Latestमध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश में शुरू होगी राज्य स्तरीय लैब, Cyber Crime के अपराधियों को पकड़ना होगा आसान

मध्य प्रदेश में शुरू होगी राज्य स्तरीय लैब, Cyber Crime के अपराधियों को पकड़ना होगा आसान

भोपाल। Cyber Crime राज्य साइबर मुख्यालय में लैब स्थापित की जाएंगी, इसमें साइबर विशेषज्ञों की टीम पदस्थ रहेगी। पहले इसमें सीडी, डीवीआर, सिम फोरेंसिक की जांच ही प्रस्तावित थी, पर अपराध के बदलते तरीकों को देखते हुए इसका विस्तार किया जा रहा है। यह लैब अगले वर्ष जनवरी-फरवरी तक प्रारंभ करने की तैयारी है। अभी इस लैब को स्टेट साइबर मुख्यालय के पास अलग से बनी बिल्डिंग में प्रारंभ किया जाएगा। बाद में अलग से भवन बनाया जाएगा।

10 जिलों में साइबर फोरेंसिक लैब प्रारंभ की जाएगी Cyber Crime

इस लैब में साइबर विशेषज्ञों की टीम रहेगी, पद स्वीकृत होने पर इनकी अलग से भर्ती की जाएगी। इसके अतिरिक्त 10 बड़े जिलों में भी साइबर फोरेंसिक लैब प्रारंभ की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पिछले वर्ष नवंबर में साइबर मुख्यालय के निरीक्षण के दौरान साइबर अपराध रोकने के लिए अत्याधुनिक लैब प्रारंभ करने के लिए कहा था।

मालवेयर फोरेंसिक Cyber Crime

इसमें कंप्यूटर सिस्टम, नेटवर्क, मोबाइल या किसी अन्य डिजिटल डिवाइस में पाए गए मालवेयर (जैसे वायरस, वार्म, ट्रोजन, रैंसमवेयर आदि) की जांच की जाती है। इसमें पता लगाया जाता है कि सिस्टम में मालवेयर कैसे आया?, उसने क्या नुकसान किया, जैसे डेटा चोरी, फाइल डिलीट करना आदि। इसका उपयोग हैकिंग या अन्य किस तरह के अपराध के लिए किया गया या नहीं, कितना नुकसान हुआ।

क्रिप्टो फोरेंसिक Cyber Crime

इससे क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटकोइन आदि से जुड़े लेन-देन, धोखाधड़ी, चोरी, मनी लांड्रिंग और अन्य साइबर अपराधों की जांच और ट्रैकिंग करने में मदद मिलती है। फोरेंसिक विशेषज्ञ ब्लाक चेन एनालिसिस से यह पता करने की कोशिश करते हैं कि ट्रांजेक्शन कहां से शुरू हुआ और कहां गया, किस वालेट ने पैसा भेजा या प्राप्त किया?

ड्रोन फोरेंसिक Cyber Crime

इसमें यह पता लगाने की कोशिश रहती है कि ड्रोन का उपयोग कब, कहां, कैसे और किस उद्देश्य से किया गया। इसमें ड्रोन की मेमोरी से डेटा निकालने, जीपीएस डाटा, वीडियो रिकार्डिंग की जानकारी, किस क्षेत्र में कितनी देर तक रहा,फ्लाइट पैटर्न आदि पता किया जाता है।

इस कारण प्रदेश में है जरूरत Cyber Crime

वर्ष 2019 में साइबर से जुड़ी शिकायतों की संख्या चार हजार थी जो वर्ष 2024 में बढ़कर पांच लाख तक पहुंच गई है।

वर्ष 2024 में प्रदेश के लोगों से 400 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी हुई। यहां आंकड़ा लगतार बढ़ रहा है।

ठगी गई राशि में से लगभग आठ प्रतिशत ही ठगों से वापस मिल पा रही है।

ठगी करने वालों का नेटवर्क दूसरे देशों तक है। वह अपराध के नए-नए तरीके निकाल रहे हैं, जिससे पुलिस नहीं पकड़ पा रही है।

Back to top button