अब सिर्फ़ 2 पानी में पक्कर तैयार होगी गेहूँ की ये शानदार क़िस्म, आप भी जान लीजिए इस वैज्ञानिक क़िस्म का नाम

अब सिर्फ़ 2 पानी में पक्कर तैयार होगी गेहूँ की ये शानदार क़िस्म, आप भी जान लीजिए ये क़िस्म का नाम गेहूं और धान दो ऐसी फसले हैं जिनमें बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है। वहीं, लगातार घट रहा जलस्तर चिंता का विषय बना हुआ है. इन सभी स्थितियों को देखते हुए कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने गेहूं की ऐसी किस्म तैयार की है।
विभिन्न किस्मों की खेती
किसान गेहूं की विभिन्न किस्मों के खेतों में चार से पांच बार पानी देते हैं. एचएयू के गेहूं एवं जो अनुभाग के वैज्ञानिकों ने गेहूं की नई किस्म डब्ल्यूएच 1142 विकसित की है। यह किस्म इस तरह बनाई गई है कि इसमें पानी और उर्वरक की कम आवश्यकता होती है।
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विशेषताएं और इसकी औसत ऊंचाई
ये विविधता की विशेषताएं है यह एक मध्यम बोनी किस्म है और इसकी औसत ऊंचाई 102 सेमी है। इसके पौधे घने और अधिक विभाजित होते हैं। यह फसल गिरती नहीं है. इसमें अधिकतम सूखा झेलने की भी शक्ति होती है। इसके झुमके मध्यम लंबे और सफेद रंग के होते हैं। इसमें 12.1 प्रतिशत प्रोटीन, 3.80 पीपीएम बीटा कैरोटीन, 36.4 आयरन, 33.7 पीपीएम जिक होता है।
इस किस्म की खासियत यह है कि यह रोपण के बाद जमीन से पोषक तत्व अपने आप खींच लेती है। इसकी कतियाँ 105 दिनों में खिलती है तथा यह 154 दिनों में पक भी जाती है। पकने पर बालियों का रंग सफेद रहता है। इस किस्म को बोने के लिए प्रति एकड़ 40 किलोग्राम बीज अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह में बोया जाता है. इसमें 36 किलोग्राम नाइट्रोजन, 24 किलोग्राम फास्फोरस, 16 किलोग्राम पोटाश, 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ उर्वरक डालते है।