45 वर्षों से लगातार माता की स्थापना का गवाह बना ग्राम बिचुआ का प्राचीन पंडाल, जानिए पूरी कहानी
45 वर्षों से लगातार माता की स्थापना का गवाह बना ग्राम बिचुआ का प्राचीन पंडाल, जानिए पूरी कहानी
कटनी। 45 वर्षों से लगातार माता की स्थापना का गवाह बना ग्राम बिचुआ का प्राचीन पंडाल, जानिए पूरी कहानी । जिला मुख्यालय से सुदूरपूर्व दक्षिण में प्राकृतिक वातावरण, हरियाली की चादर ओढ़े ग्राम बिचुआ में नवरात्रि पर्व बहुत आस्था,भक्ति के साथ हर्षोउल्लास एवं धूमधाम से मनाया जाता है।आज के 45 वर्ष पहले ग्राम में नवरात्रि में माता की मूर्ति की स्थापना आरंभ की गई थी जो आज भी उसी उत्साह व आनंद के साथ निरंतर हो रही है।
ग्राम बिचुआ में नव दुर्गा उत्साह समिति बाजार मोहल्ला में सबसे प्राचीन है भगवान वीरभद्र महाराज के मंदिर अखाड़े के समक्ष,सामने प्रतिवर्ष विराजती है जिन ग्राम के लोगो ने माता की स्थापना के कार्य को आरंभ किया था आज उनमें अधिकांश नहीं रहे मगर उनके वंशज,पुत्र,प्रपौत्र आज भी जिनमें मुख्यतः आदिवासी कोल समाज के है।
अपने पूर्वजो के आदर्शों, सिध्दांतों की पवित्र परम्पराओं पूरी आस्था व भक्ति के साथ आगे बढ़ा रहे हैं समिति के सदस्य नव दिन माता का ब्रत रखते हैं, इस बार माता का अर्धनारीश्वर स्वरूप भगवान बजरंगबली, विघ्नहर्ता गणेश जी के साथ विराजमान हैं साथ गौ माता के साथ माता स्थापित है बहुत सुंदर,मनमोहक स्वरूप में माता विराजमान हैं।
नव दुर्गा उत्सव समिति के के पंडा कुक्की कोल,सेवाकाल हल्दकार, हरिशंकर मोनू तिवारी, राजेश पांडेय,दुलारे कोल,सुम्मा कोल,शिवनाथ कोल,शिवहरी कोल,राजाराम कोल,हरि कोल,अंकित हल्दकार, सचिन कोल,अशोक बर्मन, कैलाश कोल,सावन कोल आदि ने बताया कि ग्राम में पूरे नवरात्रि में आस्था एवं भक्ति का वातावरण रहता है इसके साथ ही ग्राम में 13 माताएं की प्रतिमा स्थापित है।दशहरा नवमी के दिन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है लगभग बीसों गांवों के भक्तगण दशहरा देखने आते हैं।दशहरे के जुलूस चल समारोह बहुत ही सुंदर एवं आकर्षक होता है, माता के रथों में सवार होकर निकलती है, जबारे भी होते हैं सभी पंडालों की प्रतिमाएं एकसाथ निकलती है, गाजे बाजे,नांच गाने के साथ,आस्था और भक्ति के साथ नर नारी,बच्चे,बुजुर्ग, युवा सभी चल समारोह में सम्मलित होते हैं एवं देर रात ग्राम के तालाब में ही विसर्जन किया जाता है।
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