
बिहार चुनाव: एग्जिट पोल के बाद चढ़ा बाजार, लेकिन NDA की जीत के बाद क्यों लुढ़क गया?। यह कहानी है उम्मीदों की, मुनाफे की, और उस बड़े ‘खेल’ की जो हर चुनाव के बाद शेयर बाजार में होता है. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर यही सवाल खड़ा कर दिया है. एग्जिट पोल आए, एनडीए की बड़ी जीत की भविष्यवाणी हुई।
बिहार चुनाव: एग्जिट पोल के बाद चढ़ा बाजार, लेकिन NDA की जीत के बाद क्यों लुढ़क गया?
बाजार खुशी से झूम उठा. बुधवार को सेंसेक्स 750 अंक और निफ्टी 230 अंक उछल गया. निवेशकों के चेहरे पर मुस्कान थी. लेकिन, जब शुक्रवार को नतीजे एग्जिट पोल के दावे के मुताबिक ही आए और एनडीए बहुमत के आंकड़े 122 से कहीं आगे (200 से अधिक सीटें) निकलती दिखी, तो बाजार ने जश्न मनाने के बजाय गोता लगा दिया।
दोपहर 2 बजे के करीब, सेंसेक्स 376 अंक या 0.44% गिरकर 84,102.96 पर कारोबार कर रहा था. वहीं निफ्टी 110.71 अंक या 0.42% टूटकर 25,771.40 पर कारोबार कर रहा था. निफ्टी पर इंफोसिस, आयशर मोटर्स और टाटा स्टील जैसी दिग्गज कंपनियों के शेयर 3 पर्सेंट तक लुढ़क गए
यानी जिस खबर पर बाजार दो दिन पहले नाच रहा था, उसी खबर के पक्के होने पर वह क्यों लड़खड़ा गया? क्या शेयर बाजार भी ‘पक्का’ होने से पहले की एक्साइटमेंट पर खेल कर देता है? आम निवेशक के मन में यही सवाल है कि आखिर इस विरोधाभास के पीछे की वजह क्या है. जानकार बताते हैं कि इसका सीधा जवाब है, मुनाफावसूली (Profit Booking) और बाजार की समझदारी. चलिए इसे विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं.
रिजल्ट के दिन झटका क्यूं देता है बाजार?
शेयर बाजार को किसी एक पार्टी से नहीं, बल्कि ‘स्थिर और निर्णायक नेतृत्व’ से प्यार होता है. जब भी बाजार को लगता है कि एक मजबूत, स्थिर सरकार बनने वाली है जो आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाएगी, वह पहले से ही जश्न मनाना शुरू कर देता है. यही कारण था कि एग्जिट पोल में एनडीए की प्रचंड जीत का अनुमान आते ही, बाजार ने तेजी पकड़ ली.
लेकिन नतीजे आने के दिन बाजार के गोता लगाने की यह कहानी नई नहीं है. अगर हम 2010 के बिहार चुनावों को देखें, जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए ने भारी जीत दर्ज की थी, तब बाजार पर कोई खास असर नहीं हुआ था, क्योंकि उस वक्त वैश्विक मंदी का साया था और निवेशकों का ध्यान देसी नीतियों से ज्यादा अमेरिकी बाजार (वॉल स्ट्रीट) की रिकवरी पर टिका था.
वहीं, 2015 की कहानी बिल्कुल अलग थी. केंद्र में मोदी सरकार थी और इस चुनाव को उनकी लोकप्रियता के टेस्ट के तौर पर देखा जा रहा था. नतीजे पोल के हिसाब से आए, फिर भी बाजार सहम गया और सेंसेक्स 391 अंक टूट गया. 2020 के चुनाव में एनडीए फिर जीती, तब भी बाजार गिरा. यह ट्रेंड साफ बताता है कि बाजार परिणाम के दिन अक्सर ‘करेक्शन’ (सुधार) के मूड में रहता है.
‘प्रॉफिट बुकिंग’ का खेल
दरअसल, इस पूरी उठा-पटक के पीछे ‘प्रॉफिट बुकिंग’ का एक बड़ा खेल होता है. इसे ऐसे समझिए.
- उम्मीद पर खरीदारी: बड़े और समझदार निवेशकों को पहले ही यह अंदाजा हो जाता है कि कौन सी पार्टी जीतने वाली है. एग्जिट पोल के मजबूत दावे को वे ‘पक्की खबर’ मान लेते हैं. वे जानते हैं कि बाजार को ‘स्थिरता’ पसंद है, इसलिए वे एग्जिट पोल के तुरंत बाद बड़े पैमाने पर खरीदारी शुरू कर देते हैं. यही वजह है कि एग्जिट पोल आते ही सेंसेक्स और निफ्टी में जबरदस्त उछाल देखने को मिलता है.
