सतगुरु की रहमत और आत्मजागृति का महापर्वसतगुरु की शरण में उमड़ा जनसागर दो दिवसीय वर्सी मेला का समापन देश के कोने कोने से आए श्रद्धालु

सतगुरु की रहमत और आत्मजागृति का महापर्वसतगुरु की शरण में उमड़ा जनसागर दो दिवसीय वर्सी मेला का समापन देश के कोने कोने से आए श्रद्धाल
कटनी- माधव नगर 10 अक्टूबर को हरे माधव धाम में श्रद्धा और भक्ति का अनोखा दृश्य देखने को मिला। हजारों श्रद्धालु जो 9 अक्टूबर को नहीं पहुंच पाए थे, वे प्रातःकाल धाम में सत्संग का लाभ लेने पहुंचे। कार्यक्रम की शुरुआत “अरदास मेरे सतगुरां हम शरण तेरी आए” से हुई, जिसके पश्चात भजन-राग, सुमिरन और हरे माधव सद्ग्रंथ वाणियों का गायन हुआ। पूरे परिसर में भक्ति और आनंद की गूंज वातावरण को पवित्र बना रही थी।
करुण लीलाओं के चलचित्र से भाव विभोर श्रद्धालु
कार्यक्रम में एल.ई.डी. स्क्रीन पर सतगुरु बाबा माधव शाह जी और सतगुरु बाबा नारायण शाह साहिब जी की परम उपकारी लीलाओं का चलचित्र प्रस्तुत किया गया। इसमें दर्शाया गया कि सतगुरु सदैव अपने भक्तों के साथ हैं — अदृश्य रूप में भी वे हर क्षण हमारी रक्षा करते हैं। जब हम सतगुरु द्वारा दिए गए नाम और ध्यान का अभ्यास करते हैं, तब हमें जीवन के असली उद्देश्य का बोध होता है।
सतगुरु – आत्मा के दर्पण
सतगुरु दर्पण की तरह होते हैं — जैसे दर्पण में हम अपना चेहरा देखते हैं, वैसे ही सतगुरु हमें हमारा असली स्वरूप दिखाते हैं। वे हमें हमारी आत्मा की पहचान कराते हैं। जीवनमुक्त सतगुरु के प्रत्येक कार्य का उद्देश्य केवल जीवों का कल्याण होता है। जो उनकी महिमा को समझ लेता है, वही उस असीम रहमत का अधिकारी बनता है।
जैसा कि कहा गया है — “गोविंद भाव भगत का भूखा।
रहमत की बारिश और अमृत नाम का वरदान
हरे माधव वरसी पर्व वह अवसर है जब सतगुरु साहिबान की रहमत की वर्षा हर हृदय को भिगो देती है। यह पर्व आत्मिक जागरण और रूहानी मिलन का प्रतीक है। सतगुरु जीवों पर अमृत नाम की संजीवनी बूटी का वरदान बरसाते हैं, जो जीवन में सच्चा सुख और आत्मिक प्रकाश प्रदान करती है।
सतगुरु से जुड़ाव ही सच्ची रोशनी
जैसे बिना तार जोड़े बल्ब नहीं जलता, वैसे ही जब तक हम अपनी जीवन-तार सतगुरु से नहीं जोड़ते, तब तक जीवन में रोशनी नहीं आती। नाम, भक्ति और सेवा ही वह साधन हैं जो हमें उस दिव्य शक्ति से जोड़ते हैं। सतगुरु बताते हैं कि परम धाम की भाषा शब्दों की नहीं, बल्कि सिमरन, ध्यान और भजन-बंदगी की भाषा है — यही आत्मा की सच्ची जुबान है।
संगत, समर्पण और आत्म जागृति
जब हम संगत में बैठते हैं, सतगुरु की शरण में जाते हैं, तो हमारी चेतना जागती है। समर्पण भाव से जुड़े श्रद्धालु मन की अशांति से मुक्त होकर आत्मिक शांति का अनुभव करते हैं। सतगुरु की महिमा और उनकी रहमत के प्रति हर दिल में गहरा कृतज्ञता भाव उमड़ता है।
सेवा और चिकित्सा , प्रेमभाव का प्रतीक
9-10 अक्टूबर को बाबा माधव शाह चिकित्सालय में दो दिवसीय नि:शुल्क चिकित्सा शिविर आयोजित किया गया। इसमें कटनी, जबलपुर, नागपुर और रायपुर से आए विशेषज्ञ चिकित्सकों ने हजारों जरूरतमंदों को चिकित्सा सेवा प्रदान की। अस्पताल द्वारा नि:शुल्क दवाइयाँ वितरित की गईं, जो सेवा-भाव और मानवीयता का सुंदर उदाहरण रही।
अपार कृपा की बरसात में डूबा माधव नगर
9 और 10 अक्टूबर को माधव नगर भक्ति, सेवा और प्रेमभाव की ऊर्जा से आलोकित रहा। हजारों श्रद्धालुओं ने सच्चे प्रेम और विश्वास से हरे माधव वरसी पर्व का आनंदमय लाभ उठाया।