तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय में स्वदेशी से स्वावलंबन विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का सफल आयोजन

तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय में
स्वदेशी से स्वावलंबन विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का सफल आयोज
कटनी- प्रधान मंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस (PMCOE), शासकीय तिलक स्नातकोत्तर महाविद्यालय, कटनी के तत्वावधान में “स्वदेशी से स्वावलंबन” विषय पर एक एकदिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का सफल आयोजन किया गया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्देश्य स्वदेशी विचारधारा के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को शैक्षणिक विमर्श में लाना था।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार वाजपेई ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि “स्वदेशी केवल आर्थिक नीति नहीं, बल्कि यह आत्मगौरव और सांस्कृतिक चेतना का प्रतीक है। जब हम स्वदेशी की भावना को जीवन के हर क्षेत्र में आत्मसात करते हैं, तभी सच्चे अर्थों में स्वावलंबन प्राप्त कर सकते हैं।
संगोष्ठी की विषय-प्रवर्तक हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. माधुरी गर्ग ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि “स्वदेशी आंदोलन केवल स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा नहीं रहा, बल्कि यह भारतीय जीवन-मूल्यों की पुनर्प्रतिष्ठा का माध्यम भी बना। आज के वैश्विक युग में स्वदेशी से स्वावलंबन का संबंध और भी प्रासंगिक हो गया है।
इस राष्ट्रीय वेबिनार में प्रज्ञा प्रवाह के प्रचारक श्री विनय दीक्षित मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने स्वदेशी विचारधारा के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यावहारिक आयामों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “स्वदेशी का अर्थ केवल देश में बने वस्त्र या उत्पादों का प्रयोग करना नहीं, बल्कि यह अपनी सोच, जीवनशैली और आचरण में देशजता को अपनाना है।”
सह वक्ता के रूप में डॉ. नीरज द्विवेदी और दिल्ली विश्वविद्यालय से डॉ. आशु मिश्रा ने स्वदेशी से स्वावलंबन के समाजशास्त्रीय और आर्थिक दृष्टिकोण पर विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में डॉ. विजय कुमार ने अपने शोधपत्र “स्वदेशी से स्वावलंबन : एक देशज आधुनिकता का प्रतिरूप” पर संक्षिप्त प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि “स्वदेशी को हमें पिछड़ेपन का प्रतीक नहीं, बल्कि देशज आधुनिकता के रूप में देखना चाहिए। यह ऐसी वैचारिक दिशा है जो आत्मनिर्भरता के साथ-साथ सांस्कृतिक अस्मिता को भी सशक्त बनाती है।
कार्यक्रम का संचालन सौहार्दपूर्ण और संवादात्मक वातावरण में हुआ। वेबिनार के समापन सत्र में श्री अजय कुररिया ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “यह संगोष्ठी स्वदेशी विचारधारा के शैक्षणिक विस्तार की दिशा में एक सार्थक पहल रही। सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों का सहयोग इस आयोजन की सफलता का प्रमुख आधार रहा। कार्यक्रम में देशभर के शिक्षाविद्, शोधार्थी और विद्यार्थी बड़ी संख्या में ऑनलाइन जुड़े। आयोजन समिति की ओर से सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।