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SEBI ने अनिल अंबानी को किया 5 साल के लिए किया बाजार से बेदखल, 26 इकाइयों पर लगाया 624 करोड़ रुपये का जुर्माना

SEBI : उद्योगपति अनिल अंबानी को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जबरदस्त झटका दिया है। रिलायंस होम फाइनैंस (RHFL) से क​थित तौर पर रकम की हेराफेरी से जुड़े मामले में बाजार नियामक ने अंबानी को बाजार में लेनदेन करने से पांच वर्षों तक रोक दिया है। बाजार नियामक ने अंबानी एवं उनकी कंपनियों और उनके पूर्व निदेशकों समेत 26 इकाइयों पर 624 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

बाजार नियामक ने अनिल अंबानी और अन्य को शेयर बाजार में पांच साल के लिए प्रतिबं​धित कर दिया है। ये लोग किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में मुख्य पद पर भी नहीं रह पाएंगे। अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

सेबी ने पाया कि अंबानी ने आरएचएफएल के प्रवर्तकों से जुड़े लोगों को ऋण देने के लिए आरएचएफएल से पैसे निकालने के लिए फर्जी योजना तैयार की थी। सेबी ने अपने आदेश में कहा है कि आरएचएफएल का पैसा प्रवर्तक से जुड़ी इकाइयों तक पहुंचाने के लिए ऋण लेने वाली इकाइयां बिचौलिये की भूमिका निभा रही थीं।

SEBI : यह मामला 2018 और 2019 के दौरान आरएचएफएल द्वारा वितरित सामान्य उद्देश्य कार्यशील पूंजी ऋण (जीपीसीएल) से जुड़ा हुआ है। नियामक को इस मामले में कई अनियमिताओं, उल्लंघनों और आरएचएफएल द्वारा दी गई जानकारियों में खामियों का पता चला। आरएचएफएल द्वारा आवंटित ऋण 2018-19 में बढ़कर 8,670 करोड़ रुपये हो गया, जो 2017-18 में 3,742 करोड़ रुपये था।

सेबी के आदेश के अनुसार आरएचएफएल को प्राप्त होने वाली कुल बकाया राशि 6,931 करोड़ रुपये थी। सेबी की इस सख्ती की वजह से अनिल अंबानी उन कई कंपनियों के निदेशकमंडल (बोर्ड) से बाहर हो सकते हैं, जिनमें वह निदेशक हैं। गुरुवार शाम आए सेबी के आदेश के बाद शुक्रवार को एडीएजी समूह से जुड़े कई शेयर फिसल कर अपने 5 प्रतिशत के निचले दायरे पर आ गए। यह आदेश सेबी द्वारा फरवरी 2022 में जारी एक अंतरिम आदेश-कारण बताओ नोटिस के बाद आया है।

SEBI : सुनवाई के दौरान अंबानी ने अपनी दलील में कहा कि वह आरएचएफएल के दैनिक प्रबंधन में शामिल नहीं थे और न ही उन्होंने आरएचएफएल में कोई पद नहीं संभाला था। अंबानी ने यह भी कहा था कि आरएचएफएल का नियमन एनएचबी और आरबीआई के तहत हो रहा था और उसके व्यावसायिक परिचालन से जुड़ी कोई समस्या इन नियामकों से संबं​धित है, न कि सेबी से।

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायणन ने 200 पृष्ठों के आदेश में कहा कि कुछ निदेशकों और प्रबंधन अधिकारियों ने कंपनियों को ऋण देने पर प्रतिबंध लगाने के लिए बोर्ड द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया। उन्होंने कहा कि अंबानी के निर्देशों के तहत ‘कंपनी की परिसंपत्तियों/रकम को व्यवस्थित रूप से ले लिया’।

सेबी की जांच के अलावा, स्वतंत्र लेखा परीक्षकों पीडब्ल्यूसी और ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्टों से भी इन खामियों की पुष्टि हुई।

SEBI : बाजार के इस आदेश से पहले नैशनल फाइनैंसिंग रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए) ने अप्रैल में एक आदेश जारी किया था। एनएफआरए ने पाया था कि आरएचएफएल द्वारा वित्तीय रूप से कमजोर कंपनियों को ऋण आवंटन जांच-पड़ताल में ऑडिटरों से लापरवाही हुई थी। एनएफआरए ने कहा था कि इन कंपनियों को बिना किसी ठोस आधार के ऋण दिए गए और बाद में रकम समूह की दूसरी कंपनियों को दे दी गई।

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सेबी ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि यह भी देखा जाएगा कि कथित फर्जी योजनाओं की आड़ में कितनी रकम अवैध रूप से जुटाई गई है और उसी अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

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