कला, संस्कृति के साथ आस्था को आकार दे रहे युवा मुस्लिम समुदाय के पर्व मुहर्रम पर ताजिया रहेंगे आकर्षण का केंद्र

कला, संस्कृति के साथ आस्था को आकार दे रहे युवा मुस्लिम समुदाय के पर्व मुहर्रम पर ताजिया रहेंगे आकर्षण का केंद्
कटनी – मातमी पर्व मोहर्रम पर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों मे चहल पहल बढ़ गयी है जगह जगह ताजिया बनाई जा रहीं है रात मे सवारियों सहित गस्त भी किया जा रहा है
और ताजिया को बारीक नक्काशी से सुंदर रूप दे रहे युवा इसे पूरा करने दिन रात मेहनत कर रहे हैं। थर्माकोल, पेपर, सनबोर्ड, के साथ ही रंग बिरंगे छोटे बल्बों एवं एलईडी से सुसज्जित ताजिए का निर्माण ईश्वरीपुरा वार्ड, आजाद चौक, झर्रा टिकुरिया, लखेरा, बरगवां सहित उपनगरीय क्षेत्र अमीरगंज एवं जुगियाकाप में तालियादारों के निर्देशन में नियम एवं परंपरा के साथ युवा कर रहे हैं। मुहर्रम पर्व पर ताजिया निर्माण को लेकर
समाजजनों का कहना है कि यह पारंपरिक प्रतीक हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में निकाला जाता है। यह एक प्रतीकात्मक संरचना है, जो इमाम हुसैन की याद का प्रतिनिधित्व करती है। ताजिया को बनाने में लकड़ी, बांस, कागज, कपड़े, सनबोर्ड, विद्युत एवं सजावट सामग्री का उपयोग किया जाता है।
कला और कारीगरी के साथ परंपरा को आगे बढ़ा रहे समाजजनों के अनुसार ताजिया की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। ताजिया मुहर्रम के महीने में इमाम हुसैन की शहादत पर सभी को उनके दृढ़ निश्चय एवं जीवन संघर्ष के प्रति समर्पण से रूबरू कराने का एक पारंपरिक माध्यम है। इसे विधि विधान के साथ मुहर्रम पर्व की नौ तारीख को सभी नियमों को निभाने साथ लोगों के दर्शनार्थ नगर भ्रमण कराया जाता है। यह धार्मिक आध्यात्मिक दृष्टि के साथ कला और संस्कृति से जुड़ा महत्वपूर्ण पहलू है। कारीगरी कर रहे युवाओं के अनुसार वे रोजाना चार से छह घंटे विभिन्न प्रकार की सामग्री और सजावट सामग्री का उपयोग कर आकर्षक बना रहे है