- खबर पक्की होने पर बिकवाली: जब आधिकारिक नतीजे आते हैं और एग्जिट पोल का अनुमान सच साबित होता है, तो यही निवेशक अब अपना मुनाफा समेटना (प्रॉफिट बुक करना) शुरू कर देते हैं. उन्होंने कम दाम पर शेयर खरीदे थे और अब ऊंचे दाम पर बेच रहे हैं. एक साथ बड़ी संख्या में शेयरों की बिकवाली शुरू होने से बाजार में अचानक गिरावट आ जाती है, जिससे आम निवेशक घबरा जाता है.
पिछले साल का उदाहरण तो और भी चौंकाने वाला था. एग्जिट पोल एक मजबूत सरकार का दावा कर रहे थे, लेकिन जब नतीजे आए और बीजेपी बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई, तब भी सरकार बन रही थी, लेकिन बाजार बुरी तरह भरभरा गया. निफ्टी एक ही दिन में 10% तक गोता लगा गया, जिससे निवेशकों के लाखों-करोड़ों स्वाहा हो गए. इस चुनाव में भी एग्जिट पोल के अगले दिन भयंकर तेजी थी.
आज बाज़ार गिरने के कारण समझ लें
- आज शेयर बाज़ार में जो बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है, उसके पीछे कई ठोस वजहें हैं. सबसे बड़ी वजह बिहार चुनाव के नतीजे हैं, जिन पर बाज़ार की नज़र टिकी है. नतीजों से पहले निवेशक काफ़ी सतर्क हो गए हैं, जिससे बाज़ार में उतार-चढ़ाव (वोलैटिलिटी) बढ़ गई है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के वीके विजयकुमार मानते हैं कि चुनाव नतीजों का असर थोड़े समय के लिए ही रहेगा, जबकि लंबी अवधि में बाज़ार की चाल कंपनियों की कमाई और देश की जीडीपी ग्रोथ से ही तय होगी.
- इसके अलावा, वैश्विक बाज़ारों का खराब प्रदर्शन भी भारतीय बाज़ार का मूड खराब कर रहा है. गुरुवार को अमेरिकी शेयर बाज़ार भारी गिरावट के साथ बंद हुए थे. नैस्डेक 2.3% और एसएंडपी 500 तथा डाउ जोन्स इंडेक्स लगभग 1.7% तक नीचे गिरे. एनवीडिया जैसी दिग्गज टेक कंपनियों के शेयरों में ज़बरदस्त बिकवाली देखी गई. दरअसल, फेडरल रिजर्व बैंक के अधिकारियों के हालिया बयानों से दिसंबर में ब्याज दरें घटने की उम्मीद और कमज़ोर पड़ गई है, जिसका सीधा असर आईटी कंपनियों के शेयरों पर पड़ा. एशिया के बाज़ार भी इसी राह पर थे, जहां साउथ कोरिया, जापान और हांगकांग के सूचकांक भी लाल निशान में कारोबार कर रहे थे.
- एक और चिंता का विषय कच्चे तेल की कीमतों में उछाल है. अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ब्रेंट क्रूड ऑयल का भाव शुक्रवार को 2.71% बढ़कर $60.28 प्रति बैरल पर पहुँच गया है. भारत जैसे बड़े तेल खरीददार देश के लिए यह एक नकारात्मक संकेत है, क्योंकि तेल महंगा होने से देश का आयात बिल बढ़ता है और साथ ही महंगाई पर भी दबाव बढ़ जाता है.
- इन सब के बीच, विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार बिकवाली कर रहे हैं. उन्होंने गुरुवार को 383.68 करोड़ रुपये के शेयर बेचे और पिछले चार दिनों से वे लगातार बाज़ार से पैसा निकाल रहे हैं, जिसने बाज़ार के सेंटिमेंट पर दबाव बना दिया है.
- बाज़ार में अस्थिरता का संकेत देने वाला इंडिया VIX इंडेक्स भी 1% से ज़्यादा बढ़कर 12.30 पर पहुंच गया है. VIX में यह बढ़ोतरी दर्शाती है कि आने वाले समय में बाज़ार में काफ़ी उतार-चढ़ाव रह सकता है, जिसकी वजह से ट्रेडर्स सतर्क रुख अपना रहे हैं.







