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MP Eleection बहुप्रतीक्षित बागली विधानसभा में गुरु-शिष्य आमने-सामने, खास है यह सीट भाजपा-कांग्रेस के लिए

देवास, छतरपुरा (बागली)। भाजपा ने मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनावके लिए अपनी पांचवीं सूची में बहुप्रतीक्षित बागली विधानसभा का प्रत्याशी घोषित किया। सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य रहे मुरली भंवरा को टिकट दिया। जिले में यह एकमात्र सीट है जहां से भाजपा ने इस बार मौजूदा विधायक का टिकट बदला है। 2018 के चुनाव में पहाड़सिंह कन्नौजे चुनाव लड़कर जीते और विधायक बने। कन्नौजे के टिकट कटने की सुगबुगाहट संगठन में पिछले कई महीनों से थी। उनकी कार्यशैली से कार्यकर्ता भी नाखुश थे। संगठन के पास भी शिकायत पहुंची थी। इधर, बागली में कांग्रेस ने गोपाल भोसले को प्रत्याशी बनाया है।

यह है बागली सीट का इतिहास

बागली विधानसभा में पहली बार 1952 में पहले आम चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव में मतदान हुआ था। उस समय हिंदू महासभा ने बागली के राजा छत्रसिंहजी को उम्मीदवार बनाया था। इसके बाद 1956 के चुनावों में बागली विधानसभा का अस्तित्व नहीं था, लेकिन मध्यप्रदेश के गठन के बाद 1962 में बागली विधानसभा अलग से अस्तित्व में आई।

इसके बाद हुए 13 में से 12 चुनावों में जनसंघ, जनता पार्टी और भाजपा की ओर से पूर्व सीएम कैलाश जोशी 8 बार, चंपालाल देवड़ा दो बार और पूर्व मंत्री दीपक जोशी एवं पहाड़सिंह कन्नौजे 1-1 बार विधायक रहे। वर्ष 1998 में कांग्रेस के प्रत्याशी श्याम होलनी विधायक बने।

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