
वट सावित्री व्रत 2025: पति की लंबी उम्र के लिए रखें यह व्रत, जानें सही तारीख और पूजा का तरीका, वट सावित्री व्रत हिंदू संस्कृति में विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाने वाला एक पवित्र व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से वट वृक्ष (बरगद के पेड़) की पूजा से जुड़ा हुआ है, जो अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हर वर्ष ज्येष्ठ अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व, इस बार मई 2025 में पड़ रहा है। ऐसे में सभी व्रती महिलाएं जानना चाहती हैं कि इस बार व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है। आइए एक नजर डालते हैं इस महत्वपूर्ण पर्व की संपूर्ण जानकारी पर
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि (Puja Vidhi)
प्रात:काल स्नान और संकल्प
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके साफ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें: “मैं वट सावित्री व्रत विधिपूर्वक रखूंगी और सौभाग्य की प्राप्ति करूंगी।”वट वृक्ष की पूजा
वट वृक्ष (बरगद के पेड़) के नीचे स्थान साफ करें।
हल्दी, रोली, चावल, फूल और जल से वृक्ष की पूजा करें।
वृक्ष को कच्चे धागे (सूत्र) से सात या 108 बार लपेटते हुए परिक्रमा करें।
व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
फल, मिठाई, सूखा मेवा और भीगा हुआ चना वट वृक्ष को अर्पित करें।
पति से आशीर्वाद ले
व्रत करने के बाद पति के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लें। फिर दिन भर व्रत रखें और शाम को व्रत का पारण करें।
व्रत कथा संक्षेप में (Vat Savitri Vrat Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार, राजकुमारी सावित्री ने सत्यवान से विवाह किया, जिन्हें एक वर्ष के भीतर मृत्यु का योग था। नियत समय पर जब यमराज सत्यवान के प्राण हरने आए, तब सावित्री ने उनका पीछा किया। अपनी तपस्या, बुद्धिमानी और दृढ़ता से उन्होंने यमराज को प्रसन्न किया। यमराज ने उन्हें तीन वरदान दिए, जिनमें एक था – पति के प्राणों की रक्षा। इस तरह सावित्री ने अपने पति को मृत्यु से बचा लिया और तभी से यह व्रत सुहागिन स्त्रियों द्वारा रखा जाने लगा