इतिहास की ओर कदम: भाजपा पहली महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की तैयारी में, रेस में तीन दिग्गज नाम
इतिहास की ओर कदम: भाजपा पहली महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की तैयारी में, रेस में तीन दिग्गज नाम

भाजपा पहली महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की तैयारी में, रेस में तीन दिग्गज नाम।भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा (BJP) का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? इस पर फिलहाल सस्पेंस बरकरार है, लेकिन एक बार फिर से आलाकमान के बीच इस पर माथापच्ची शुरू हो गई है।
इतिहास की ओर कदम: भाजपा पहली महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने की तैयारी में, रेस में तीन दिग्गज नाम
बीजेपी सूत्रों की मानें तो पार्टी इस बार ऐतिहासिक बदलाव कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी को पहली बार महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष (BJP New National Woman President) मिल सकती है। जी हां… बीजेपी पहली बार किसी महिला को पार्टी की कमान सौंप सकती है। ये फैसला संगठनात्मक संतुलन, महिला सशक्तिकरण और आगामी चुनावी रणनीतियों के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है। दरअसल पार्टी का उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में अच्छा प्रदर्शन रहा था। इसी वजह से दिल्ली की मुख्यमंत्री भी महिला को ही बनाया गया। अब महिलाओं को लुभाने के लिए पार्टी प्रेसिडेंट भी किसी महिला को बनाया जा सकता है।
बता दें कि मौजूदा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2023 में खत्म हो चुका था। हालांकि लोकसभा चुनाव-2025 और महाराष्ट्र व दिल्ली राज्यों के विधानसबा चुनाव को देखते हुए पार्टी ने उन्हें जून 2024 तक के लिए और जिम्मेदारी सौंप दी थी। अब जल्द ही नए नाम की घोषणा हो सकती है। अगली पार्टी प्रेसिडेंट कोई महिला बन सकती है। इसके लिए तीन नाम सबसे आगे हैं। निर्मला सीतारमण, डी पुरंदेश्वरी और वनाथी श्रीनिवासन में से किसी एक के नाम पर मुहर लग सकती है। तो चलिए एक-एक कर तीनों महिला नेताओं के बारे में जानते हैं।

1. निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman)
देश की मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस दौड़ में सबसे आगे मानी जा रही है। निर्मला सीतारमण ने हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव (संगठन) बीएल संतोष से पार्टी मुख्यालय में मुलाकात की थी। अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि उनकी संभावित नियुक्ति से पार्टी को एक साथ कई रणनीतिक लक्ष्य हासिल करने में मदद मिल सकती है। अगर निर्मला सीतारमण को इस पद के लिए चुना जाता है, तो उनके प्रमोशन से बीजेपी दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है। इसके साथ ही मोदी सरकार के महिला सशक्तिकरण के संकल्प को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। वर्तमान में वित्त मंत्री के रूप में कार्यरत निर्मला सीतारमण ने पहले रक्षा विभाग का जिम्मा संभाला था और पार्टी के संगठनात्मक ढांचे के भीतर उनका लंबा अनुभव है।

2. डी. पुरंदेश्वरी (Daggubati Purandeswari
डी. (दग्गुबाती) पुरंदेश्वरी का आंध्र प्रदेश की राजनीति में अहम स्थान है। पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश से सांसद हैं और उन्होंने राज्य में बीजेपी अध्यक्ष का जिम्मा भी संभाला है। पुरंदेश्वरी, सुषमा स्वराज जैसी प्रभावशाली वक्ता मानी जाती हैं। उनका दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों में सफल करियर रहा है। वह बहुभाषी (तेलुगु, तमिल, हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच में बेहतरीन पकड़) हैं। उन्हें जुलाई 2023 में आंध्र प्रदेश में भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया था और हाल ही तक वह इस पद पर रहीं। इतना ही नहीं, पुरिंदेश्वरी को विभिन्न देशों में गए बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल के लिए भी चुना गया था, जिसने विदेशों में जाकर पाकिस्तान को बेनकाब किया. दक्षिण भारत में वह पार्टी का बड़ा चेहरा बन सकती हैं।

3. वनथी श्रीनिवासन (Vanathi Srinivasan)
वनथी श्रीनिवासन एक जानी-मानी वकील से राजनेता बनीं हैं, जो वर्तमान में तमिलनाडु विधानसभा में कोयंबटूर साउथ से बीजेपी की विधायक हैं। उनका राजनीतिक सफर 1993 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने के साथ शुरू हुआ और तब से वे पार्टी के संगठन में लगातार आगे बढ़ती गईं। वनथी ने तमिलनाडु बीजेपी में राज्य सचिव (2013-14), महासचिव (2014-20) और राज्य उपाध्यक्ष (2020) जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। वनथी को अक्टूबर 2020 में बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया था, ये जिम्मेदारी उन्होंने उस समय संभाली जब पार्टी महिलाओं के बीच अपना आधार मजबूत करने पर ज़ोर दे रही थी। 2022 में उन्हें बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बनाया गया।
क्या RSS भी तैयार है?
सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने भी महिला नेतृत्व को लेकर सकारात्मक रुख अपनाया है। उनका मानना है कि महिला नेतृत्व का प्रतीकात्मक और रणनीतिक दोनों दृष्टिकोण से बड़ा असर होगा। हाल के वर्षों में बीजेपी को महिला मतदाताओं से बड़ा समर्थन मिला है, खासकर महाराष्ट्र, हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों के विधानसभा चुनावों में। पार्टी की महिला केंद्रित योजनाओं और लाभार्थी वोट बैंक की रणनीति को और मजबूती देने के लिए यह कदम अहम माना जा रहा है।