माता को अंतिम स्वरूप देने में जुटे मूर्तिकार, 22 से शुरू होगा शारदेय नवरात्र

माता को अंतिम स्वरूप देने में जुटे मूर्तिकार, 22 से शुरू होगा शारदेय नवरात्
कटनी- पितृपक्ष का समापन 21 सितम्बर को होगा। इसके तुरंत बाद भी शारदेय नवरात्र पर्व आरंभ होगा। पितृमोक्ष अमावस्या पर जहां सभी अपने-अपने पितरों को विदा करेंगे वहीं दूसरे दिन 22 सितम्बर को माता का स्वागत सभी करेंगे। मंदिरों के साथ-साथ भक्तजन जहां-तहां पंडालों में माता को विराजित कर उनकी भक्ति में लीन होंगे। मां की भक्ति के इस पर्व की तैयारी जोर-शोर से शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही है। कलकत्ता से आए मूर्तिकार और स्थानीय कलाकारों के द्वारा माता की प्रतिमा को अब अंतिम रूप प्रदान किया जा रहा है।
कोलकाता से आए मूर्तिकार
कोलकाता से आए मूतिकार कार्तिक पाल बतातें है कि इस वर्ष प्रतिमा बनाने में बारिश ने काफी परेशान किया है। जिसके कारण अभी भी बड़ी प्रतिमाओं में कई काम बाकी है। उन्होंने बताया कि सालों से वे कटनी पहुंचकर को
प्रतिमाओं बनाते हैं। उनकी टीम में करीब 12 सदस्य रहते हैं। यहां बरही रोड स्थित हॉल में उनके द्वारा प्रतिमा बनाने का काम उनकी टीम के द्वारा जून माह से शुरू कर दिया जाता है। इधर चांडक चौक के समीप कोलकाता से ही आए मूर्तिकार गोपीनाथ पाल ने बताया कि वे अपनी टीम के साथ करीब 25 साल से कटनी में पहुंचकर बंगाली पैर्टन की प्रतिमा बना रहे हैं। जून माह से वे भी अपनी टीम के साथ यहां पहुंच जाते हैं।
स्थानीय मूर्तिकार भी जुटे
नगर के दुर्गा चौक के समीप गायत्रीनगर में स्थानीय मूर्तिकारों के द्वारा माता की प्रतिमा बनाई जा रही है। वे पीढ़ी दर पीढ़ी कार्य करते चले आ रहे हैं। मूर्तिकार मनीष बतातें है कि यह कुम्हार बस्ती है। यहां मूर्तिकारों के द्वारा गणेश उत्सव के समय भगवान गजानन और दुर्गोत्सव में माता की प्रतिमाओं के साथ ही अन्य मूर्तियां बनाई जाती हैं। वे भी अब माता की प्रतिमाओं को अंतिम स्वरूप देने में जुटे हुए हैं। गायत्री नगर के साथ ही शहर के अन्य स्थलों पर भी बाहर से व स्थानीय मूर्तिकार प्रतिमाएं सालों से बनाते चले आ रहे हैं।