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Rail Concession वरिष्ठजनों सहित कई श्रेणियों में किराए में मिलने वाली छूट पर रोक लगाई थी, जो अब तक बहाल नहीं हुई है। इससे वरिष्ठजनों के यात्रा कार्यक्रम बाधित हो रहे है। खासकर धार्मिक स्थलों की यात्रा को लेकर वरिष्ठजनों में रेलवे को लेकर निराशा है। किराए में फिर से रियायत को लेकर वरिष्ठ यात्री उम्मीद लगाए बैठे हैं कि चुनावी साल में केंद्र सरकार रियायत को बहाल कर सकती है।
ट्रेनों में यात्रा करने वाले करीब 35-40 प्रतिशत वरिष्ठ नागरिक हैं। इन्हें रेलवे की ओर से किराए में 50 प्रतिशत की छूट दी जाती रही है। यह ट्रेन की सभी श्रेणियों में मिलती रहती थी। कोरोना के चलते स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू हुआ, तो संक्रमण की संभावना कम करने की दृष्टि से इसके लिए एसी में मिलने वाले बेडरोल (चादर, कंबल और तकिया) की सुविधा बंद करते हुए कोच में लगने वाले पर्दे भी हटा दिए।
संक्रमण कम होने के बाद से ये सुविधाएं रेलवे ने फिर से बहाल कर दी। इससे यात्रियों को बड़ी राहत मिली है। कई तरह की सुविधाएं बहाल करने से वरिष्ठ नागरिकों की उम्मीद बढ़ी है कि रेलवे उनको मिलने वाली छूट भी जल्दी बहाल करेगा। इस बीच यह भी रहा कि रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने 2023 में संसद में बताया था कि छूट फिर से दिए जाने का कोई प्रस्ताव अभी नहीं है।
इसके बाद से ही वरिष्ठजन काफी निराश हुए हैं, लेकिन संभावना जताई गई है कि वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव से पहले ये रियायत बहाल हो सकती है। गौरतलब है कि रेलवे की सभी ट्रेनों में वरिष्ठ नागरिकों को टिकटों पर 50 फीसदी तक की छूट मिली थी। 60 साल के पुरुषों और 58 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को रेलवे वरिष्ठ नागरिक मानता है। कोरोना महामारी से पहले तक राजधानी, शताब्दी, दूरंतो सहित समस्त मेल एक्सप्रेस में पुरुषों को बेस फेयर में 40 प्रतिशत जबकि महिलाओं को 50 फीसदी की छूट दी जाती रही है।