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Sindhi Teejdi: 12 अगस्त 2025 सिंधी तीजड़ी, पति की लंबी आयु और सौभाग्य की कामना से विवाहिताएं करेंगी निर्जला व्रत

Sindhi Teejdi: 12 अगस्त 2025 सिंधी तीजड़ी, पति की लंबी आयु और सौभाग्य की कामना से विवाहिताएं करेंगी निर्जला व्रत

कटनी।Sindhi Teejdi: 12 अगस्त 2025 सिंधी तीजड़ी, पति की लंबी आयु और सौभाग्य की कामना से विवाहिताएं करेंगी निर्जला व्रत। इस साल सिंधी तीज 12 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि रहेगी। वहीं कई जगह इस दिन कजरी तीज का त्योहार मनाया जाएगा।

Sindhi Teejdi: 12 अगस्त 2025 सिंधी तीजड़ी, पति की लंबी आयु और सौभाग्य की कामना से विवाहिताएं करेंगी निर्जला व्रत

सिंधी समुदाय का तीजड़ी पर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। सामान्यतः त्योहार रक्षाबंधन के तीसरे दिन पड़ता है। इस दिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। चलिए जानते हैं इस साल सिंधी तीज या तीजड़ी पर्व कब है।

 

सिंधी ट्रीजड़ी व्रत, जिसे सिंधी तीज या तीजड़ी भी कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व है जो विशेष रूप से सिंधी समुदाय में मनाया जाता है।

पर्व की तारीख

इस वर्ष, सिंधी ट्रीजड़ी व्रत 12 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। यह दिन भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए उपवासी रहती हैं।

व्रत का महत्व और मान्यता

सिंधी ट्रीजड़ी व्रत का विशेष महत्व है, क्योंकि यह विवाहिताओं द्वारा अपने पतियों की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है। अविवाहित कन्याएं भी इस दिन उपवासी रहकर अच्छे पति की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

पूजा विधि

  • प्रातःकालीन क्रियाएँ: महिलाएं सुबह उठकर मुसाग जड़ी से दांत साफ करती हैं और स्नान करने के बाद मिठाई, फल और रबड़ी का सेवन करती हैं।
  • व्रत की शुरुआत: सूर्योदय के समय बिना जल ग्रहण किए व्रत की शुरुआत करती हैं।
  • सोलह सिंगार: महिलाएं सोलह सिंगार करके तीजड़ी माता की पूजा करती हैं और कुछ दिन पहले लगाए गए पौधे को जल अर्पित करती हैं।
  • तीजड़ी माता की कथा: शाम के समय सूर्यास्त से पहले तीजड़ी माता की कथा का पाठ करती हैं।
  • चंद्र दर्शन: चंद्रमा के निकलने के बाद साबूत चावल, कच्चा दूध, चीनी और खीरा का अर्ध्य अर्पित करती हैं।
  • व्रत का पारण: पूजा के बाद महिलाएं सात्विक भोजन करके अपने व्रत का पारण करती हैं।

 

विशेष बातें

  • यह व्रत विवाहित महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है, लेकिन अविवाहित कन्याएं भी इसे अच्छे पति की प्राप्ति के लिए करती हैं।
  • इस दिन महिलाएं मेहंदी लगाती हैं और सोलह सिंगार करके पूजा करती हैं, जिससे उनकी सुंदरता और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
  • सिंधी समुदाय में यह व्रत सामूहिक रूप से मनाया जाता है, जिससे सामाजिक एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है।

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