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नेपाल के जरिये पाकिस्तान तक सिम कार्ड सप्लाई – दिल्ली में ISI जासूसी गैंग का खुलासा

नेपाल के जरिये पाकिस्तान तक सिम कार्ड सप्लाई - दिल्ली में ISI जासूसी गैंग का खुलासा

नेपाल के जरिये पाकिस्तान तक सिम कार्ड सप्लाई – दिल्ली में ISI जासूसी गैंग का खुलासा। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के एक जासूसी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है. एक नेपाली नागरिक प्रभात कुमार चौरसिया को गिरफ्तार किया गया है जो भारत से खरीदे गए 16 सिम कार्ड पाकिस्तान भेज रहा था. ये सिम कार्ड व्हाट्सऐप पर इस्तेमाल हो रहे थे जिससे भारत विरोधी गतिविधियां संचालित की जा रही थीं. पुलिस ने कई डिजिटल डिवाइस और सिम कार्ड के पैकेट बरामद किए हैं।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े जासूसी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है. इस कार्रवाई में एक नेपाली नागरिक को गिरफ्तार किया गया है. यह भारतीय सिम कार्ड्स को पाकिस्तान भेज रहा था. ये सिम कार्ड्स पाकिस्तान से व्हाट्सऐप पर इस्तेमाल किए जा रहे थे ताकि जासूसी और भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जा सके. खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर जाल बिछाया गया। नेपाल के जरिये पाकिस्तान तक सिम कार्ड सप्लाई – दिल्ली में ISI जासूसी गैंग का खुलासा

पुलिस की टीम को 28 अगस्त 2025 को पुख्ता इनपुट मिला कि ISI से जुड़ा एक शख् दिल्ली के लक्ष्मी नगर में मौजूद है. टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे पकड़ लिया. आरोपी की पहचान प्रभात कुमार चौरसिया के रूप में हुई है. जिसकी उम्र 43 साल बताई जा रही है और यह बीरगंज नेपाल का रहने वाला है. पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया कि उसने अपने आधार कार्ड का इस्तेमाल कर 16 सिम कार्ड खरीदे और नेपाल भेजे. इनमें से 11 सिम पाकिस्तान के लाहौर और बहावलपुर जैसे इलाकों में I

क्या-क्या बरामद हुआ?

पुलिस को आरोपी के पास से कई तरह के डिजिटल डिवाइस बरामद हुए जिनमें संदिग्ध सामग्री थी. कई सिम कार्ड्स के खाली पैकेट भी बरामद किए गए हैं. जांच में सामने आया है कि 2024 में प्रभात का संपर्क ISI एजेंट्स से एक नेपाली माध्यम के जरिए हुआ था. उसे लालच दिया गया कि उसे पत्रकारिता के नाम पर अमेरिका का वीजा दिलाया जाएगा. इसके बदले में उससे कहा गया कि वह भारत से सिम कार्ड्स उपलब्ध कराए और रक्षा से जुड़ी जानकारियां इकट्ठा करे.

सिम नेपाल के रास्ते ISI एजेंट्स तक पहुंचाए जाते थे

प्रभात ने लातूर में बनाए गए अपने आधार कार्ड का इस्तेमाल करते हुए बिहार और महाराष्ट्र से कई सिम कार्ड प्राप्त किए. इन सिम कार्ड्स को बाद में नेपाल के रास्ते बाहर भेजा गया जहां ये संदिग्ध रूप से आईएसआई एजेंट्स तक पहुंचाए गए. पाकिस्तान से बैठे एजेंट्स इन्हीं भारतीय नंबरों पर व्हाट्सऐप बनाकर भारतीय सेना के अधिकारियों से संपर्क करने और संवेदनशील जानकारी निकालने की कोशिश कर रहे थे.

आरोपी का बैकग्राउंड

प्रभात का जन्म 1982 में नेपाल में हुआ. प्रभात ने अपनी शुरुआती पढ़ाई नेपाल और बिहार के मोतिहारी से की. B.Sc. (आईटी) और कंप्यूटर हार्डवेयर-नेटवर्किंग में डिप्लोमा किया. फार्मा सेक्टर में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव और एरिया मैनेजर की नौकरी की. 2017 में काठमांडू में लॉजिस्टिक्स कंपनी शुरू की, लेकिन वो घाटे में डूब गई. इसके बाद विदेश जाने के चक्कर में प्रभात ISI के संपर्क में आ गया और जासूसी गतिविधियों में शामिल हो गया. स्पेशल सेल ने उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 61(2)/152 के तहत मामला दर्ज किया है. फिलहाल उसकी और उसके सहयोगियों की तलाश और ISI से जुड़े नेटवर्क की जांच जारी है।

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