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दोस्ती प्यार और फिर शादी का झांसा देकर बलात्कार, अदालत ने आरोपी को दी आजीवन कारावास की सजा

दोस्ती प्यार और फिर शादी का झांसा देकर बलात्कार, अदालत ने आरोपी को दी आजीवन कारावास की सज

माननीय विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट कटनी राजेश नंदेश्वर द्वारा थाना कैमोर के जघन्य एवं सनसनी खेज चिन्हित विशेष सत्र प्रकरण में पीड़ित के पक्ष में सुनाया फैसला

कटनी – 7 मई को माननीय विशेष न्यायाधीश एससी एसटी एक्ट जिला कटनी राजेश नंदेश्वर द्वारा थाना कैमोर के जघन्य एवं सनसनी खेज चिन्हित विशेष सत्र प्रकरण में अनुसूचित जाति वर्ग की युवती को शादी का प्रलोभन देकर उसकी इच्छा के विरुद्ध बलात्संग करने वाले आरोपी अभिषेक द्विवेदी पिता शिवकुमार द्विवेदी उम्र 27 वर्ष निवासी ग्राम कांसा पोस्ट लकहा, तहसील मैहर जिला सतना हाल पता बाबाताल सिहोरा जबलपुर को धारा 3(2) (व) एससी एसटी एक्ट में आजीवन कारावास एवं 10,000 रु. का अर्थदण्ड एवं धारा 376 (1) भादवि में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10,000 रूपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई। प्रकरण में पैरवी अतिरिक्त जिला अभियोजन अधिकारी रामनरेश गिरि द्वारा की गई।

मीडिया सेल प्रभारी सुरेन्द्र कुमार गर्ग द्वारा जानकारी देकर बताया गया कि पीड़ित युवती ने थाने में इस आशय का आवेदन दिया कि पिछले साल 2021 में विजयराघवगढ भारत फाइनेंस प्राईवेट कंपनी में काम करने वाला कर्मचारी अभिषेक द्विवेदी ने मुझसे दोस्ती किया। अभिषेक ने दोस्ती के दौरान कई बार मुझसे कहा कि मैं तुमसे प्यार करने लगा हूं इसलिये धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्रेम संबंध में बदल गई। 25 दिसंबर 2021 को अभिषेक ने के साथ मोटर साईकिल में घुमने गई। वह मुझे बडारी तरफ ले गया और बडारी के जंगल तरफ ले जाकर मुझसे जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए मना किया तो नहीं मान रहा था कह रहा था मैं तुमसे शादी करूंगा, उसके बाद मैंने कई बार अभिषेक से शादी के लिये कहा लेकिन वह मेरी बात को टालता रहा बाद में अभिषेक ने मुझसे बात करना बंद कर दिया। कुछ दिन बात अभिषेक ने मुझे काल करके कहा कि मैं तुम्हारे गांव आ रहा हूं और शाम को अभिषेक मेरे घर आया घर पर मेरी भाभी भी थी मैनें अभिषेक से फिर शादी के लिये पूछा तो अभिषेक शादी की बात को लेकर चिढ गया और मुझे घर के सामने मां बहन की गंदी गंदी गालियां देते हुए कहने लगा कि मैं पंडित हूं मैं तुम जैसी नीच जाति की लडकी से जिंदगी में कभी शादी

नहीं करूंगा और जान से मारने की धमकी देकर चला गया। युवती की उक्त रिपोर्ट पर धारा 376, 294, 506, भादवि एवं 3 (1) (डब्ल्यू) (2), 3(2) (व) भादवि का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।

विवेचना उपरांत आरोपी अभिषेक द्विवेदी व्दारा अपराध घटित करना पूर्णत प्रमाणित पाये जाने से आरोपी के विरुध्द अभियोजन हेतु पर्याप्त साक्ष्य होने एवं मामले की विवेचना पूर्ण होने से आरोपी के विरुध्द अभियोग पत्र तैयार कर माननीय न्यायालय में पेश किया गया। उपरोक्त मामले में विवेचना तत्कालीन एसडीओपी विजयराघवगढ रितेश कुमार शिव द्वारा की गई है। विचारण के दौरान प्रकरण में नियुक्त नोडल अधिकारी, थाना प्रभारी कैमोर एवं उनके निर्देशन में नियुक्त लिंक अधिकारी का सहयोग समय-समय पर निरंतर मिलता रहा है। प्रकरण में अभियोजन संचालन पूर्व में हनुमंत किशोर शर्मा डीपीओ के द्वारा तथा बाद में अति. जिला अभियोजन रामनरेश गिरि द्वारा किया गया।

प्रकरण में विचारण के दौरान माननीय न्यायालय के समक्ष समस्त सारवान साक्षी पक्षद्रोही हो गये थे एवं आरोपी अथवा उसके परिजनों द्वारा उन्हें न्यायालय में अपने पक्ष में कथन हेतु पूर्ण रूप से प्रभावित कर लिया गया। बचाव पक्ष द्वारा प्रस्तुत पृथक-पृथक 3 न्यायदृष्टांत में से 2 न्यायदृष्टांत माननीय उच्चतम न्यायालय एवं 1 माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर म.प्र. तथा प्रकरण में आये साक्ष्य का सूक्ष्मता से मनन एवं विश्लेषण कर समग्र रूप से न्यायालय के पीठासीन अधिकारी द्वारा आरोपी को दोषसिद्ध किया जाकर विधिक एवं उपर्युक्त पीडित पक्ष को न्यायदान प्रदान करने में अहम योगदान कर प्रकरण में निर्णय पारित करते हुए आरोपी अभिषेक द्विवेदी को धारा 3 (2) (व) एससी एसटी एक्ट में आजीवन कारावास एवं 10,000 रु. का अर्थदण्ड एवं धारा 376 (1) भादवि में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10,000 रूपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई गई।

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