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कल 25 अक्टूबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा सूर्योपासना का महापर्व छठ, पूजा की तैयारियां शुरू, नदी घाटों में सफाई के साथ लगेगी पुलिस की ड्यूटी

कटनी(YASHBHARAT.COM)। शहर सहित उपनगरीय क्षेत्रों में सूर्योपासना के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। उपनगरीय क्षेत्र छपरवाह स्थित सिमरौल नदी के चक्की घाट, गायत्रीनगर स्थित सिमरौल नदी के ही बाबाघाट, एनकेजे में बजरंग नगर स्थित जलंगार नदी के बजरंगघाट, कटाएघाट सहित शहर व उपनगरीय क्षेत्रों के दूसरे नदी घाटों पर सफाई का काम चल रहा है ताकि श्रद्धालुओं को पूजा करने में सुविधा हो। उधर सुरक्षा के मद्देनजर घाटों पर पुलिस की तैनाती की जाएगी ताकि शांति बनी रहे और लोग सुरक्षित रूप से पूजा कर सकें। नगर निगम प्रशासन नदी में घाटों किनारे साफ.-सफाई के लिए कर्मचारियों को लगाया है। गौरतलब है कि शहर में कई परिवार पूर्वाचल के रहते हैं। इधर कई वर्षों से यह परिवार यहां भी हर्षोल्लास के साथ छठ पूजा का पर्व मनाते हैं। कल 25 अक्टूबर शनिवार से शुरू होने वाले इस पर्व की तैयारियों को लेकर यह परिवार खरीदारी में जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि हर साल कार्तिक मास के षष्ठी तिथि से छठ पर्व का आरंभ हो जाता है, इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है और उगते हुए सूर्य को अघ्र्य देने के साथ व्रत का समापन हो जाता है। इस दौरान महिलाएं सुंदर थाली सजाती है। वैसे भी हिंदू धर्म में हर तिथि हर वार के साथ माह का भी विशेष महत्व होता है, इन्ही माह में से कार्तिक मास व्रतों और त्योहारों का महीना माना जाता है। 20 अक्टूबर को पूरे देश में दिवाली मनाई गई, अब लोकआस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। छठ पूजा छठी मैया और भगवान सूर्य की पूजा का अनूठा त्योहार है, इस त्योहार में प्रकृति और आस्था का संगम देखने को मिलता है। इस पर्व में महिलाओं और पुरुषों द्वारा संतान के जीवन की सुख-समृद्धि की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखा जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दौरान पूजा मे इस्तेमाल होने वाली थाली का विशेष महत्व है। इस थाली मे किस प्रकार की वस्तु रखना चाहिए।

पूजा की थाली में रखे ये सामान

छठ पूजा की थाली बेहद पवित्र मानी जाती है और इसमें हर वस्तु का विशेष धार्मिक महत्व होता है। इस दौरान थाली में छठ पूजा का प्रमुख प्रसाद ठेकुआ रखा जाता है, जो गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बनाया जाता है। यह सूर्यदेव को समर्पित किया जाता है। साथ ही फल-फूल थाली में मौसमी फल जैसे केला, नारियल, अमरूद, नींबू, गन्ना, सेब, शक्करकंद और नारंगी रखना शुभ माना जाता है। नारियल संपूर्णता और पवित्रता का प्रतीकण इसे कलश के ऊपर रखा जाता है या थाली में स्थान दिया जाता है। साथ ही बांस की टोकरी सुप में प्रसाद और अघ्र्य की वस्तुएं रखी जाती हैं। वहीं करवा में जल भरकर सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है। साथ ही अन्य वस्तु सूर्यदेव के पूजन में इनका विशेष महत्व होता है, यह प्रसाद का हिस्सा माने जाते हैं।

छठ पूजा के शुभ मुहुर्त पर एक नजर

वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर से होगी। ये त्योहार 28 अक्टूबर तक चलेगा। 25 अक्टूबर को ये पर्व नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। दूसरे दिन 26 अक्टूबर को खरना होगा। फिर तीसरे दिन 27 अक्टूबर को अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। छठ पूजा के आखिरी दिन 28 अक्टूबर को उदयागामी सूर्य को अघ्र्य दिया जाएगा। इसी के साथ ये पर्व समाप्त हो जाएगा।

छठ पूजा के दौरान सफाई का रखें ध्यान

छठ पूजा के दौरान सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। छठ पूजा में शुद्धता और स्वच्छता सबसे अहम होती है। पूजा स्थल से लेकर घर तक साफ.-सफाई का खास ध्यान रखें। पूजा के बर्तन, कपड़े, फल-सब्जियां सब कुछ पवित्र और साफ वातावरण में तैयार करें।

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