Solar Panel Price: घर में सोलर पैनल लगाने की पूरी प्रोसेस, हर माह बचा सकते हैं हजारों रुपए

Solar Panel Price। यदि आप भी अपने भारी भरकम मासिक बिजली बिल से काफी परेशान हो चुके हैं और इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो तत्काल सरकारी योजना का फायदा उठाकर अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवाकर खुद बिजली बना सकते हैं और यदि अतिरिक्त बिजली बनती है तो उसे बेचकर मुनाफा भी कमा सकते हैं। देश में राज्य सरकारों के साथ केंद्र सरकार भी सोलर पैनल लगाने पर भारी सब्सिडी ऑफर कर रही है और आप अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगाकर खुद अपनी जरूरत की पूर्ति कर सकते हैं। आइए समझते हैं सोलर पैनल लगाने पर कितनी सब्सिडी मिलती है, कितनी सोलर प्लेट लगानी पड़ती है और इसकी कीमत क्या है। एक सोलर पैनल से हमें कितनी बिजली मिल सकती है। इस पूरे कैलकुलेशन को आप यहां पूरी तरह समझ सकते हैं –
सोलर पैनल रूफटॉप की लागत
गौरतलब है कि केंद्र सरकार वर्ष 2022 तक देश में हरित ऊर्जा के उत्पादन को 175 गीगावाट तक ले जाना चाहती है। ऐसे में सरकार सोलर पैनल लगाने में काफी सब्सिडी दे रही है। साथ ही अगर आप सौर ऊर्जा से ज्यादा बिजली पैदा कर लेते हैं तो उसे सरकार को बेच भी सकते हैं। केंद्र सरकार का नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय रूफटॉप सोलर प्लांट पर 30 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करता है। अगर आप इसे अपने खर्च पर इंस्टॉल करवाते हैं तो इसमें करीब 1 लाख रुपये का खर्च आएगा। ग्राहक बैंक लोन लेकर भी सोलर पैनल इंस्टॉल करवा सकते हैं। सरकार से सब्सिडी मिलने के बाद इसे मात्र 60 से 70 हजार रुपए घर पर लगवा सकते हैं।
25 साल तक चलते हैं सोलर पैनल
सौर पैनलों की सर्विस करीब 25 साल रहती है।य़ इसके रखरखाव में कोई खर्च नहीं आता है। आपको बस 10 साल में बैटरी बदलनी होगी, इसकी कीमत करीब 20 हजार रुपए के करीब होती है। इससे न सिर्फ फ्री में जनरेट होने वाली बिजली मिलेगी। केंद्र सरकार के अलावा कुछ राज्य सरकारें भी सब्सिडी देती हैं।
समझें सोलर पैनल का पूरा गणित
अगर 2 किलोवाट का सोलर पैनल लगाएंगे तो 10 घंटे की धूप से करीब 10 यूनिट बिजली यानी 1 महीने में करीब 300 यूनिट बिजली पैदा होगी। अगर आप महीने भर में 100 यूनिट बिजली की खपत है, तो आप बाकी बिजली सरकार को बचा सकते हैं।
सोलर पैनल की कीमत
यदि आप घर में सोलर पैनल लगवाना चाहते हैं तो सरकारी की ओर से मिलने वाली सब्सिडी के बाद यह काफी किफायती हो जाता है। सामान्यत: 1 किलोवॉट के सोलर पैनल की कीमत 20000 रुपए से लेकर 36000 रुपए तक हो सकती है। अलग-अलग कंपनियों के सोलर पैनल की कीमत और क्वॉलिटी भी अलग होती है। ये इस बात पर निर्भर करता है कि आप जो सोलर पैनल ले रहे हैं, उसकी Technology, Quantity, Quality, Brand और Service किस तरह की है।
घर के खर्च के लिए कितने सोलर पैनल लगाने होंगे
अगर आप अपने घर में सोलर सिस्टम लगाना चाहते हैं तो आपके मन में कई सवाल होंगे। सोलर सिस्टम लगाने से पहले यह पता लगाएं कि आपके घर में औसतन कितनी बिजली की खपत होती है। फिर इसे प्रतिदिन धूप के औसत घंटों से गुणा करें। इसके बाद जो टोटल निकलेगा उसे आप पैनल की वाट क्षमता से विभाजित कर देंगे। सोलर पावर सिस्टम लगाने वाली कंपनियां भी आपको इस बारे में पूरी जानकारी दे देती है। इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं। मान लीजिए कि प्रतिदिन औसतन 4 घंटे अच्छी धूप है। आप 325 वाट के सोलर पैनल खरीद रहे हैं। हर पैनल प्रतिदिन 1,300 वाट-घंटे (1.3 kWh) ऊर्जा उत्पन्न करता है। ऐसे में अगर आप रोजाना औसतन 29 kWh बिजली की खपत करते हैं तो आपको 325 वाट के 23 पैनल लगाने होंगे।
क्या बादल होने पर नहीं बनेगी बिजली, जानिए पूरी सच्चाई
सौर ऊर्जा अब भारत सहित दुनिया के कई देशों में ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने का एक प्रमुख साधन बनता जा रहा है। बादलों या ठंडे कोहरे के कारण इस ऊर्जा की आपूर्ति में बाधा न आए, इसके लिए एक नया विकल्प खोजा गया है, जिसे मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल के नाम से जाना जाता है। यह सोलर पैनल साधारण पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से बहुत हटकर होता है। सूरज की कम रोशनी में भी ये सोलर पैनल आसानी से बिजली पैदा कर सकता है।
बादल होने पर भी बिजली बनाते हैं मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल
मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनलों की क्षमता पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की तुलना में अधिक होती है। यह प्रति वर्ग फुट अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है। मोनोक्रिस्टलाइन सौर सेल सिलिकॉन के शुद्धतम रूप से बने होते हैं। साथ ही मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनलों को लगाने का यह भी फायदा है कि इसे लगाने के लिए 18 प्रतिशत कम जगह की आवश्यकता होती है। इसमें कम तारों का भी इस्तेमाल किया गया है। मोनोक्रिस्टलाइन पैनल सूर्य की रोशनी से बिजली उत्पन्न करते हैं। जब सूर्य का प्रकाश सिलिकॉन के सेमीकंडक्टर से टकराता है, तो प्रकाश से पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा अवशोषित होती है। जिसके कारण इलेक्ट्रॉन बिखर जाते हैं।
मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से सोलर सेल बनाने के लिए सिलिकॉन बार बनाए जाते हैं और उन्हें वेफर्स के रूप में काटा जाता है। ऐसे पैनलों को मोनोक्रिस्टलाइन कहा जाता है। इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला सिलिकॉन सिंगल क्रिस्टल सिलिकॉन होता है। जहां एक साधारण सौर पैनल दिन में केवल 8 घंटे काम करता है, जबकि मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल दिन में 10 घंटे ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है।