड़े से संभावित सड़क दुर्घटना से लोक संपत्ति, पशु हानि एवं मानव जीवन की सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। कलेक्टर श्रीयादव ने जारी प्रतिबंधात्मक आदेश में उल्लेखित किया है कि कोई भी व्यक्ति, पशुपालक अपने गौवंश या अन्य मवेशियों को जानबूझकर अथवा उपेक्षापूर्वक सार्वजनिक सड़क अथवा स्थान पर खुला छोड़ता है तो संबंधित व्यक्ति, पशुपालक के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही की जावेगी। कोई भी पशुपालक बीमार, रोगग्रस्त एवं विकलांग गौवंश एवं मवेशियों को किसी मार्ग सड़क पर नहीं छोड़े। यदि ऐसा करना आवश्यक हो तो संबंधित स्थानीय निकाय से संपर्क कर गौवंश को गौशाला संचालक को सौंपा जायें।

 


यह आदेश तो बहुत अच्छा है लेकिन अधिकारियों ने कभी यह विचार नहीं किया कि आखिर यह गौवंश सड़कों पर क्यों आ रहा है। जिले में तेजी से गौपालन कम हो रहा है। लोग मवेशी पालने से कतराने लगे हैं। इसके कई कारण है लेकिन सबसे प्रमुख कारण है, पशु चारा संकंट और पशु आहार का महंगा होना। इसलिए इस तरह के आदेश निकालने के साथ ही गेहूं की कटाई के समय हारवेस्टर पर प्रतिबंध लगाना चाहिए था या फिर इस तरह के हारवेस्टर से गेहूं की कटाई होनी थी। जिसमें गेहूं के साथ-साथ भूसा भी निकलता लेकिन वर्तमान में किसान गेहूं व धान की कटाई के लिए इस तरह के हारवेस्टर का उपयोग कर रहे हैं। जिससे किसान को केवल अनाज मिल रहा है जबकि भूसा व पयार मिलना बंद हो गया है। इसलिए दिन प्रतिदिन पशु चारा का संकंट बढ़ता जा रहा है। थोड़ा बहुत बाजार में उपलब्ध भी है तो वह महंगा रहता ्रहै। इसलिए धान व गेहूं की कटाई के समय केवल आनाज देने वाले हारवेस्टर की कटाई पर प्रतिबंध लगाना था। वहीं सरकार को चाहिए कि वो जिस तरह गरीबों को राशन दुकानों से फ्री में अनाज देती है, उसी तरह पशु पालकों को राशन दुकानों से सस्ते में अनाज उपलब्ध कराए। जिससे लोग गौपालन की ओर फिर से रूख करें।


आदेश के दूसरे पहलू में यह कहा गया है कि पशुपालक बीमार, रोगग्रस्त एवं विकलांग गौवंश एवं मवेशियों को किसी मार्ग सड़क पर नहीं छोड़े। यदि ऐसा करना आवश्यक हो तो संबंधित स्थानीय निकाय से संपर्क कर गौवंश को गौशाला संचालक को सौंपा जायें।
तो लोग गौशालाओं के हाल भतिभांति जानते हैं। जिले में सिर्फ गौशाला और कांजी हाऊस बस हैं बल्कि उनमें सुविधाएं कुछ नहीं रहती। गौशाला व कांजी हाऊस में पशुओं को न तो अच्छे से समय पर पशु आहार व पशु चारा दिया जाता है और न ही पीने के पानी की व्यवस्था रहती है। जिसके कारण यहां रखे जाने वाले मवेशी भूख प्यास से तड़पते हैं। ऐसे मामले कई बार प्रकाश में आ चुके हैं। इसके अलावा जिले में कई गौशाला व कांजी हाऊस ऐसे हैं, जहां शेड तक नहीं हैं, खुले में मवेशी बारिश के बीच किचड़ में खड़े रहते हैं क्योंकि किचड़ के कारण वो बैठ भी नहीं पाते। पिछले बारिश के मौसम में सिमरा के कांजी हाऊस में यह द्रश्य देखने को मिला था। जहां बंद गौवंश किचड़ के कारण कई दिनों तक खड़ा रहा और बाद में मीडिया में मामला आने पर उन्हे वहां से छोड़ा गया।
मवेशी बारिश के मौसम में सूखी जगह तलाशते हुए सड़कों पर आते हैं और वो सूखी जगह उनकों सड़कों के अलावा मिलती नहीं है। अब लोगों के पास मकान में इतनी जगह नहीं रहती कि वो गौशाना बनाकर पशु पालन कर सकें। जिसके कारण अधिकांश पशु पालक मवेशियों का दोहन करने के बाद उनकों आवारा छोड़ देते हैं। इसलिए सरकार को यह चाहिए कि वो पट्टे में शासकीय भूमि भी लोगों को गौशाला निर्माण के लिए उपलब्ध कराए। जिससे लोग उस जमीन पर गौशाला का निर्माण करके पशु पालन कर सकें।
इसलिए मवेशियों के लिए की जाने वाली व्यवस्थाओं की ओर भी ध्यान देना शासन व प्रशासन की जिम्मेदारी है।

Back to top button