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सोनभद्र बना यूरेनियम हब? नकटू में 785 टन का दावा, कई और स्थानों पर जांच

सोनभद्र बना यूरेनियम हब? नकटू में 785 टन का दावा, कई और स्थानों पर जांच

सोनभद्र बना यूरेनियम हब? नकटू में 785 टन का दावा, कई और स्थानों पर जांच। देश में यूरेनियम के भंडार की खोज में जुटे परमाणु ऊर्जा विभाग को सोनभद्र में बड़ी संभावना मिली है। म्योरपुर ब्लॉक के नकटू में 785 टन यूरेनियम ऑक्साइड की मौजूदगी के साक्ष्य मिले हैं। इसकी विस्तृत खोज शुरू की गई है।

सोनभद्र बना यूरेनियम हब? नकटू में 785 टन का दावा, कई और स्थानों पर जांच
इसके अलावा कूदरी, अंजनगिरा के पहाड़ी-जंगली क्षेत्र में यूरेनियम की खोज के लिए अनुसंधान चल रहा है। परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (एएमडी) ने नकटू के अलावा भी 31 ऐसे स्थान चिह्नित किए हैं, जहां यूरेनियम के भंडार होने की संभावना है।

सर्वेक्षण के नतीजे अनुकूल रहे तो भारत सरकार के न्यूक्लियर एनर्जी मिशन में यूपी का सोनभद्र बड़ी भूमिका निभा सकता है। भारत को 2047 विकसित राष्ट्र का दर्जा दिलाने के लिए सरकार न्यूक्लियर एनर्जी मिशन पर काम कर रही है।

12 राज्यों की 47 जगहों पर यूरेनियम का बड़ा भंडार

गत जुलाई माह में 12 राज्यों की 47 जगहों पर यूरेनियम का बड़ा भंडार पाए जाने की जानकारी सामने आई थी। एएमडी की ओर से जून तक चले अनुसंधान कार्य के जरिए सामने आई स्थितियों के हवाले से केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दावा किया था कि 12 राज्यों में 47 स्थलों पर यूरेनियम ऑक्साइड का बड़ा भंडार (433800 टन) मिलने की पुष्टि हुई है।

इसमें सोनभद्र का नकटू भी शामिल है, जहां 785 टन यूरेनियम होने की संभावना जताई गई है। यहां विस्तृत सर्वेक्षण का काम चल रहा है। बता दें कि परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत परमाणु खनिज अन्वेषण एवं अनुसंधान निदेशालय (एएमडी) पिछले पांच साल से जिले में खोदाई-परीक्षण का काम कर रहा है।

अब बड़ी मात्रा में यूरेनियम की संभावनाओं के बाद आदिवासी बहुल पिछड़े क्षेत्र में नए औद्योगिक विकास की उम्मीदें भी बढ़ने लगी हैं। माना जा रहा है कि इसे लेकर जल्द ही बड़ा औपचारिक एलान भी सामने आ सकता है। ज्येष्ठ खान अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया कि भारत सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग की सीधी निगरानी में सर्वेक्षण कार्य हो रहा है। इसकी रिपोर्ट भी सीधे वहीं भेजी जाती है।

यहां जताई जा रही संभावना

दुद्धी-म्योरपुर के बीच तीन, आजनगीरा-कूदरी के पास छह, लाखर, बभनी, मुर्राटोला, जौराही, रंपाकूरर एरिया में छह रिहंद किनारे मेजरूत एरिया में चार, बीजपुर, नकटू, कूदर नवाटोला क्षेत्र में नौ और रिहंद से सटी कुंडारघाटी एरिया में चार ऐसे स्थल चिन्हित किए गए हैं जहां यूरेनियम अयस्क के अच्छी-खासी उपलब्धता की संभावना जताई गई है। जिले में अब तक यूरेनियम का जो भंडार पाया गया है वह यू-308 श्रेणी का है, जिसका उपयोग परमाणु रिएक्टरों में ईंधन के रूप में किया जाता है।

छत्तीसगढ़ बार्डर तक स्थान चिह्नित

वर्ष 2006 से 2025 के बीच सामने आई विभिन्न रिपोर्टों और जिले में चल रहे अनुसंधान कार्यों पर नजर डालें तो पता चलता कि रिहंद डैम के तटवर्ती इलाकों से लेकर रेणुकूट परिक्षेत्र, दुद्धी तहसील के झारखंड-छत्तीसढ़ से सटे क्षेत्रों में नकटू सहित 32 स्थल ऐसे हैं, जहां यूरेनियम का व्यापक भंडार होने की संभावना व्यक्त की गई है। सोनभद्र बना यूरेनियम हब? नकटू में 785 टन का दावा, कई और स्थानों पर जांच

पूर्व में जियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की तरफ से किए गए सर्वे में भी संबंधित एरिया में यूरेनियम की मौजूदगी का संकेत दिया जा चुका है। सोनभद्र- सिंगरौली में कोयले का बड़ा भंडार होने के कारण जिला पहले से तापीय विद्युत संयंत्रों का हब बना हुआ है।
अब परमाणु ऊर्जा के बड़े स्रोत की सामने आती संभावना को देखते हुए कहा जा रहा है कि आने वाले समय में जिला परमाणु बिजली का भी महत्त्वपूर्ण केंद्र बना दिखाई दे सकता है।

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