बांग्लादेश में अल्पसख्यक हिंदू बुद्ध और ईसाई समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के विरोध मे सनातन चेतना मंच ने विशाल जुलुस निकाल कर सौंपा ज्ञापन

बांग्लादेश में अल्पसख्यक हिंदू बुद्ध और ईसाई समुदाय पर हो रहे अत्याचारों के विरोध मे सनातन चेतना मंच ने विशाल जुलुस निकाल कर सौंपा ज्ञाप
कटनी बांग्लादेश देश मे भारत के नागरिक और सकल हिंदू समाज के प्रतिनिधि, बागलादेश में हिंदू चौद्ध और ईसाई समुदायों पर हो रहे अत्याधारी के प्रति अपनी गहरी बिता और विरोच व्यक्त करते हैं। बांगलादेश में वर्तमान में की आत्याच चल रहे हैं, वे न केवल मानवाधिकारों का उल्तान है, बल्कि इनसे हमारे साझा सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्य भी आहत हो रहे
स्वतंत्रता के समय हत्कालीन पूर्व पाकिस्तान (वर्तमान मे बांग्लादेश में 2.25% हिंदू थे। किंतु उन्हें दी जा रही बातनाओं के कारण, तथा उनका धर्मानारण (Genocide) करने के कारण, माग्लादेश की पिछली जगगन तक हा मात्र 7.95% भी हिंदू बने हैं। विशेषतः विगत 5 अगस्त की फैली हिंसा के बाद बांगलादेश में बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय को लक्ष्य बनाकर, उनकी हत्थाए की जा रही है। उनके घर लुटे जा रहे हैं। उनकी जवान बेटियों पर अत्याचार किए जा रहे हैं।
5 अगस्त से अब तक कुछ हजार हिन्दूओं की हत्या की गई है हिंदुओं पर हमले की 6,000 से ज्याचा घटनाएं हो चुकी है। खुलना, रंगपुरी , राजशाही, बारिसाल,चिटगाय, सिलहट इन सभी विभागों में हिंदुओं पर लगातार अत्याचार किए जा रहे हैं। पुलिस विभाग हिंदुओं की शिकायतें नहीं ले रहा है। बांग्लादेश प्रशासन में, एक ही महीने में 252 हिन्दू पुलिस अधिकारिशों की नौकरी से निकाल दिया है। बगलादेश की पुलिस में अब एक भी हिंदू पुलिस अधिकारी नहीं बचा है। हिंदुओं के श्रद्धा स्थान, मंदिरों पर हमले किए जा रहे है। पिछले चार महीरों में 1,000 से ज्यादा मंदिरी को ध्वस्त किया गया, तथा मंदिरों में स्थापित भगवान की
मूर्तियों को तोड़ा गया।
, बांग्लादेश में हिंदू अत्यंन्त असुरक्षित है। उन्हें कोई भी मूत्रभूत अधिकारी नहीं है। हिंदू समुदाय की हत्याओं का दौर जारी है। विगत दिनों बांग्लादेश सरकार है, वहा के प्रमुख हिंदू संत एवं इसकोन के पदाधिकारी, चिन्मय कृष्णदास को झूठे देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है
जो धार्मिक स्वतंत्रता ओर मानवीय अधिकारों का उलंघन था हमारे पड़ोसी देश में हिंदुओं पर हो रहे इन पारावी अत्याना से हाथ है। हमारे पड़ोसी देश में हुई कुछ घटनाओं ने हमें गहरे आघात पहुंचाया है, जिनमें विशेष से मुशायी पर किए गए माल की एक खामिल है 25 नवंबर 2024, ढाका में इस्कीम के चिन्मय कृष्ण दास जी को झूठे देश के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जो कि धार्मिक स्वता और मानवीय अधिकारी का तंवर था।
24 नवंबर 2024, बगैरहाट एक हिंदू लड़की को बरन धर्मातरण का आतंकी संगठन में शामिल किया गया, जी एक धीर अपराध है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याबारी का प्रतीक है। 20 पवंचर 2024, बरियाप्त हिंदू समुदाय के परो और दकानों की आग के हवाले कर दिया गया, जिससे उनकी संपत्ति
और सम्मान को नष्ट कर दिया गया। 19 सितंबर 2024, मिलगट: बौद्ध और हिंदू मंदिरों को तोड़फोड़ कर आग लगा दी गई, को मार्मिक अनिता और सांस्कृतिक धरोहर को नह करने का एक प्रवास था। इन पहनाओं में हवारी हिंदू, बौद्ध और ईसाई परिवारों को विस्थापित किया गया है और उनके धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया है। उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले किए जा रहे हैं, जो न केवल बांग्लादेश के संविधान और अंतरराष्ट्रीयमानानि चल्कि हमारे समा मानवता के लिए भी एक खतरा है। हमारी मार्ग भारत सरकार द्वता बांग्लादेश सरकार पर डाला जाए कि वहां अध्यात्मक समुदायों की सुरक्षा सुनिक्षित हो सके और धार्मिक स्थास्ता को कायम रखा जा सके एवं हिन्दू संत एवामी थिन्मम प्रभु की बिना राई की जा सके। संयुक राष्ट्र और अंहाराष्ट्रीय विकार केबलादेश आकार मुद्दे की ओर आकर्षित किया जाए। की इन आचार्य के लिए था और अंतरराष्ट्री को इस गंभीर . अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों की निध्यक्ष और स्वतंत्रा कराई जाए और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए ताकि इसकी हो। हिंदू कारों को
की और है, उन्हें उनके स्थान किया और क यह केवल मानवाधिकारों का अलथन नहीं है, बरिक यह हनती साझा सांस्कृतिक धार्मिक अस्मिता और पारस्परिक सम्मान पर भी हमला है। हम आपसे निवेदन करते हैं कि इस गंभीर मुद्दे पर ठरकाल और ठोस कदम उठाए जाएं ताकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों को सुरक्षा मिल सके और इन अत्याचारों को रोका जा सके। हम आशा करते है कि भारत सरकार इस विषय में सकारात्मक ही करेगी और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रभावी कदम उठाएगी। सनातन चेतना मंच क़े सयोंजक राजेश तिवारी ने दिए गए ज्ञापन पर अतिशीघ्र कार्यबाही की मांग की है
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